बढती महंगाई के बीच बीमा धारकों को झटका लग सकता है. टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम में इस साल फिर बढ़ोतरी हो सकती है. कुछ कंपनियां बीमा प्रीमियम की दरों में वृद्धि करने पर विचार कर रही है. हालांकि, इस बार की बढ़ोतरी पिछले कुछ वर्षों के जितनी अधिक नहीं होगी. इस बार बीमा दरों में 5 से 8 फीसद तक होने की संभावना है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोविड-19 महामारी के बाद दो साल तक बीमा के दावों में बढ़ोतरी देखी गई. अब बीमा कंपनियों की तरफ से दो साल के उच्च दावों के बाद इस वर्ष प्रीमियम दरों में वृद्धि करने की योजना बनाई जा रही है. यानी बीमाधारकों को अब प्रीमियम के लिए ज्यादा पैसे का भुगतान करना पड़ सकता है.
हालांकि, कोरोना महामारी के काबू होने के साथ ही बीमा कंपनियों के लिए डेथ क्लेम भी कम हो गए हैं. देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के डेथ क्लेम में इस साल एक तिहाई से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. महामारी शुरू होने से पहले डेथ क्लेम रेट बहुत स्थिर था.
क्या है कारण?
उद्योग के अनुमानों के अनुसार, पिछले दो से ढाई वर्षों में टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम में लगभग 45% की बढ़ोतरी हुई है. क्योंकि महामारी के दौरान उच्च मृत्यु दर और दावों की संख्या बढ़ने के कारण पुनर्बीमाकर्ताओं (Reinsurance) ने अपनी दरें बढ़ा दी थीं. बीमा प्रीमियम की कीमतें बाहरी कारकों पर भी निर्भर करेंगी जो जीवन प्रत्याशा को प्रभावित कर सकती हैं. WHO के अनुसार, हाल की रिपोर्ट में कई खतरनाक उभरती हुई बीमारियां और चीन में बढ़ रही नई कोविड लहर भी बीमा की कीमतों को प्रभावित कर सकती हैं. हालांकि अभी भी भारत में टर्म इंश्योरेंस के लिए प्रीमियम अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है
क्या है टर्म इंश्योरेंस
टर्म इंश्योरेंस एक शुद्ध जीवन बीमा पॉलिसी है जो ग्राहकों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है. इसमें पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद उसके नॉमिनी को पॉलिसी की राशि दी जाती है. कोरोना महामारी के दौरान जीवन बीमा पॉलिसी में ग्राहकों की रुचि और मांग दोनों बढ़ी है.