Smart ULIPs क्‍या सच में हैं फायदे का सौदा? जानें इनकी सच्‍चाई

यूलिप एक लाइफ इंश्योरेंस प्लान है, जिसके जरिए आप जीवन बीमा कवर के साथ कमाई कर सकते हैं और टैक्स सेविंग का फायदा भी ले सकते हैं.

Smart ULIPs क्‍या सच में हैं फायदे का सौदा? जानें इनकी सच्‍चाई

सरकारी स्कूल में टीचर सुनंदा बहुत खुश हैं. उन्हें पता चला है कि कुछ बीमा कंपनियों ने नए यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानी ULIPs पेश किए हैं. एक पॉलिसी के ब्रॉशर में बताया गया है कि इस निवेश में कई तरह के शुल्क खत्म कर दिए गए हैं. बीमा कवर के लिए वसूला गया मोर्टेलिटी चार्ज भी लौटा दिया जाएगा. सुनंदा की खुशी की वजह ये है कि वो म्यूचुअल फंड की तरह निवेश करेंगी और बीमा कवर फ्री में मिल जाएगा. निवेश के लिए कैसे हैं नए यूलिप, ये पुराने यूलिप से कितने अलग हैं? आइए समझते हैं.

हर निवेश योजना में खूबियां और खामियां, दोनों होती हैं. ये बात यूलिप पर भी लागू होती है. ये एक लाइफ इंश्योरेंस प्लान है. इसके जरिए आप जीवन बीमा कवर के साथ कमाई कर सकते हैं. साथ ही टैक्स सेविंग का फायदा भी ले सकते हैं. यूलिप में निवेश का लॉक इन पीरियड पांच साल का है. कुछ साल पहले तक यूलिप में भारी भरकम चार्ज वसूला जाता था, लेकिन नए यूलिप की लागत काफी कम हो गई है जिन्हें स्मार्ट यूलिप कहा जा रहा है.

स्मार्ट यूलिप का सबसे बड़ा लाभ बदलते वित्तीय हालात के अनुसार इसका प्रीमियम भरने की सुविधा है. आप तिमाही, छमाही, सालाना या फिर म्यूचुअल फंड की SIP की तरह मासिक निवेश का विकल्प चुन सकते हैं. अगर आपके पास सरप्लस फंड है तो टॉपअप भी कर सकते हैं. इस निवेश में जोखिम सहने की क्षमता के अनुसार इक्विटी या डेट में 100 फीसद तक निवेश का विकल्प चुन सकते हैं. अपनी रणनीति के अनुसार आप इक्विटी, डेट या हाइब्रिड में स्विच कर सकते हैं. कुछ बीमा कंपनियां फंड को स्विच करने पर कोई चार्ज नहीं ले रही हैं. पांच साल बाद आप अपने निवेश को आंशिक या पूरा निकाल सकते हैं.

खास बात ये है कि स्मार्ट यूलिप में प्रीमियम एलोकेशन और पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज नहीं है जो बीमाधारक के प्रीमियम से काटा जाता था. इस तरह नए यूलिप में निवेश की लागत काफी हद तक घट गई है. ट्रेडिशनल यूलिप और स्मार्ट यूलिप के बीच मुख्य अंतर उनकी निवेश रणनीतियों और प्रीमियम भुगतान में लचीलापन है.

पुराने यूलिप की सबसे बड़ी खामी निवेश पर ऊंची लागत थी. एक समय बीमा एजेंट को पहले साल में ULIP के ल‍िए 40 फीसद तक कमीशन दिया जाता था जो बीमाधारक के प्रीमियम में से काटा जाता था. हालांकि अब इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा ने यूलिप के कमीशन की सीमा तय कर दी है. अब हर बीमा कंपनी अपने कारोबार के साइज और खर्च के मुताबिक एजेंट कमीशन तय करती है. फिर भी ये निवेश काफी महंगा पड़ता है क्योंकि ULIP के प्रीमियम में उस प्लान को चलाने का खर्चा और एजेंट कमिशन का कॉस्ट जुड़ा रहता है.

स्मार्ट यूलिप में कंपनियों ने एजेंट कमीशन और प्रीमियम एलोकशन चार्ज खत्म कर दिए हैं. इस प्लान को ज्यादातर बीमा कंपनियां ऑनलाइन बेच रही हैं. इससे कुछ कंपनियों ने पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज को घटा दिया है तो कुछ ने पूरी तरह खत्म कर दिया है.

यूलिप के प्रीमियम में जीवन बीमा कवरेज की लागत काफी खर्चीली साबित होती है. नए यूलिप में बीमा कंपनियां मोर्टेलिटी चार्ज को वापस करने का विकल्प दे रही हैं. उदाहरण के लिए HDFC Click2 Wealth में मैच्योरिटी के समय जबकि Tata ISIP के प्लान में 11वें साल में रिटर्न ऑफ मोर्टेलिटी चार्ज यानी ROMC का विकल्प मिल रहा है. यूलिप में बीमा कंपनी फंड मैनेजमेंट का चार्ज वसूलती हैं जो सालाना 0.8 से 1.35 फीसद के बीच हो सकता है. इस तरह पहले की तुलना में ये निवेश काफी हद तक किफायती हो गया है.

अब ये जानते हैं क‍ि यूलिप में टैक्स लाभ कैसे मिलता है? आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत यूलिप में सालाना 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स में छूट मिलती है. हालांकि ये लाभ तभी मिलेगा जब निवेश की राशि बीमा कवर की राशि से 10 फीसद तक हो. इससे अधिक प्रीमियम होने पर टैक्स का लाभ नहीं मिलेगा. अगर आपका यूलिप में कुल सालाना निवेश 2.5 लाख रुपए तक है तो पांच साल बाद मैच्योरिटी पर पूरी रकम टैक्स फ्री होगी. अगर सालाना निवेश 2.5 लाख रुपए से अधिक है तो ऊपर की राशि पर मिलने वाला रिटर्न टैक्सेबल होगा.

सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि यूलिप में जीवन बीमा कवर, रिटर्न और टैक्स बेनेफिट का लाभ मिलता है. इन सुविधाओं को देखते हुए यूलिप निवेश के लिए बेहतर विकल्प लगते हैं लेकिन लाइफ कवर की सुविधा निवेशक को मुफ्त में नहीं मिलती. कंपनी इसके लिए सालाना चार्ज लेती है. इस तरह आपका पूरा पैसा निवेश नहीं होता. बीमा कंपनियों की कमाई का यही बड़ा जरिया है. यूलिप में आपका निवेश और बीमा मिक्स हो जाता है जो किसी भी सूरत में अच्छा नहीं माना जाता. बीमा के लिए टर्म इंश्योरेंस लें और निवेश के लिए अपने निवेश के लक्ष्य के अनुसार विकल्प चुनें.

आप भी सुनंदा की तरह सिर्फ ब्रॉशर देखकर ही निवेश के लिए तैयार न हो जाएं. निवेश करने से पहले वित्तीय लक्ष्य, जोखिम उठाने की क्षमता और लागत के बारे में अच्छी तरह से समझें. एक बात अच्छी तरह जान लें क‍ि कोई भी बीमा कंपनी आपको फ्री में कोई सुविधा नहीं देगी. ये मंत्र स्मार्ट यूलिप पर भी लागू होता है, इसलिए निवेश के लिए सोच-समझकर ही फैसला लें.

Published - April 9, 2024, 01:53 IST