लैप्स होने से पहले रिन्यू करा लें मोटर इंश्योरेंस वरना हो जाएगा भारी नुकसान

क्या आप जानते हैं कि बिना इंश्योरेंस के कार चलाते हुए अगर ट्रैफिक पुलिस पकड़ ले तो क्या होगा?

लैप्स होने से पहले रिन्यू करा लें मोटर इंश्योरेंस वरना हो जाएगा भारी नुकसान

रेड लाइट पर अभिषेक की खड़ी कार को ऑटो ने टक्कर मार दी. अभिषेक झल्ला गए लेकिन ऑटो ड्राइवर पर कम और खुद पर ज्यादा. कार का बीमा रिन्यू कराने का वक्त नहीं निकाल पा रहे थे और कल-कल टालते हुए बीमा लैप्स हो गया. अब रिपेयरिंग का खर्चा अभिषेक को अपनी जेब से देना होगा. इसीलिए कार इंश्योरेंस हमेशा समय रहते रिन्यू कराना जरूरी है.

एक्सपायर्ड बीमा पर लगेगा जुर्माना

क्या आप जानते हैं कि बिना इंश्योरेंस के कार चलाते हुए अगर ट्रैफिक पुलिस पकड़ ले तो क्या होगा? कार और टूव्हीलर दोनों ही तरह के वाहनों के लिए मोटर व्हीकल्स एक्ट 2019 के तहत एक ही जुर्माना तय किया गया है. पहली बार पकड़े जाने पर 2000 रुपए जुर्माना से लेकर तीन महीने की जेल हो सकती है या दोनों. दूसरी बार पकड़े जाने पर जुर्माना डबल यानी 4000 रुपए और तीन महीने की जेल या दोनों का सामना करना पड़ सकता है.

लैप्स्ड पॉलिसी के नुकसान

लैप्स्ड पॉलिसी के मामले में वाहन मालिक को कार को हुए नुकसान के अलावा थर्ड पार्टी नुकसान की भी भरपाई करनी पड़ती है. थर्ड पार्टी यानी TP इंश्योरेंस सितंबर 2018 से अनिवार्य हो गया है. दुर्घटना में वाहन चालक और बीमा कंपनी के अलावा जो तीसरा पक्ष है यानी अगर किसी और की गाड़ी को पहुंचे नुकसान के कवर को थर्ड पार्टी में कवर किया जाता है. तीसरे पक्ष के वाहन या उन्हें पहुंची चोट का 7.5 लाख रुपए का कवर थर्ड पार्टी कवर में मिलता है.

अगर बीमा लैप्स्ड हो चुका होगा तो किसी भी तरह के खर्च का भुगतान नहीं मिलेगा. साथ ही ये दंडनीय भी होगा. जुर्माने के अलावा जेल की नौबत भी आ सकती है. तूफान या भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण वाहन को हुए नुकसान को भी कवर नहीं किया जाएगा. अगर कार चोरी हो जाए तब भी बीमा का फायादा नहीं उठा पाएंगे. कार या टू व्हीलर का लोन खत्म होने के बाद उसे हाइपोथेटिकेट करवा कर अपने नाम पर रजिस्टर करवाना होता है. लेकिन लैप्स्ड पॉलिसी वाले वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाएगा.

बीमा पर लग जाएगा ‘ब्रेक’

समय रहते अगर पॉलिसी को रिन्यू नहीं करवाया तो इसे ब्रेक-इन पॉलिसी माना जाता है. इंश्‍योरेंस कंपनियां आमतौर पर तय तारीख से 15 से 30 दिन का ग्रेस पीरियड देती हैं.लेकिन अगर 90 दिन से ज्यादा की देरी हो जाएगी तो इस ब्रेक के बाद नया बीमा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता. नई पॉलिसी लेने का मतलब है कि वाहन का फिर से इंस्पेक्शन होगा.साथ ही नो क्लेम बोनस के डिस्काउंट से भी हाथ धोना पड़ेगा.

पॉलिसी को लैप्स होने से कैसे बचाएं?

पॉलिसी को लैप्स होने से बचाने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं. ओन डैमेज की पॉलिसी को ब्रेक से बचाने के लिए एक्सपायरी डेट का रिमाइंडर अपने फोन या कैलेंडर में सेट कर लें. जहां तक थर्ड पार्टी बीमा की बात है 2018 से से नए वाहन खरीदने वालों के लिए ये अनिवार्य हो गया है. हर नए वाहन के साथ लॉन्ग टर्म थर्ड पार्टी कवर मिलता है. कार के लिए तीन साल का थर्ड पार्टी कवर लेना होता है और टू-व्हीलर के लिए पांच साल का थर्ड पार्टी बीमा अनिवार्य है. 2018 से पहले की कार है तो आपको अलग से थर्ड पार्टी इंश्योरेंस लेना होगा. ओन डैमेज बीमा अनिवार्य नहीं है लेकिन आपके पास रहना चाहिए ताकि बुरे वक्त में ये बीमा आपको आर्थिक नुकसान से बचा सके.

Published - August 19, 2022, 09:52 IST