भविष्य की जरूरतों को पूरा करने और वित्तीय सुरक्षा के लिए अमूमन लोग बीमा खरीदते हैं. कोरोना काल के बाद से हेल्थ इंश्योरेंस में काफी इजाफा भी देखने को मिला है, लेकिन सहूलियत के लिए खरीदा गया ये बीमा ही कई बार पॉलिसीधारक के लिए मुसीबत का सबब बन जाते हैं. दावों के निपटारे में हो रही देरी से बीमाधारक सबसे ज्यादा परेशान हैं. इसके अलावा भी कई अन्य कारण हैं जिसके चलते बीमा लेने वाले नाखुश हैं.
क्लेम मिलने में देरी
पॉलिसीधारकों की सबसे आम शिकायतों में से एक है समय से दावों का भुगतान न मिलना. उनका कहना है कि दावों के निपटान में काफी देरी हो रही है. ऐसे में इस समस्या से बचने के लिए जानकारों की सलाह है कि बीमाधारक अपने पास सभी जरूरी दस्तावेज को संभाल कर रखें. पॉलिसी की जानकारी, क्लेम फॉर्म, मेडिकल रिपोर्ट, बिल और अन्य जरूरी दस्तावेजों का व्यापक रिकॉर्ड रखने से दावा निपटान प्रक्रिया में तेजी आएगी. इसके अलावा बीमा कंपनी द्वारा निर्धारित समयसीमा के भीतर दावा प्रस्तुत करें और सभी दस्तावेज जमा करने चाहिए. इसके बाद बीमाधारक को क्लेम स्टेट्स नियमित तौर पर चेक करना चाहिए.
अपर्याप्त कवरेज
बीमा को लेकर पॉलिसीधारकों की एक और शिकायत है, वो है अपर्याप्त कवरेज. पॉलिसीधारकों का मानना है कि उनकी बीमा पॉलिसी घटना के दौरान पर्याप्त वित्तीय सुरक्षा प्रदान नहीं करती है. जानकारों के मुताबिक यह अस्पष्ट बीमा शर्तों और सीमाओं के कारण हो सकता है. जिन्हें बीमा लेते समय ठीक से समझा या बताया नहीं गया, इस कारण ऐसी समस्या हो सकती है. इससे बचने के लिए बीमा खरीदने से पहले हमेशा अपनी बीमा पॉलिसी की अच्छे से समीक्षा कर लें. पॉलिसी से जुड़े नियम और शर्तों को अच्छे से पढ़ लें. अगर ये आपको उस चीज का कवरेज दे रहा है जो आप चाहते हैं तभी बीमा खरीदें. इसके अलावा वर्तमान पॉलिसी को संशोधित करने या दूसरे बीमाकर्ता पर स्विच करने की संभावना देखें.
बीमा क्लेम खारिज होना
इस बात से भी बीमाधारक परेशान होते हैं कि उनका बीमा क्लेम खारिज हो जाता है. बीमा क्लेम खारिज होने के पीछे सभी तथ्यों का खुलासा न करना हो सकता है. बीमा का क्लेम लेने के लिए बीमा कंपनी की ओर से मांगी गई सभी जानकारी देना जरूरी है. बीमाधारक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बीमाकर्ता के साथ सभी डिटेल्स जैसे- पहले की बीमारियों, स्वास्थ्य समस्याओं, अस्पताल में भर्ती होने आदि की जानकारी साझा की गई है. कोई भी तथ्य छिपाया गया न हो, क्योंकि बाद में ये बात सामने आने पर क्लेम लेने में दिक्कत हो सकती है.
पॉलिसी से जुड़ी अनुचित नीति और शर्तें
बीमाधारकों की अक्सर शिकायत रहती है कि पॉलिसी खरीदते समय उन्हें ठीक से बीमा की नीति व शर्तों के बारे में बताया नहीं जाता है. इस समस्या से निपटने के लिए बीमाधारकों को पॉलिसी दस्तावेज को ध्यान से पढ़ना चाहिए. अगर उन्हें कोई शर्त सही नहीं लगती है तो उन्हें तुरंत बीमा कंपनी से संपर्क करके इस बारे में बात करनी चाहिए. आप बीमा कंपनी से नियम को लेकर लिखित स्पष्टीकरण भी मांग सकते हैं. अगर समस्या नहीं सुलझती है तो कानूनी सलाह लें या बीमा नियामक प्राधिकरण के पास शिकायत दर्ज करें.
खराब कस्टमर केयर सर्विस
बहुत से पॉलिसीधारकों की शिकायत रहती है कि जिस बीमा कंपनी से उन्होंने इंश्योरेंस खरीदा हैं उन तक उनकी पहुंच आसान नहीं हैं. बीमा कंपनी की कस्टमर केयर सर्विस बहुत खराब है. जब भी वे ग्राहक सेवा पर कॉल करते हैं तो उनका संपर्क नहीं हो पाता है. जिसके चलते उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाता है. इस परेशानी को दूर करने के लिए बीमा कंपनी के उच्च अधिकारियों से इसकी शिकायत करें. आप ईमेल के जरिए लिखित में शिकायत कर सकते हैं. आपकी शिकायत पर कोई कार्रवाई न होने पर आप ऑनलाइन पोर्टल या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सहारा ले सकते हैं.