PMFBY: खरीफ फसलों की बुआई शुरू हो गई है. इसी के साथ जरूरी है कि किसान समय पर ही फसल का बीमा कराएं ताकि अगर इतने महीनों की मेहनत के बाद फसल को कुछ नुकसान हुआ तो आप खाली हाथ ना रहें. फसल खराब होने या उसे हुए नुकसान की स्थिति में किसानों को वित्तीय मदद देने के लक्ष्य से ही शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana). उत्पादन से जुड़े जोखिमों से किसानों को सुरक्षा मिल सके इस उद्देश्य से इस स्कीम की शुरुआत की गई थी.
बढ़ा, सूखा, ओला पड़ना, भूस्खलन, बादल फटना जैसी प्राकृतिक दिक्कतों से फसल को काफी नुकसान हो सकता है. जरूरी है कि किसान अपने लिए सुरक्षा कवच तैयार रखें.
इस इंश्योरेंस को खरीदने की प्रक्रिया भी बेहद आसान हो गई है. सरकार ने इसके लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पोर्टल की शुरुआत की है जहां किसान इंश्योरेंस के लिए आवेदन देने से लेकर उसे ट्रैक करने, अपने इलाके में फसल के इंश्योरेंस पर लगने वाले प्रीमियम का कैलकुलेशन, फसल खराब होने की रिपोर्ट से लेकर अन्य सभी जरूरतों की जानकारी हासिल कर सकते हैं.
इस इंश्योरेंस योजना में धान, गेहूं, दालों, चना, मक्का से लेकर तिलहन और कमर्शियल फसलें भी शामिल हैं. फसल के दोनों मौसम – रबी और खरीफ की बुआई के आस-पास ये इंश्योरेंस खरीदे जा सकते हैं. जैसे, इस बार खरीफ फसल जैसे धान, मक्का, मूंगफली, तूर (अरहर दाल), तिल, उड़द के लिए 31 जुलाई 2021 तक इंश्योरेंस खरीद सकते हैं. वहीं, रबी फसल के लिए 31 दिसंबर अंतिम तारीख रहती है.
खरीफ फसल के लिए सम इंश्योर्ड यानी क्लेम करने पर मिलने वाली बीमा रकम का अधिकतम 1.5 फीसदी ही प्रीमियम देना होगा. वहीं, बागवानी फसलों के लिए ये 5 फीसदी है. रबी के लिए सम इंश्योर्ड का 2 फीसदी प्रीमियम के तौर पर देना होता है. किसान ऑनलाइन पोर्टल के जरिए या ऑफलाइन किसी भी बैंक में जाकर ये बीमा ले सकते हैं. इसके लिए पहचान पत्र के साथ ही भूमि का रिकॉर्ड, बैंक पासबुक, बटाई पर होने पर असल मालिक के साथ करार के दस्तावेज आदि की जरूरत पड़ेगी.
खेत पर फसल बोई है, इसका प्रमाण. प्रमाण के तौर पर किसान पटवारी, सरपंच, प्रधान जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों से एक पत्र लिखवाकर जमा कर सकते हैं.
फसल बीमा ओलावृष्टि, सूखा, बाढ़, चक्रवात, भारी वर्षा जैसी अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं से कसानों को बचाने के लिए जोखिम कम करने का साधन है.
बुवाई के समय हुए नुकसान से लेकर खड़ी फसल या फसल कटाई के बाद हुए नुकसान और स्थानीय आपदा की वजह से हुए नुकसान के लिए अलग-अलग शर्ते हैं और क्लेम की रकम भी उसी पर निर्भर करेगी.
किसान को नुकसान होने पर 72 घंटों के अंदर टोल-फ्री नंबर पर सूचना देनी होगी. 10 दिन के अंदर इसका सर्वे करना होगा और उसके 15 दिन के भीतर इसका क्लेम मिलेगा.