जरूरत के आधार पर किया एनालिसिस एक सही इंश्योरेंस असेसमेंट देता है

किसी व्यक्ति की प्रारंभिक मृत्यु की स्थिति में एड्रेस किया जाना चाहिए और उनकी तुलना उपलब्ध संसाधनों(अवेलेबल रिसोर्सेज) से की जानी चाहिए.

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सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो को इंटरेस्ट रेट पर सब्सिडी देती है. जितना भी आपका मोरेटोरियम पीरियड होता है उस दौरान ब्याज सरकार चुकाती है.

सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो को इंटरेस्ट रेट पर सब्सिडी देती है. जितना भी आपका मोरेटोरियम पीरियड होता है उस दौरान ब्याज सरकार चुकाती है.

सही लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खोजने के लिए आपको इमरजेंसी के वक्त अपने और परिवार के सदस्यों की एक्चुअल फाइनेंशियल जरूरतों को कैलकुलेट करना होगा. आवश्यक बीमा राशि निर्धारित करने के आम तौर पर दो तरीके हैं: ह्यूमन लाइफ वैल्यु (HLV) और आवश्यकता-आधारित विश्लेषण(नीड बेस्ड एनालिसिस). आवश्यकता-आधारित विश्लेषण को परिवार की जरूरतों के रूप में भी जाना जाता है.

यह इस आधार पर बेस्ड है कि लाइफ इंश्योरेंस का पर्पस बीमित परिवार के सदस्य की मृत्यु पर परिवार के शेष सदस्यों के तत्काल वित्तीय दायित्वों के साथ-साथ भविष्य में उनके निरंतर वित्तीय दायित्वों को कवर करना है. यह इनकम और मोनेटरी नीड पर फोकस करता है जिसे किसी व्यक्ति की प्रारंभिक मृत्यु की स्थिति में एड्रेस किया जाना चाहिए और उनकी तुलना उपलब्ध संसाधनों(अवेलेबल रिसोर्सेज) से की जानी चाहिए.

यह एप्रोच जरूरतों को वर्गीकृत(कैटिगराइज) करता है और उनकी प्राथमिकता को स्थापित करता है. व्यक्तिगत और पारिवारिक आवश्यकताओं को निर्धारित किया जाना चाहिए. इसके अलावा, मौजूदा और फ्यूचर नीड की जरूरतों को कैलकुलेट किया जाता है. इस एनालिसिस के जरिए बीमाधारक की और उसपर डिपेंड लोगों की वास्तविक जरूरतों पर विचार किया जाता है, जबकि HLV तकनीक केवल बीमित व्यक्ति की पूरे जीवन भर की संचयी कमाई(क्युमुलेटिव इनकम) पर विचार करती है.

इसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है?

आइए एक उदाहरण से समझते हैं. नीड-बेस्ड अप्रोच(आवश्यकता-आधारित दृष्टिकोण) दो सिद्धांतों पर आधारित है: मृत्यु पर मौद्रिक दायित्वों(मोनेटरी ऑब्लिगेशन) को पूरा करने के लिए कितने धन की आवश्यकता होगी? और भविष्य में घर चलाने के लिए कितने अतिरिक्त राजस्व(एडिशनल रेवेन्यू) की जरूरत है?
मान लें कि सुनील अपनी पत्नी और 3 साल की बेटी के लिए बीमा की राशि निर्धारित करने की कोशिश कर रहा है. यदि वो नीड एनालिसिस अप्रोच(आवश्यकता विश्लेषण दृष्टिकोण) का इस्तेमाल करता है, तो उसे पहले अपने परिवार की तात्कालिक जरूरतों को अपने शेष वर्षों के लिए निम्नानुसार निर्धारित करना चाहिए:

(a) फैमिली मेडिकल एक्सपेंस: 7 लाख रुपये; लोन सहित क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि: 50 लाख रुपये; इमरजेंसी फंड: 15 लाख रुपये. कुल राशि 72 लाख रुपये आती है.

(b) इसके अलावा, सुनील को अपनी वर्तमान और भविष्य की जरूरतों और अपने परिवार के एक्सपेंस का कैलकुलेशन करना है जिसमें शामिल हैं: 20 साल के लिए उनकी बेटी की जरूरतें और एजूकेशन एक्सपेंस: 30 लाख रुपये; उसके पति या पत्नी को अगले 30 वर्षों के लिए जरूरत है अगर वो कमाते नहीं है: 1 करोड़ रुपये. कुल: 1.30 करोड़ रुपये.

(c) दोनों को जोड़कर, राशि 2.02 करोड़ रुपये है; यह वो अमाउंट है जिसकी उसके परिवार को उसकी मृत्यु होने पर जरूरत होगी. =(a) + (b)

(d) साथ ही, उसे अपने पास उपलब्ध कुल संपत्ति का अनुमान लगाना होगा, यानी उसकी संपत्ति में बैंक जमा है: 7 लाख रुपये; स्टॉक, म्यूचुअल फंड और एफडी में निवेश, रिटायरमेंट सेविंग: 4 लाख रुपये; पब्लिक प्रोविडेंट फंड: 10 लाख रुपये; मौजूदा इंश्योरेंस कवर: 9 लाख रुपये. सबटोटल: 30 लाख रुपये.

(e) इसका मतलब है कि उसकी वास्तविक जीवन बीमा जरूरत उसके परिवार की जरूरतों के बीच का अंतर है, यानी 2.02 करोड़ रुपये, और उसकी मौजूदा संपत्ति 30 लाख रुपये का अंतर होगा 1.72 करोड़ रुपये. = (c) – (d)
इसका मतलब है सुनील के लिए, उनकी वास्तविक जीवन बीमा आवश्यकता 1.72 करोड़ रुपये होगी. यह एप्रोच बीमित व्यक्ति की मृत्यु के बाद विभिन्न समयावधियों के दौरान आपके परिवार के अनुमानित खर्च का पूरी तरह से आकलन करके जीवन बीमा की जरूरतों का वास्तविक मूल्यांकन देता है.

Published - July 11, 2021, 03:06 IST