Insurance: कोविड-19 महामारी (covid-19) के बीच अधिकांश लोग अब जीवन सुरक्षा पॉलिसी (protection policies या प्रोटेक्शन पॉलिसीज) के महत्व को समझने लगे हैं. हालांकि, इस महामारी ने जीवन बीमा कंपनियों को दो तरह से प्रभावित किया है. एक तरफ सुरक्षा से संबंधित पॉलिसी की मांग बढ़ रही है, लेकिन इस दौरान प्रोविजनिंग (provisioning) जरूरतों के साथ-साथ क्लेम करने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. इसकी वजह से उनका नियर टर्म मुनाफा प्रभावित हुआ है.
क्लेम करने वालों की बढ़ी संख्या
अधिकांश बीमा कंपनियों (insurance companies) का कहना है कि वित्त वर्ष 2021 में क्लेम करने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है. उन्हें वित्त वर्ष 2022 में भी इसमें किसी तरह की राहत की उम्मीद नहीं है.
चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में महामारी की वजह से मरने वालों की संख्या 1.50 लाख हो गई है, जबकि 2021 के पूरे वित्तीय वर्ष में 1.63 लाख लोगों की मौत हुई थी.
देश में कोविड-19 के तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है इसलिए क्लेम करने वालों की संख्या में भी फिलहाल और इजाफा होने की पूरी संभावना है. अगर तीसरी लहर नहीं भी आती है, तो भी इसकी संख्या के बढ़ने की संभावना है. इसलिए बीमा कंपनियां चाहती हैं कि क्लेम की संख्या में बहुत अधिक इजाफा न हो.
क्या कहते हैं आंकड़े?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021 में जीवन बीमा कंपनियों ने कोरोना संक्रमण से होने वाली कुल 25,500 मौतों के क्लेम के लिए कुल मिलाकर 1986 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. यह वर्ष के दौरान कोविड से संबंधित कुल मौतों का 15.7% है.
वित्त वर्ष 2021 में लिस्टेड प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों में से HDFC Life में 2300, ICICI PRU में 2500, और SBI Life में 5000 मौतों का क्लेम किया गया. इन सभी क्लेम के निपटारे में HDFC Life ने 150 करोड़, ICICI PRU ने 260 करोड़ और SBI Life ने 320 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
बीमा कंपनियों को बढ़ानी पड़ी प्रोविजनिंग
तीन सबसे बड़ी प्राइवेट जीवन बीमा कंपनियों को प्रोविजनिंग में इजाफा करना पड़ा है. HDFC Life ने 165 करोड़ रुपये, SBI Life ने 183 करोड़ रुपये और ICICI PRU ने 330 करोड़ रुपये की प्रोविजनिंग की है.
कोविड-19 की तीसरी लहर के प्रभावों से निपटने के लिए बीमा कंपनियों द्वारा अपने प्रोविजनिंग बफ़र्स को मजबूत करने की संभावना है. यह अगली कुछ तिमाहियों में उनके मुनाफे को कम कर देगा. हालांकि, लिस्टेड जीवन बीमा कंपनियों की बैलेंस शीट और सॉल्वेंसी अनुपात के किसी भी जोखिम में आने की आशंका नहीं है.
बढ़ती जागरूकता बीमा कंपनियों के लिए है फायदेमंद
क्लेम करने वालों की बढ़ती संख्या और प्रोविजनिंग जरूरतों ने निश्चित रूप से जीवन बीमा कंपनियों की निकट अवधि के मुनाफे को प्रभावित किया है. हालांकि, सुरक्षा को लेकर लोगों में बढ़ती जागरूकता उनके व्यापार के लिए एक बढ़िया संकेत है.
अधिकांश कंपनियों में कुल APE में सुरक्षा संबंधी इंश्योंरेंस पॉलिसी की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है. सुरक्षा संबंधी पॉलिसी की बढ़ती मांग सबसे अधिक लाभदायक प्रोडक्ट होने के कारण जीवन बीमा कंपनियों के लिए काफी सकारात्मक संकेत है. इसने जीवन बीमा कंपनियों को अपना VNB मार्जिन बढ़ाने में मदद की है.