महामारी के दौर में समझदारी की बात, हेल्‍थ पॉलिसी लेते वक्‍त बरतें ये सावधानियां

Health Insurance Policy: हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लेना सबसे ज्‍यादा जरूरी है. न केवल लेना बल्कि पॉलिसी लेते वक्‍त कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी है.

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सम इंश्योर्ड में कोई मौद्रिक लाभ नहीं मिलता, केवल हानि/क्षति राशि की प्रतिपूर्ति होती है वहीं सम एश्योर्ड मंस मौद्रिक लाभ का भुगतान बीमित व्यक्ति या नोमिनी को किया जाता है.

सम इंश्योर्ड में कोई मौद्रिक लाभ नहीं मिलता, केवल हानि/क्षति राशि की प्रतिपूर्ति होती है वहीं सम एश्योर्ड मंस मौद्रिक लाभ का भुगतान बीमित व्यक्ति या नोमिनी को किया जाता है.

कोरोना का कहर जारी है. देश भर में बीमारों और मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. कब किसको क्‍या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता है. एक बार अस्‍पताल में पहुंचते ही आपकी जिंदगी भर की कमाई खत्‍म हो सकती है. ऐसे में समझदार बनकर संकट को कुछ हद तक टाला जा सकता है. इसके लिए एक हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी (Health Insurance Policy) लेना सबसे ज्‍यादा जरूरी है. न केवल लेना, बल्कि अच्‍छी तरह देखकर लेना आवश्‍यक है. पॉलिसी लेते वक्‍त कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी है.

परिवार को सुरक्षित बना सकते हैं
हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी (Health Insurance Policy) लेकर आप खुदा और अपने परिवार को सुरक्षित कर सकते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस एक निश्चित सीमा तक इलाज की सुविधा देता है. कोरोना काल में हेल्थ इंश्योरेंस का महत्व काफी बढ़ गया है. तमाम कंपनियां कोरोना का स्पेशल हेल्थ इंश्योरेंस भी ऑफर कर रही हैं. आप अपने बजट के अनुसार हेल्थ इंश्योरेंस की पॉलिसी ले सकते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस में आमतौर पर हॉस्पिटल में भर्ती से पहले और बाद का खर्च, रूम रेंट, एम्बुलेंस फैसिलिटी, डॉक्टर्स की फीस और दवाई का खर्च कवर होता है.

इन बातों का रखें ध्यान
पॉलिसी कंसल्‍टेंट रोहित दुआ कहते हैं कि पॉलिसी लेते वक्त सभी नियम व शर्तों को अच्छी तरह पढ़ लें. अगर खुद पढ़कर समझ नहीं आ रही हो तो किसी जानकर की मदद लें. ऑनलाइन सभी कंपनियों के प्लान की जानकारी उपलब्ध है. हेल्थ पॉलिसी के हर क्लॉज को समझें, फिर प्रीमियम चुकाएं. गंभीर बीमारी, पहले से मौजूद बीमारी और एक्सीडेंट के मामले में कंपनी की देनदारी को समझकर प्लान खरीदें.

इंश्योरेंस लेते वक्त कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो जरूर देखें. लोगों की सुविधा के लिए IRDAI विभिन्‍न पॉलिसी कंपनियों की क्‍लेम सेटलमेंट रेशियो की सूची जारी करती है. 90 फीसदी से ज्यादा क्‍लेम सेटलमेंट रेशियो वाली कंपनियों की पॉलिसी लेनी चाहिए. यह भी देखें कि कंपनी समय पर भुगतान करती है या नहीं. साथ ही कैशलेस अप्रूवल है या नहीं.

इंश्योरेंस लेते वक्त यह ध्यान मे रखें कि घर में अगर कोई अचानक बीमार हो जाता है, तो उसका खर्च बीमा में कवर होगा या नहीं. देखें कि अगर पॉलिसी इंजरी, लंबी बीमारियों आदि को कवर करती है या नहीं.

सही जानकारी दें
हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त अगर आप कुछ गलत जानकारी देते हैं तो स्वास्थ्य बीमा कंपनी आपको क्लेम देने से मना कर सकती है, जिससे इलाज के दौरान आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. बीमा कंपनी को अपने मेडिकल रिकॉर्ड के बारे में सही-सही जानकारी दें.

कम से कम पांच लाख का कवर लें
युवाओं के मामले में जोखिम कम होता है, इसलिए उनकी पॉलिसी और प्रीमियम, दोनों ही कम होते हैं. कम से कम पांच लाख रुपये का कवर लें, हर साल इसे समय से रिन्यू करते रहने से आपको नो क्लेम बोनस का लाभ मिलता रहेगा.

दिल्‍ली हाईकोर्ट को करना पड़ा दखल
पॉलिसी को लेते वक्‍त उसे ध्‍यान से पढ़ना बहुत जरूरी है. एक मामले में दिल्ली HC को दखल पड़ा है. न्यायालय द्वारा IRDAI को निर्देश एक ऐसे व्यक्ति की याचिका पर दिया गया, जिसके द्वारा उसकी मानसिक बीमारी के इलाज में लागत की प्रतिपूर्ति के दावे को बीमा प्रदाता – मैक्स बुपा हेल्थ इंश्‍यारेंस लिमिटेड द्वारा 50,000 रुपये तक सीमित कर दिया गया था.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बीमा क्षेत्र के नियामक IRDAI से यह बताने के लिए कहा है कि वह किस आधार पर बीमा नीतियों को मंजूरी दे रहा था, जिसमें मानसिक बीमारियों को पूर्ण कवरेज से बाहर रखा गया था. मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 यह स्पष्ट करता है कि मानसिक और शारीरिक बीमारियों और इसके संबंध में प्रदान किए गए बीमा के बीच कोई भेदभाव नहीं हो सकता है.

Published - April 20, 2021, 05:19 IST