टर्म इंश्योरेंस (term insurance) में पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनके परिजनों को बीमा की रकम मिल जाती है. टर्म प्लान लोग ये सोचकर लेते हैं कि उनकी मृत्यु के बाद परिवारवालों के ऊपर कोई आर्थिक मुसीबत न आए.
लेकिन, बहुत सारे लोगों को पता ही नहीं कि किस प्रकार के मृत्यु की स्थिति में बीमा रकम फैमिली मेंबर्स को नहीं मिलती है. यहां हम आपको ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं किन स्थितियों में आपका क्लेम खारिज हो सकता है.
टर्म प्लान (term insurance) जीवन बीमा के लिए उचित प्रोडक्ट है. इसमें मैच्योरिटी के समय कोई रकम नहीं मिलती. बीमा धारक पहले से निर्धारित अवधि के लिए प्रीमियम अदा करता है और इस दौरान उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके नॉमिनी या परिजनों को पॉलिसी की रकम मिल जाती है. लेकिन, कुछ स्थितियों में ये रकम नहीं मिलती है.
क्रिमिनल गतिविधि में शामिल होना
बीमा कंपनी उस स्थिति में मुआवजे से इनकार कर सकती है अगर पॉलिसीधारक की हत्या हो जाय और उसमें नॉमिनी की भूमिका सामने आए. अगर पॉलिसीधारक किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त है और उसकी हत्या हो जाए तो आपको बीमा की रकम नहीं मिलेगी.
शराब पीने से मौत
पॉलिसीधारक नशे में ड्राइव कर रहा है या उसने ड्रग्स लिया है तो इस स्थिति में अगर उसकी मौत हो जाती है तो बीमा कंपनी टर्म प्लान (term insurance) मुआवजे के भुगतान से मना कर सकती है. हकीकत में ज्यादा शराब पीने वालों को बीमा कंपनी पॉलिसी देती ही नहीं है.
धूम्रपान की आदत
अगर आप स्मोकिंग करते हैं और टर्म प्लान (term insurance) लेते समय बीमा कंपनी को इसकी जानकारी नहीं दी है तो मुआवजे का दावा खारिज हो सकता है. धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्या अधिक रहती है. बीमा कंपनी ऐसे व्यक्ति को बीमा पॉलिसी देने के लिए अधिक प्रीमियम चार्ज करती है.
खतरों के खिलाड़ी
अगर आपको खतरों से प्यार है तो टर्म प्लान (term insurance) आपके लिए नहीं है. किसी एडवेंचर या खतरनाक प्रवृति में भाग लेने की वजह से मौत पर बीमा कंपनी मुआवजे का दावा खारिज कर सकती है. कार या बाइक रेस, स्काई डाइविंग, पैरा ग्लाइडिंग आदी जोखिम वाले खेलों की कैटेगरी में आती है.
किसी पुरानी बीमारी हो मौत का कारण
अगर आपने टर्म प्लान (term insurance) लेते समय अपनी कोई पुरानी बीमारी के बारे में बीमा कंपनी को जानकारी नहीं दी है और इस वजह से मौत होने पर बीमा कंपनी आपको टर्म प्लान का मुआवजा देने से इनकार कर सकती है. रेगुलर टर्म प्लान में कई वजह से मौत कवर नहीं होती. इनमें एसटीडी और एचआईवी एड्स आदि शामिल है.
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर विजय शाह कहते हैं कि आपको टर्म प्लान लेते समय बीमा कंपनी से कोई भी बात छुपानी नहीं चाहिए. क्योंकि इसका खामियाजा आपके परिवार वालो को उठाना पड़ सकता है. इसके अलावा अगर पॉलिसीधारक पॉलिसी के पहले साल में ही सुसाइड कर लेता है तो बीमा कंपनी मुआवजे का दावा खारिज कर सकती है.