टॉप-अप या नई हेल्‍थ पॉलिसी में से किसे चुनना है फायदेमंद?

टॉप-अप पॉलिसी किसी वर्तमान हेल्थ इंश्योरेंस प्लान जो आपने लिया हुआ है, उसके साथ मिलकर बेहतर काम करता है.

  • Team Money9
  • Updated Date - September 19, 2021, 01:20 IST
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रिपोर्ट में साफ होता है कि कुल जीडीपी में सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ा है. सरकार ने 2017-18 में कुछ जीडीपी का 1.3 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया है

रिपोर्ट में साफ होता है कि कुल जीडीपी में सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ा है. सरकार ने 2017-18 में कुछ जीडीपी का 1.3 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया है

कोरोना महामारी के दौर में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर पहले से अधिक जागरूक हो गए हैं. इसकी वजह यह भी देखने को मिली है कि कोरोना महामारी का इलाज खर्च कई निजी अस्पतालों ने 10 लाख से 15 लाख रुपये तक लिया है. वहीं, अमूमन स्वास्थ्य बीमा में कवर तीन से पांच लाख रुपये तक का होता है. ऐसे में मौजूदा पॉलिसी धारकों के पास क्या विकल्प है. बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए सबसे अच्छा रास्ता है बीमा पॉलिसी पर टॉप-अप ले लेना. बीमा धारक अपनी वर्तमान पॉलिसी पर टॉप-अप लेकर न सिर्फ कवर की राशि बल्कि गंभीर बीमारियों का कवर भी उस पॉलिसी में शामिल कर सकते हैं.

इस तरह काम करता है टॉप-हेल्थ कवर

टॉप-अप पॉलिसी किसी वर्तमान हेल्थ इंश्योरेंस प्लान जो आपने लिया हुआ है, उसके साथ मिलकर बेहतर काम करता है. आप ऐसी टॉप-अप पॉलिसी खरीद सकते हैं जिसका डिडक्टिबल बेस पॉलिसी के सम इंश्योर्ड के बराबर हो. इस तरह डिडक्टिबल तक का क्लेम मूल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के जरिए हो जाएगा और बढ़े हुए क्लेम को टॉप-अप प्लान के तहत कवर कर लिया जाएगा. मान लीजिए आपको लगता है कि 10 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस कवर पर्याप्त नहीं है और इसमें इजाफा किया जाना चाहिए. हेल्थ कवर की राशि जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, प्रीमियम की राशि भी बढ़ती जाती है. ऐसे में आप 15 लाख रुपए का टॉप अप कवर लेकर इसे 25 लाख कर सकते हैं.

सस्ता पड़ता है टॉप-अप

मान लीजिए आप पर 10 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर है और आप इस कवर को 10 लाख रुपए तक बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए आप नई रेगुलर हेल्थ पॉलिसी ले सकते हैं. लेकिन अगर आप ऐसा करते हैं तो इसके लिए आपको ज्यादा पैसा खर्च करना होंगे. जबकि इतनी की कीमत का टॉप-अप प्लान कहीं कम प्रीमियम पर मिल जाएगा. टॉप-अप प्लान की कॉस्ट डिडक्टिबल लिमिट से कनेक्ट रहती है. यह लिमिट पहले से तय होती है. जब किसी बीमारी का खर्च उस लिमिट को पार करता है तो टॉप-अप प्लान का काम शुरू होता है.

डिडक्टिबल लिमिट को ज्यादा रखना फायदेमंद

डिडक्टिबल लिमिट को हमेशा ज्यादा रखना चाहिए क्योंकि प्राइमरी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी इतनी राशि तक कवर उपलब्ध कराती है. डिडक्टिबल जितना ज्‍यादा होगा, टॉप-अप प्लान उतना सस्ता मिलेगा. टॉप-अप प्‍लान आमतौर पर एक बार अस्‍पताल में भर्ती होने का खर्च उठाता है. इसका मतलब यह है कि अगर उनके एक बार भर्ती होने पर अस्‍पताल का बिल डिडक्टिबल को पार कर जाता है, तो केवल तभी टॉप-अप प्‍लान का इस्‍तेमाल किया जा सकता है.

इस तरह चुनें सबसे बेहतर टॉप-अप प्लान

ऑप्टिमल कवरेज चुनें.
कवरेज बेनेफिट्स को देखें कि क्या कवरेज में क्या शामिल हैं.
प्री-एग्जिस्टिंग वेटिंग पीरियड देखें और ऐसा प्लान चुनें जिसमें कम पीरियड हो ताकि जल्द से जल्द कवरेज मिल सके.
कवरेज लिमिट्स और सब-लिमिट्स को देखें और ऐसा प्लान चुनें जो कवरेज को लेकर रिस्ट्रिक्शंस न रखे.
प्लान के तहत किन अस्पतालों में फायदा ले सकते हैं, इसे जरूर देखें. ऐसा प्लान चुनें जिसके नेटवर्क में अधिक से अधिक अस्पताल हों.

Published - September 19, 2021, 01:20 IST