हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम को लेकर रवि और सुमित में बहस हो रही है. सुमित का कहना है कि 5 लाख रुपए का अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान 20 हजार रुपए से कम में नहीं मिलेगा लेकिन रवि ने मोलभाव करके 17 हजार रुपए में खरीद लिया. क्या रवि का यह सही फैसला है? शॉपिंग में डिस्काउंट के लिए मोलभाव करना अच्छी बात है. लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस के मामले में डिस्काउंट नहीं बल्कि पॉलिसी के फीचर्स देखने चाहिए. जिस पॉलिसी में ज्यादा फीचर्स होंगे, उसका प्रीमियम थोड़ा ज्यादा होगा. रवि की तरह आपको सस्ते प्रीमियम में सामान्य पॉलिसी मिल तो जाएगी लेकिन उपचार की जरूरत पड़ने पर कई गुना ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं. इस तरह के जोखिम से बचने के लिए डिस्काउंट पर जोर देने के बजाय अच्छी सुविधाएं वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदनी चाहिए. अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस खरीद रहे हैं तो आपकी पॉलिसी में ये फीचर्स जरूर होने चाहिए-
रूम रेंट की लिमिट
हॉस्पिटल में उपचार के दौरान रूम रेंट, डाक्टर की विजिट, जांच व नर्सिंग का बड़ा खर्च होता है. सामान्य हेल्थ प्लान में आमतौर पर रूम रेंट समइंश्योर्ड का 1% होता है. ऐसे में रवि अस्पताल में भर्ती होने पर 5000 रुपए तक का रूम ले सकते हैं. अगर वह किसी बड़े अस्पताल में इलाज कराते हैं और रूम का किराया 10,000 रुपए है तो 5000 रुपए रोजाना के हिसाब से ही क्लेम मिलेगा. यही नहीं, डाक्टर का विजिट चार्ज, नर्सिंग और डायग्नोस्टिक का खर्च भी इसी अनुपात में मिलेगा. इस खर्च से बचने के लिए ऐसी पॉलिसी खरीदें जिसमें रूम रेंट और ICU खर्च की कोई लिमिट न हो.
प्री एंड पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन
बड़ी बीमारी होने पर ही लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं. छोटी-मोटी बीमारी होने पर डॉक्टर से मिलकर घर पर ही इलाज कराते हैं. कई बार यह इलाज लंबा चलता है. इसमें डॉक्टर की फीस, चेकअप और दवाई के एवज में बड़ा खर्च हो जाता है. कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं जिनमें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद महीनों तक इलाज चलता है. बार-बार डॉक्टर को दिखाने, जांच और दवा खरीदने का बड़ा खर्च होता है. एंट्रील लेवल की बीमा पॉलिसी में हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले और बाद का खर्च शामिल नहीं होता. आपको ऐसी पॉलिसी खरीदनी चाहिए जिसमें ये दोनों खर्च कवर हो रहे हों.
क्या है जोखिम?
रवि ने सस्ते के फेर में सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद ली है. भगवान न करे कभी इसकी जरूरत पड़ी तो उन्हें इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा. आखिर अब रवि के पास क्या विकल्प है? क्या वह अपनी गलती को सुधार सकते हैं? जी हां, रवि को अगली बार रिन्यू कराने से पहले अपनी पॉलिसी की समीक्षा करनी चाहिए. इसमें अपनी जरूरत के हिसाब से उन्हें नए-नए फीचर शामिल करने चाहिए. अगर मौजूदा कंपनी के पास ये सुविधाएं नहीं हैं तो इस पॉलिसी को पोर्ट करा लें. और ऐसी कंपनी में शिफ्ट हो जाएं जिसमें उन्हें अपनी जरूरत की सभी सुविधाएं मिल रही हों.
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