सूरत के सपन दवे की पुरानी हेल्थ बीमा पॉलिसी थी. इस बार प्रीमियम नहीं भरा और पॉलिसी लैप्स हो गई. इस तरह की गलती सपन ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में लोग करते हैं. वे समय पर प्रीमियम नहीं भरते जिससे उनका बीमा कवर खत्म हो जाता है. इस गलती का उन्हें आगे चलकर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए देय तिथि का ध्यान रखना चाहिए. हेल्थ बीमा कंपनियां प्रीमियम जमा करने के लिए देय तारीख से 15 से 30 दिन तक का ग्रेस पीरियड देती हैं. इस बीच अगर प्रीमियम नहीं भरा तो बीमा पॉलिसी लैप्स हो जाती है.
अगर आप हेल्थ बीमा पॉलिसी को समय पर रिन्यू कराते हैं तो आपको आयु और सेहत में बदलाव के बावजूद लगातार कवरेज मिलता रहेगा. एक बार वेटिंग पीरियड पूरा होने पर मौजूदा और पुरानी बीमारियां कवर होती रहेंगी. अगर पलिसी ब्रेक हो जाती है तो आपको वेटिंग पीरियड फिर से पूरा करना होगा.
जब आप किसी पॉलिसी ईयर में कोई क्लेम नहीं करते हैं तो बीमा कंपनी आपको नो क्लेम बोनस का लाभ देती है, जो सालाना 5 से 50 फीसद तक हो सकता है. इससे आपका मूल बीमा कवर यानी सम इंश्योर्ड 100 फीसद तक बढ़ सकता है. अगर आप पॉलिसी समय पर रिन्यू नहीं कराते हैं और पॉलिसी लैप्स हो जाती तो आप बोनस के लाभ से हाथ धो बैठेंगे.
वेटिंग पीरियड का रखें ध्यान
हेल्थ बीमा में वेटिंग पीरियड अहम पहलू होता है. सामान्य बीमारियों में यह अवधि एक से तीन महीने तक की होती है. यानी बुखार आदि होने पर वेटिंग पीरियड पूरा होने के बाद ही हॉस्पिटल में इलाज के खर्च का क्लेम कर सकते हैं. अगर आपको कोई मौजूदा बीमारी है तो इन्हें कवर करने के लिए दो से चार साल तक का वेटिंग पीरियड हो सकता है. अगर एक बार पॉलिसी लैप्स हो गई तो मौजूदा बीमारियों कवर लंबे इंतजार के बाद ही मिलेगा.
चुकाना होगा ज्यादा प्रीमियम
बढ़ती उम्र के साथ बीमार होने की आशंका ज्यादा रहती है. अगर आप समय पर अपनी पॉलिसी को रिन्यू कराने से चूक जाते हैं तो नई पॉलिसी लेने पर आपको ज्यादा प्रीमियम चुकाना पड़ेगा. एक उम्र के बाद बीमा कंपनियां मेडिकल जांच के बाद ही बीमा कवर देती हैं. ऐसे में उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और लाइफ स्टाइल से जुड़ी आदतों के कारण बीमा कंपनी आपको कवर देने से मना भी कर सकती है.
टैक्स में ले सकते हैं छूट
आपका हेल्थ बीमा सेहत की सुरक्षा के साथ-साथ इनकम टैक्स की सेविंग में भी मददगार साबित होता है. आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत एक वित्त वर्ष में 25,000 रुपए तक के प्रीमियम पर टैक्स में छूट ले सकते हैं. अगर माता-पिता सीनियर सिटीजन हैं तो उनके लिए 50,000 रुपए तक के प्रीमियम पर भी टैक्स में लाभ ले सकते हैं. अगर आपकी हेल्थ पॉलिसी बंद हो जाती है तो फिर आपको इस इनकम टैक्स सेविंग से भी हाथ धोना पड़ेगा. हालांकि हेल्थ बीमा खरीदने का लक्ष्य टैक्स सेविंग नहीं होना चाहिए. लेकिन यह आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग का अहम हिस्सा जरूर होना चाहिए.
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं कि अगर आपकी पुरानी हेल्थ बीमा पॉलिसी है तो उसे हमेशा समय से पहले रिन्यू कराएं. हालांकि बीमा कंपनियां प्रीमियम भरने के लिए एक महीने पहले से ही रिमाइंडर भेजना शुरू कर देती हैं. आपको अपनी तरफ से भी रिमाइंडर सेट कर लेना चाहिए. हेल्थ बीमा के प्रीमियम के भुगतान के लिए कभी आखिरी तारीख का इंतजार न करें. यह प्रीमियम आपको एक महीने पहले ही भर देना चाहिए. परिवार की जरूरत के हिसाब से बीमा कवर को बढ़ाते रहें. अगर आप किसी वजह से प्रीमियम भरने से चूक गए तो आपकी सेहत की सुरक्षा कमजोर पड़ जाएगी.