इन वजहों से हैं परेशान तो चुन सकते हैं हेल्थ पॉलिसी को पोर्ट करने का ऑप्शन

यदि वर्तमान स्वास्थ्य बीमा कंपनी आपसे अधिक प्रीमियम वसूलती हैं, लेकिन खराब सर्विस प्रदान करती हैं, तो आपको पोर्टेबिलिटी विकल्प का विकल्प चुनना चाहिए.

  • Team Money9
  • Updated Date - September 15, 2021, 06:11 IST
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रिपोर्ट में साफ होता है कि कुल जीडीपी में सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ा है. सरकार ने 2017-18 में कुछ जीडीपी का 1.3 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया है

रिपोर्ट में साफ होता है कि कुल जीडीपी में सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ा है. सरकार ने 2017-18 में कुछ जीडीपी का 1.3 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया है

Health Insurance Portability: यदि आप अपनी बीमा कंपनी की सेवाओं से खुश नहीं हैं और आपको लगता है कि जितना प्रीमियम आपके द्वारा भरा जा रहा है उसके अनुसार कंपनी आपको सुविधा नहीं दे रही है. आप अपनी बीमा कंपनी से असंतुष्ट हो चुके हैं, तो आपको चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है. क्योंकि भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) आपको अपनी बीमा कंपनी और योजना को पोर्ट करने की अनुमति देता है.

कम से कम 3 प्लान की जानकारी प्राप्त करें

यदि आप अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को पोर्ट कराते हैं, तो नई कंपनी आपकी प्रीमियम की दरों को तय करने के लिए स्वतंत्र होती है. पोर्ट के दौरान यदि आप उच्च जोखिम वाली श्रेणी में हैं, तो हो सकता है नई कंपनी पुरानी कंपनी की तुलना में आपसे अधिक प्रीमियम वसूल करे. पोर्ट कराने से पहले आपको इसके बारे में जानकारी ले लेनी चाहिए और आपको कम से कम 3 बीमा कंपनीओं के प्लान की डिटेल देखनी चाहिए.

ये रहे वह 9 कारण, जो आपको अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को पोर्ट करने को मजबूर कर सकते हैं.

(1) खराब सर्विसः वर्तमान कंपनी द्वारा दी जा रही सर्विस ठीक न होना भी पोर्ट का कारण हो सकता है. आपका वर्तमान स्वास्थ्य बीमा जिस तरह से चल रहा है उससे शायद आप बहुत खुश नहीं हैं तो पोर्ट ओप्शन चुन सकते हैं. कंपनी की सेवा, खराब अनुभव, वार्षिक प्रीमियम मूल्य जैसे कारण भी आपको दूसरी कंपनी को पसंद करने के लिए जिम्मेदार बन सकते हैं.

(2) कम बेनिफिटः शायद आप अपने माता-पिता के लिए AYUSH लाभ या अपने लिए मातृत्व कवर की तलाश कर रहे हैं, लेकिन आपका वर्तमान स्वास्थ्य बीमाकर्ता ऐसा कवर प्रदान नहीं करता हैं तो आपको पोर्ट विकल्प चुनना चाहिए.

(3) अपर्याप्त कवरः यदि आपकी वर्तमान कंपनी द्वारा दिया जा रहा कवर अपकी जरुरत के हिसाब से कम हो, तो आप पोर्ट कर सकते हैं.

(4) डिजिटल फ्रेंडली नहीं हैः यदि आपकी बीमा कंपनी अभी भी लंबी, बोझिल प्रक्रियाएं का पालन करता हैं जो आपका बहुत अधिक समय लेती हैं, तो आपको किसी डिजिटल-फ्रैंडली कंपनी में पॉलिसी पोर्ट करवाने के बारे में सोचना चाहिए.

(5) रूम किराया सीमाः वर्तमान पॉलिसी में अस्पताल के रूम के किराये की सीमा कम होना.

(6) जटिल दावा निपटानः यदि वर्तमान कंपनी की दावा निपटान प्रक्रिया जटिल है, तो भी आप पोर्ट कर सकते हैं.

(7) प्रतिपूर्ति में देरीः यदि कंपनी द्वारा आपके पैसे की अदायगी में एक समय सीमा से ज्यादा देरी की जाती है, तो पोर्ट कराना बेहतर होगा.

(8) पारदर्शिता की कमीः किसी कंपनी में पारदर्शिता की कमी एक बड़ा कारण होता है पोर्ट कराने का.

(9) सह-भुगतान मामलाः यदि वर्तमान कंपनी आपको पूर्ण कवर नहीं देती और आपसे सह भुगतान कराती है, तो आप पूर्ण कवर देने वाली कंपनी में पोर्ट करा सकते हैं.

45 दिन को रखें ध्यान में

यदि आप अपनी स्वास्थ्य बीमा योजना को पोर्ट करना चाहते हैं, तो आपको स्वास्थ्य बीमा योजना के नवीनीकरण से कम से कम 45 दिन पहले प्रक्रिया शुरू करनी होगी. आपको अपनी वर्तमान बीमा कंपनी को सूचित करना होगा. आपको नई बीमा कंपनी के बारे में जानकारी देनी होगी. आपको अपनी अवधि को ब्रेक किए बिना ही पॉलिसी का नवीनीकरण करना होता है, इसलिए पोर्टिंग प्रक्रिया शुरु होने पर 30 दिन की अनुग्रह अवधि मिलती है.

Published - September 15, 2021, 06:11 IST