PSU Merger: सार्वजनिक क्षेत्र की गैर जीवन बीमा कंपनियों ने अपनी रिस्ट्रक्चरिंग की कवायद शुरू कर दी है. अपनी लागत को कम करने और फाइनेंशियल स्थितियों में सुधार के लिए कंपनियों ने ये कदम उठाया है. जिसके तहत वो अपने ब्रांच नेटवर्क को कम करने में जुट गई हैं. कुल मिलाकर, तीन कमजोर PSU बीमाकर्ता नेशनल इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया – मर्जर और क्लोजर के माध्यम से अपने लगभग 25% कार्यालयों को कम करने के प्रयास में हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक भले ही सरकार ने राज्यों के अधीन आने वाली सामान्य बीमा कंपनियों के निजीकरण के लिए ज्यादा बेहतर कानून पेश किए हों. उसके बावजूद ये पीएसयूज अपनी ब्रांचेज को रेशनलाइज करने पर आगे बढ़ रहे हैं.
जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (नेशनलाइजेशन) अधिनियम या जीआईबीएन (GIBN) अधिनियम – संशोधन 18 अगस्त को अधिसूचित किया गया था.
संशोधन में कहा गया है कि जिस तारीख से केंद्र सरकार किसी निर्दिष्ट बीमाकर्ता को नियंत्रित करना बंद कर देती है, जीआईबीएन(GIBN) अधिनियम के शुरू होने के बाद, इस अधिनियम के प्रावधान उस निर्दिष्ट बीमाकर्ता के संबंध में लागू नहीं होंगे।
एक पीएसयू को बेचने के बजट का ऐलान करने के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा हर हाल में की जाएगी. किसी भी संस्था का निजीकरण उसे बंद करने के लिए नहीं किया जाता.
गैर-जीवन कंपनियों में अधिकारियों के संघ ने सरकार से कंपनियों को बेचने के लिए नहीं बल्कि तीन गैर-जीवन कंपनियों को मजबूत करने के लिए उनका मर्जर करने का सुझाव दिया है.
कुछ वरिष्ठ पीएसयू अधिकारियों को लगता है कि न्यू इंडिया एश्योरेंस के साथ विलय ही एकमात्र विकल्प हो सकता है क्योंकि स्टैंडअलोन कंपनियां निवेशकों के लिए आकर्षक नहीं हो सकती हैं।
IRDA (Insurance Regulatory and Development Authority) के पूर्व सदस्य केके श्रीनिवासन का कहना है कि तीनों सार्वजनिक उपक्रम नेशनल, ओरिएंटल और यूनाइटेड इंडिया कमजोर सार्वजनिक उपक्रम हैं.
इनका मर्जर और रेशनलाइजेशन सही है. विलय के बाद ये उपक्रम पहले से ज्यादा स्थिर और मजबूत होंगे. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार को न्यू इंडिया एश्योरेंस और जीआईसी आरई में अपनी हिस्सेदारी को लेकर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहिए.
अपनी हालिया स्थिति का आकलन करते हुए नेशनल इंश्योरेंस ने वित्त वर्ष 2021 के लिए 2751 करोड़ के नुकसान की जानकारी दी है. कंपनी का सॉल्वेंसी मार्जिन अनुपात भी 1.5 से घट कर 0.12 हो गया था.
ओरिएंटल इंश्योरेंस को 1,498 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और सॉल्वेंसी रेश्यो 0.92 तक पहुंच गया था. यूनाइटेड इंडिया ने 300 करोड़ रुपये के नुकसान और 0.7 के सॉल्वेंसी अनुपात की सूचना दी.
इन तीनों सार्वजनिक उपक्रमों के कुल 5,200 कार्यालय हैं. मार्च 2021 में ये संख्या 6001 तक थी. बैंक अधिकारियों को उम्मीद है कि मर्जर होने से तीनों के बीच चल रही अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा समाप्त होगी और वे सही स्थिति में आ सकेंगे.
नेशनल कंफेडरेशन ऑफ जनरल इंश्योरेंस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने जुलाई में नीति आयोग को दिए एक अभ्यावेदन में कहा कि मर्जर और पीएसयू के सभी कार्यालयों को एकीकृत कर हम इकोनॉमी ऑफ स्केल्स को हासिल कर सकते हैं.