गुरुग्राम की एक निजी कंपनी में सेल्स मैनेजर सौरभ की अच्छी खासी सैलरी थी. एक दिन हाईवे पर एक्सीडेंट की चपेट में आकर पैर टूट गया. छह महीने से घर पर हैं. अब नौकरी करने लायक नहीं रहे. कमाई रुकने पर पूरा परिवार आर्थिक संकट में है.
भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच देश में दुर्घटनाओं का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश में साल 2022 में 4.61 लाख दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 1.68 लाख लोगों की जान चली गई. इन सड़क हादसों में 4.45 लाख लोग घायल हुए. सड़क हादसों का यह आंकड़ा 2021 की तुलना में 12 फीसद ऊंचा है.
सौरभ की तरह सड़क हादसा किसी के भी साथ हो सकता है. इसके लिए जरूरी नहीं कि आप वाहन चला रहे हों. पैदल चलने वाले भी हादसे के शिकार हो सकते हैं. ऐसे जोखिमों को कवर करने के लिए पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस अच्छा विकल्प है. यह बीमा संकट के समय आपके और परिवार के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है.
क्या हैं फायदे?
दुर्घटना बीमा में पॉलिसीधारक में मृत्यु, स्थायी, अस्थायी या आंशिक विकलांगता के जोखिम को कवर किया जाता है. पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर बीमा की राशि नॉमिनी को मिल जाती है. विकलांगता की स्थिति में गंभीरता के आधार पर बीमा राशि का भुगतान किया जाता है. कई कंपनियां स्थायी रूप से विकलांग होने पर 10 से 20 साल तक के लिए हर महीने नियमित आय मुहैया कराती हैं. कुछ कंपनियां इसके अलावा भी कई सुविधाएं देती हैं. जैस, बच्चों की पढ़ाई, दुर्घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का खर्च आदि.
कैसी पॉलिसी लें?
दुर्घटना बीमा मुख्य रूप से तीन तरह से मिलता है. पहला, जीवन बीमा कंपनियां यह कवर टर्म और ट्रेडिशनल पॉलिसी के साथ राइडर के रूप में देती हैं. दूसरे, आजकल ज्यादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों को ग्रुप एक्सीडेंटल इंश्योरेंस की सुविधा दे रही हैं. तीसरे, सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां अलग दुर्घटना बीमा पॉलिसी बेच रही हैं. यह बीमा पॉलिसी काफी व्यापक होती है. इस बीमा में तमाम तरह के जोखिमों को कवर किया जाता है.
कितना प्रीमियम?
पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस अन्य बीमाओं की तुलना में काफी सस्ता पड़ता है. इस बीमा पॉलिसी का प्रीमियम आपकी आयु, व्यवसाय और मेडिकल हिस्ट्री पर निर्भर करता है. अगर आप कीटनाशक या केमिकल जैसी अधिक जोखिम वाली कंपनियों में काम करते हैं तो ज्यादा प्रीमियम देना होगा. एक्सीडेंट इंश्योरेंस पॉलिसी का सालाना प्रीमियम औसतन 140 रुपए प्रति लाख के करीब होता है. उदाहरण के लिए अगर आप 20 लाख रुपए कवर की पॉलिसी लेते हैं तो करीब 2800 रुपए सालाना प्रीमियम देना होगा. महंगाई के दौर में यह रकम कोई मायने नहीं रखती.
कैसे खरीदें?
सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां ऑनलाइन और ऑफलाइन दुर्घटना बीमा बेच रही हैं. पॉलिसीबाजार जैसे किसी एग्रीगेटर के जरिए भी ये पॉलिसी खरीद सकते हैं. इस मामले में बीमा एजेंट की भी मदद ले सकते हैं. दुर्घटना बीमा का कवर भी टर्म इंश्योरेंस की तरह चुनना चाहिए. यह कवर आपकी सालाना आय का कम से कम 10 गुना होना चाहिए.
कब नहीं मिलेगा कवर?
अगर बीमाधारक की अपनी गलती के कारण दुर्घटना हुई है तो कंपनी क्लेम नहीं देगी. इसी तरह किसी दंगे में लगी चोट, युद्ध के कारण किसी भी तरह की चोट या मौत व जन्मजात विकलांगता आदि दुर्घटना बीमा में कवर नहीं किए जाते. अगर बीमाधारक नशे की हालत में अपनी ही गलती के कारण किसी दुर्घटना का शिकार होता है तब भी कंपनियां बीमा की रकम नहीं देती हैं. इसी तरह एडवेंचर स्पोर्ट्स के दौरान शऱीर को कोई नुकसान हुआ है तो इसके लिए कोई क्लेम नहीं मिलेगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि दुर्घटना कभी भी और किसी के भी साथ हो सकती है. ऐसे में हर कमाने वाले व्यक्ति को टर्म इंश्योरेंस की तरह पर्सनल एक्सीडेंट कवर भी जरूर लेना चाहिए. इस मामले में ग्रुप इंश्योरेंस या फिर राइडर के कवर पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस पॉलिसी का दायरा काफी व्यापक होता है. संकट के समय अलग से ली गई पॉलिसी ही आपके परिवार की जरूरतें पूरी कर सकती है. कुछ बीमा कंपनियां परिवार के मुखिया के साथ पत्नी और बच्चों के कवर को भी शामिल करती हैं. इसमें पत्नी को मूल पॉलिसीधारक का 50 फीसद और बच्चों को 25 से 30 फीसद तक का कवर मिल जाता है. हालांकि इसके लिए कुछ अतिरिक्त प्रीमियम देना होगा.
अगर आपने अभी तक दुर्घटना बीमा नहीं लिया है तो इस काम को जल्द पूरा कर लें. सौरभ जैसी गलती कतई मत करना है. आपकी यह गलती परिवार के लिए भारी पड़ सकती है.