पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस या लाइफ इंश्योरेंस: युवाओं को क्या खरीदना चाहिए?

जीवन बीमा पॉलिसी: टर्म इंश्योरेंस कमाई, उम्र, चयनित पॉलिसी की अवधि (जैसे 40 साल) पर निर्भर होती है, जहां प्रीमियम पूरी अवधि के लिए तय होता है.

INSURANCE, FIVE MISTAKES, HEALTH INSURANCE, COMPARISON BETWEEN POLICIES, CLAIM, MEDICAL COVERAGE, बेहतर ऑफर हासिल करने के लिए अलग-अलग हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की तरफ से दिए जाने वाले ऑफरों की तुलना जरूर करनी चाहिए.

24 साल के सिद्धार्थ सिंह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उन्होंने अभी काम करना शुरू किया है. अपने निजी खर्चों के लिए अलावा सिद्धार्थ के ऊपर कोई बड़ी आर्थिक जिम्मेदारी या देनदारी नहीं है. वो अपनी सैलरी के एक हिस्से को अपने भविष्य के लिए सुरक्षित रखना चाहता है और बाकी हिस्से को अपने मुताबिक खर्च करना चाहता है. कोरोना के इस दौर ने हमें अच्छे इंश्योरेंस की अहमियत को समझाया है. लेकिन सवाल है कि इंश्योरेंस (Insurance) को चुनते हुए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

सलाह दी जाती है कि लाइफ इंश्योरेंस (Insurance) को कम उम्र में खरीद लेना चाहिए. जैसे कि जब युवाओं की बात आती है तो उन पर जिम्मेदारी और देनदारी नहीं होती है, तो जानिए कि उनकी प्राथमिकताएं क्या होनी चाहिए? तो क्या उन्हें लाइफ इंश्योरेंस या एक्सीडेंट प्रोटेक्शन जैसे विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए?

इंश्योरेंस इनवेस्टमेंट की शुरुआत

रिया इंश्योरेंस ब्रोकर्स के डायरेक्टर एसके सेठी के मुताबिक “कमाने वाले युवाओं को सबसे पहले अपने बैंक जाना चाहिए और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा के तहत खुद का 2 लाख रुपए का टर्म इंश्योरेंस करवाना चाहिए. इसके लिए उनके बैंक खाते से सिर्फ 330 रुपए मई/जून के महीने में कटेंगे. दूसरा फॉर्म जो उन्हें भरना चाहिए वो है प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा, जो उन्हें देगा 2 लाख रुपए का इंश्योरेंस कवर और इसके लिए उनके खाते से मई/जून में महज 12 रुपए काटे जाएंगे. ”

जैसे कि सिद्धार्थ के ऊपर कोई एजुकेशन लोन नहीं है, लेकिन जिन लोगों के ऊपर लोग है उन्हें अपनी सालाना कमाई का कम से कम 10 गुना ज्यादा कीमत का टर्म इंश्योरेंस कराना चाहिए. आमतौर पर हम देखते हैं कि युवा अपनी पहली नौकरी से अक्सर मोटर साइकिल या दूसरे वाहन खरीदते हैं. हमारे देश में मोटर साइकिल से होने वाले एक्सीडेंट की दर, 4 पहिया वाहन से होने वाले एक्सीडेंट से ज्यादा है. सेठी मानते हैं कि “अगर बाइक एक्सीडेंट से किसी का निधन हो जाता है तो टर्म इंश्योरेंस या एक्सीडेंट इंश्योरेंस दोनों केस में परिवार को कम से कम इतना पैसा मिलेगा, जिससे वो एजुकेशन लोन चुका सकते हैं.”

टर्म इंश्योरेंस प्लान, पर्सनल एक्सीडेंट कवर की तुलना में ज्यादा किफ़ायती और बेहतर माना जाता है. लेकिन युवा कई बार लाइफ कवर में निवेश करना का फैसला नहीं करते हैं. इसकी बजाए वो अधिक संभावित पर्सनल एक्सीडेंट जैसा इंश्योरेंस करवाते हैं.

लाइफ इंश्योरेंस या पर्सनल एक्सीडेंट कवर?

दोनों ही इंश्योरेंस कवर का प्रीमियम काफी कम होता है, मान लीजिए किसी को एक पॉलिसी खरीदनी है तो हम इसके विवरण में जाना होगा. सेठी साफतौर पर कहते हैं कि “ज्यादातर लोग भारत में बीमारियां जैसे वर्तमान में कोरोना, मलेरिया, दिल की बीमारी आदि से मरते हैं. टर्म इंश्योरेंस में मौत किसी भी कारण से हो बीमारी या एक्सीडेंट दोनों ही शर्तों पर आश्रितों या परिवार वालों को पैसा मिलता है. लेकिन पर्सनल एक्सीडेंट कवर में तभी क्लेम कवर होगा, जब निधन दुर्घटना में हुआ हो.

हम ये नहीं कह सकते हैं पर्सनल एक्सीडेंट एक अच्छा विकल्प नहीं है क्योंकि इसमें दिव्यांग होने की स्थिति में भी फायदा मिलता है. यदि किसी दुर्घटना के कारण एक अंग या दो अंगों को नुकसान पहुंचता है तो विकलांगता में लाभ मिलता है. इन हालातों में बीमा का क्रमश: 50 फीसदी या 100 फीसदी कवर मिलता है.”

अगर एक्सीडेंट के कारण कोई व्यक्ति अपनी नौकरी करने में असक्षम हो जाता है तो बीमा में कवर व्यक्ति को साप्ताहिक लाभ मिलते हैं, जिनकी रेंज हजार रुपए से लेकर पांच रुपए हफ्ते तक होती है. अगर कोई दोनों पॉलिसियों को लेने में सक्षम है तो ज्यादा से ज्यादा कवरेज का बीमा कराएं.

इंश्योरेंस प्लान पर एक नजर

कई बार ज्यादा इंश्योरेंस कवर लेने पर व्यक्ति को काफी कीमत चुकानी पड़ जाती है. जबकि दूसरी ओर कम बीमा का कवर आपकी जिंदगी को जोखिम में डाल सकता है. युवाओं को अपने करियर के शुरुआत में कैसा प्लान चुनना चाहिए इसके बारे में सोचना चाहिए.

सिद्धार्थ के केस को लेकर समझें तो उसकी उम्र 24 साल है, वो धुम्रपान नहीं करता है. मान लीजिए कि वो सालाना 6 लाख रुपए कमाता है. 40 सालों के लिए भुगतान किया जाने वाला बीमा प्रीमियम इस प्रकार होगा.

टर्म इंश्योरेंस- 25 लाख के सम एश्योर्ड के लिए आपको सालाना 4278 रुपए या 356 रुपए महीने देने होंगे

एक्सीडेंट इंश्योरेंस- गैर-खतरनाक नौकरी वालों को 25 लाख के सम एश्योर्ड के लिए सालाना 3,590 रुपए या 300 रुपए महीने खर्च करने होंगे.

सेठी कहते हैं कि “प्रतिशत के अनुपात में समझें तो ये रकम काफी कम है. इसको ऐसे समझ सकते हैं कि स्टारबक्स में 2 कॉफी की कीमत के बराबर नहीं है. इसलिए युवाओं को ऐसी पॉलिसी खरीदनी चाहिए”

अपना चुनाव अक्लमंदी से करें

टर्म इंश्योरेंस कमाई, उम्र, चयनित पॉलिसी की अवधि (जैसे 40 साल) पर निर्भर होती है, जहां प्रीमियम पूरी अवधि के लिए तय होता है. एक बार ऐसी पॉलिसी लेने के बाद 99 साल की उम्र तक उसका बीमा हो जाता है. ऐसी पॉलिसियों का प्रीमियम उम्र के साथ बढ़ता जाता है.

दूसरी तरफ एक्सीडेंट इंश्योरेंस में नौकरी पेशे पर विचार किया जाता है और नौकरी के आधार पर ही इसका प्रीमियम तय होता है. एक सामान्य 9 से 5 की नौकरी करने वाले व्यक्ति को कम प्रीमियम चुकाना पड़ता है जबकि हाई वोल्टेज लाइन के बीच काम करने वाले किसी इलेक्ट्रिशियन को इसके लिए ज्यादा प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है. यहां इंश्योरेंस सिर्फ आपकी उम्र नहीं पेशे पर भी निर्भर करता है.

लेकिन यहां आप एक बात समझ सकते हैं कि – लाइफ इंश्योरेंस कवर से आपको जिंदगी में पहली लेयर की प्रोटेक्शन मिलती है. जबकि पर्सनल एक्सीडेंट की एक अतिरिक्त लेयर जीवन की सुरक्षा के मद्देनजर देखकर खरीदी जा सकते हैं. अब आपको चुनाव करना होगा कि आपकी जिंदगी के हिसाब से कौन सा सबसे जरूरी है.

Published - August 4, 2021, 08:44 IST