Nominee: अगर आपने भी इंश्योरेंस पॉलिसी ली है, तो नॉमिनी (Nominee) जरूर बना लें. नहीं तो बड़ा नुकसान हो सकता है.
नॉमिनी नहीं होने की स्थिति में पैसे मिलना मुश्किल होता है. नॉमिनी न होने पर पैसे लंबे समय तक अटके रह सकते हैं. उन्हें हासिल करने में कानूनी दांवपेच में लंबा समय निकल जाता है.
नॉमिनी के बारे में लोगों में कई तरह की गफलत है. नॉमिनी सिर्फ पैसे या संपत्ति का केयरटेकर यानी देखभाल करने वाला होता है. वह आपके पैसों का हकदार नहीं होता. नॉमिनी को आपके बाद आपके लीगल वारिस को पैसे सौंपना जरूरी होता है.
नॉमिनी और लीगल वारिस एक भी हो सकते हैं. आप अपना नॉमनी अपने जीवन साथी (पति/पत्नी) अपने बच्चे, आपके माता-पिता, परिवार का कोई और सदस्य या फिर अपने किसी खास मित्र को बना सकते हैं.
अगर एक से ज्यादा उत्तराधिकारी हैं और उनमें से केवल एक ही क्लेम करता है तो ऐसी स्थिति में सभी कानूनी उत्तराधिकारी से सहमति लेना भी जरूरी है.
इसके लिए एक एफिडेविट-कम-इन्डेम्निटी बॉन्ड साइन करना होता है, जिसमें सभी कानूनी उत्तराधिकारियों की सहमति होती है. इसे साइन करने के बाद सभी कानूनी उत्तराधिकारी इंश्योरेंस कंपनी के पास अलग-अलग क्लेम नहीं कर सकते हैं.
संपत्ति के मालिक की मृत्यु के बाद नॉमिनी का असली भूमिका होती है. नॉमिनी न होने की स्थिति में पैसे मिलना मुश्किल होता है. नॉमिनी न होने पर पैसे लंबे समय तक अटके रह सकते हैं. उन्हें हासिल करने में कानूनी दांवपेच में लंबा समय निकल जाता है.
नॉमिनी की भी मृत्यु हो जाने या पॉलिसीधारक द्वारा नॉमिनी नहीं रजिस्टर्ड कराने की स्थिति में कानूनी उत्तराधिकारी के पास क्लेम करने का विकल्प होता है.
लेकिन, उन्हें भी यह साबित करना होता है कि वे ही असली कानूनी उत्तराधिकारी हैं, लेकिन नॉमिनी के रहने पर प्रक्रिया आसान हो जाती है.
-बैंक में खाता खोलते समय
-निवेश करते समय
-इंश्योरेंस लेते समय
नॉमिनी के नहीं रहने पर कानूनी उत्तराधिकारी के पास यह अधिकार होता है. हालांकि, इसके लिए कानूनी उत्तराधिकारी को कई तरह के डॉक्युमेंट्स देकर यह साबित करना होता है कि वे ही कानूनी रूप से उत्तराधिकारी हैं.
उन्हें मृत्यु प्रमाण प्रत्र, लाभार्थी का पहचान पत्र, पॉलिी के कागज, अस्पताल जाने की स्थिति में डिस्चार्ज फॉर्म, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट, अप्राकृतिक मौत की स्थिति में अस्पताल के रिकॉर्ड्स सबमिट करने होते हैं.
इसके अलावा कानूनी उत्तराधिकारी को किसी कोर्ट से जारी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र भी जमा करना होता है. इससे यह साबित होता कि मृत पॉलिसीधारक के बाद उनकी संपत्ति पर कानूनी उत्तराधिकारी का ही हक है.
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