प्रीमियम में हो सकता है 20-40 फीसदी का इजाफा, बीमाधारकों की जेबों पर बढ़ेगा बोझ

Life Insurance Premiums: कई कंपनियों ने पहले ही भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) से शुल्क बढ़ाने की अनुमति मांगी है.

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पिछले हफ्ते ईटी को दिए एक इंटरव्यू में एलआईसी (LIC) के चेयरमैन एमआर कुमार ने कहा कि उनकी कंपनी अभी भी रिइंश्योरेंस के साथ बातचीत कर रही है

पिछले हफ्ते ईटी को दिए एक इंटरव्यू में एलआईसी (LIC) के चेयरमैन एमआर कुमार ने कहा कि उनकी कंपनी अभी भी रिइंश्योरेंस के साथ बातचीत कर रही है

Life Insurance Premiums: नए साल से बीमाकर्ताओं को थोड़ी ओर जेब ढीली करनी पड़ेगी, क्योंकि वर्ष 2022 में रिइंश्योरेंस कंपनियां शुल्क बढ़ा सकती है इसके चलते बीमाधारकों की प्रीमियम में 20 से 40 फीसदी का इजाफा होगा. प्रीमियम की राशि बढ़ने से बीमा कंपनियों को अच्छा मुनाफा हो सकता है लेकिन इसका बोझ सीधा ग्राहकों पर पड़ेगा. कई कंपनियों ने पहले ही भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) से शुल्क बढ़ाने की अनुमति मांगी है, जबकि कुछ वैश्विक रिइंश्योरेंस कंपनियों के साथ बढ़ोतरी को कम करने के लिए बातचीत जारी है.

द इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार, रिइंश्योरेंस एक तरह जीवन बीमा कंपनियों का इंश्योरेंस होता है. जीवन बीमा कंपनियां अपने कई तरह के जोखिम को कवर करने के लिए रिइंश्योरेंस कंपनियों को शुल्क देती हैं. अगर प्रीमियम की राशि बढ़ती है तो पॉलिसी को लेकर डिमांड कम हो सकती है. प्रीमियम में वृद्धि से ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की पॉलिसी पर असर पड़ने की संभावना है. फेडरल लाइफ इंश्योरेंस के सीईओ विघ्नेश शहाणे ने कहा, प्रीमियम में वृद्धि जल्द ही लागू की जाएगी.” जीवन बीमा प्रीमियम बढ़ने की बड़ी वजह कोरोना महामारी है. बड़ी कंपनियां अभी भी वृद्धि को न्यूनतम रखने के लिए बातचीत कर रही हैं.

रिइंश्योरेंस कंपनियों से जारी है बातचीत

पिछले हफ्ते ईटी को दिए एक इंटरव्यू में एलआईसी (LIC) के चेयरमैन एमआर कुमार ने कहा कि उनकी कंपनी अभी भी रिइंश्योरेंस के साथ बातचीत कर रही है क्योंकि कोविड महामारी आने के बावजूद कंपनियों ने काफी लाभ कमाया है और अभी भी बीमा की अच्छी मांग है. उन्होंने यह भी आगाह किया कि प्रीमियम में वृद्धि से मांग प्रभावित हो सकती है. कुमार ने आगे कहा, आज के समय में लोग बीमा को लेकर जागरूक हो रहे हैं और इसकी अधिक मांग है अगर हम दरों में बढ़ोतरी करते हैं तो इसका असर होगा. इस साल की चौथी तिमाही में हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है.

क्या कहते हैं मामले से जुड़े जानकार

मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि कीमतों को पिछले छह महीने से बढ़ाने की चर्चा चल रही है. अब इसका टलना मुश्किल है. इंश्योरेंस कंपनियों को इस बात का भी डर है कि अगर ग्राहकों पर बोझ बढ़ेगा को पॉलिसी की मांग में कमी न आ जाए. इससे तो आगे चलकर और अधिक घाटा होने की संभवना है. छोटी इंश्योरेंस कंपनियां पहले ही घाटे में हैं ऐसे में यह फैसला उनके लिए बड़ी मुसीबत पैदा कर सकता है.

Published - November 22, 2021, 11:57 IST