No Smoking Day: एक बुरी आदत आपके जेब पर पड़ती है कितनी भारी?..

No Smoking Day: सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस ही नहीं, स्मोकर्स को टर्म इंश्योरेंस के लिए भी ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता है.

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Picture: Pixabay

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धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है ये बताना कोई नई बात नहीं होगी ना ही ये कहना कि धूम्रपान (Smoking)  से कैंसर होता है. पर धूम्रपान करने वाले ये अंदाजा नहीं लगा पाते कि धूम्रपान करना उनकी फाइनेंशियल सेहत पर कितना बड़ा प्रभाव डालता है. हर साल मार्च के दूसरे हफ्ते के बुधवार को नो-स्मोकिंग डे मनाया जाता है ताकि लोगों को धूम्रपन छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. यहां समझिए कि आपकी फाइनेंशियल सेहत पर धूम्रपान का असल असर कितना होता है?

कंपाउंडिंग के फायदा ना ले पाना
लैडर7 फाइनेंशियल एडवाइजर्स के फाउंडर सुरेश सदागोपन के मुताबिक अगर धूम्रपान करने वाला 25 वर्षीय व्यक्ति एक दिन में औसतन 5 सिगरेट लेता है तो 60 साल की उम्र तक 46 लाख रुपये तक खर्च कर देता है.

वहीं अगर इसी 2,250 रुपये को कोई म्यूचुअल फंड में SIP के जरिए निवेश करता है तो 10 फीसदी के सामान्य रिटर्न पर भी 35 साल में 86 लाख रुपये जमा हो जाएंगे.

हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज
अगर आप धूम्रपान (Smoking) करते हैं तो हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता है. चूंकि धूम्रपान करने वालों की सेहत के लिए खतरा ज्यादा है, इंश्योरेंस कंपनियां जोखिम के मुताबिक प्रीमियम भी ज्यादा लेती हैं. धूम्रपान करने वाले लोग कैंसर, सांस की दिक्कतों और हाइपरटेंशन जैसी अन्य कई बीमारियों के ज्यादा जोखिम वालों की कैटेगरी में आते हैं.

सदागोपन का कहना है कि जो लोग काफी ज्यादा स्मोक करते हैं और लाइफस्टाइल सही नहीं हैं उन्हें कई बार हेल्थ इंश्योरेंस देने से मना कर दिया जाता है. या तो उन्हें हेल्थ इंश्योरेंस के बिना रहना पड़ता है या फिर उन्हें सीमित की कवरेज मिलता है. उन्हें अपने इंप्लॉयर से ग्रुप कवरेज मिल सकता है लेकिन वो सीमित रहता है और तब तक ही कारगर होता है जब तक आप वहां कार्यरत हैं.

सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस ही नहीं, स्मोकर्स को टर्म इंश्योरेंस के लिए भी ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता है. पॉलिसीबाजार की CBO – लाइफ इंश्योरेंस, संतोष अग्रवाल का कहना है कि जीवन बीमा का प्रीमियम आवेदक का जॉब प्रोफाइॉल देखकर तय किया जाता है. कंस्ट्रक्शन वर्कर या जेल के अधिकारियों के लिए जोखिम ज्यादा होता है और प्रीमियम भी ज्यादा होता है जबकि बैंकर्स, सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को कम जोखिम की वजह से कम प्रीमियम देना पड़ता है. कम रिस्क वाले जॉब प्रोफाइल में होने के बावजूद एक स्मोकर को ज्यादा प्रीमियम देना पड़ेगा.

संतोष अग्रवाल का कहना है कि धूम्रपान (Smoking) से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है जिससे जान का खतरा रहता है जबकि ज्यादा रिस्क वाली नौकरी में भी जाने की आशंका उतनी नहीं रहती. धूम्रपान को कैंसर, दिल की बीमारियों, स्ट्रोक, ब्रोंकाइटिस और अल्सर जैसी बीमारियों से जोड़ा जाता रहा है.

Published - March 10, 2021, 07:48 IST