कई लाइफ इंश्योरेंस (insurance) कंपनियां अपने लाभ का एक हिस्सा बोनस के रूप में आवंटित करती हैं. यह बेसिक बीमा राशि के अतिरिक्त मिलने वाला भुगतान है और इसे पॉलिसी की शर्तों के आधार पर मैच्योरिटी पर या बीमा लेने वाले की मृत्यु होने पर भुगतान किया जा सकता है. मिलियन डॉलर राउंडटेबल से जुड़े LIC सीनियर एजेंट देबाशीष दत्ता के मुताबिक “बोनस पॉलिसी का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. लेकिन सभी पॉलिसियां बोनस अमाउंट पाने की हकदार नहीं होती हैं. सिर्फ पारंपरिक पॉलिसी जो ‘लाभ के साथ’ कैटेगरी के अंतर्गत आती हैं जैसे संपूर्ण जीवन, धन-वापसी, या बंदोबस्ती योजनाओं में बोनस मिल सकता है.
दत्ता ने कहा कि नॉन-प्रॉफिट पॉलिसियों में बोनस मिलने की हकदार नहीं होती हैं. उन्होंने कहा कि “बोनस राशि फिक्स नहीं होती है और बदलती रहती है.
अलग-अलग तरह के बोनस होते हैं, जो लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां ग्राहकों को ऑफर करती हैं. डालिए एक नजर
कुल रिविजनरी बोनस
रिविजनरी बोनस पॉलिसीधारक या नॉमिनी वाले इंसान को देय कुल राशि में मूल्य जोड़ता है. इस प्रकार के बोनस की कैलकुलेश केवल राशि के आधार पर की जाती है और इसका सालाना ऐलान किया जाता है.
बोनस सुनिश्चित अमाउंट राशि पर एक घोषित प्रतिशत है और इसे पहले से हासिल किए जा चुके बोनस के साथ जोड़ा जाता है.
आमतौर पर, बोनस का ऐलान वित्त वर्ष के आखिर में किया जाता है. हालांकि, बीमाकर्ता की मौत या पॉलिसी मैच्योर होने पर इंश्योरेंस कंपनियां अंतरिम बोनस पहले दे देती हैं. यह पहल सुनिश्चित करती है कि पॉलिसीधारक, या उसके लाभार्थी, बोनस घोषणा तिथि और पॉलिसी क्लेम/मैच्योरिटी तारीख के बीच की शॉर्ट टर्म के परिणामस्वरूप अतिरिक्त भुगतान से वंचित नहीं हैं.
एक बीमा कंपनी अपने पॉलिसीधारकों को कैश में अर्जित बोनस देने का फैसला कर सकती है. ये बोनस मैच्योरिटी की जगह सालाना आधार पर दिया जाता है.
ये मैच्योरिटी और क्लेम के वक्त एक बार में दिया जाने वाला बोनस है. यह उन पॉलिसियों के लिए बीमा कराने वाले ग्राहकों के फैसले के अनुसार भुगतान किया जाता है, जिन्होंने अपना पूरा टेन्योर पूरा किया है. छोड़ी जा चुकी पॉलिसी या वे जिन्होंने पेड-अप को पूरा कर लिा है, वो इस बोनस के योग्य नहीं हैं.