जीवन बीमा दो साल में हो गया इतना महंगा
बीमा एजेंट पॉलिसी रिन्यू के लिए पिछले साल से ज्यादा पैसा मांग रहे . यानी केवल जीवन जीने की लागत नहीं बढ़ी जोखिम की सुरक्षा भी महंगी हो गई .
महंगाई की पड़ताल में आज का उत्पाद बीमा है . सर्फ साबुन, पेट्रोल-डीजल, आटा-तेल, दूध-मख्खन, मोबाइल टैरिफ आदि की महंगाई से आप खीज चुके हों तो आज बारी बीमा की है. क्योंकि बीमा की कीमतें भी पॉलिसीधारकों के पसीने छुड़ा रहीं.
बीमा एजेंट पॉलिसी रिन्यू के लिए पिछले साल से ज्यादा पैसा मांग रहे . यानी केवल जीवन जीने की लागत नहीं बढ़ी जोखिम की सुरक्षा भी महंगी हो गई .
LIC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीवन बीमा बीते दो साल में 30 फीसद महंगा हो गया . आगे और बढ़ेंगे इसकी तैयारी भी पुख्ता है . स्वास्थ्य बीमा, कार बीमा के प्रीमियम भी औसत 10 से 15 फीसद बढ़ गए .
दरअसल कोविड ने बीमा के बाजार में सारे समीकरण ही बदल दिए . कोरोना से पहले न कभी इतने दावे आए और न ग्राहक बीमा के प्रति इतने जागरूक हुए .
नजीर के तौर पर स्वास्थ्य बीमा को लीजिए . जनरल इंश्योरेंस काउंसिल की रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2020-21 में बीमा कंपनियों ने स्वास्थ्य दावों के लिए कुल 7,900 करोड़ रुपए का भुगतान किया .
कोविड आया तो भुगतान तेजी से बढ़ा . वर्ष 2021-22 में भुगतान की यह रकम बढ़कर 25,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गई . यानी 300 फीसद से ज्यादा .
बीमा दावों में भारी वृद्धि हुई तो रीइंश्योरेंस की दरें 40 फीसद तक बढ़ गई हैं . रीइंश्योरेंस मतलब जब कोई बीमा कंपनी अपने लिए किसी दूसरी कंपनी से बीमा खरीदती है तो उसे रीइंश्योरेंस कहते हैं . जैसे बैंकों का बैंक रिजर्व बैंक … ऐसे ही बीमा कंपनियों का बीमा करने वाली कंपनी रि इंश्योरेंस कंपनी .
अब जब बीमा कंपनियों के लिए प्रीमियम बढ़ा तो वे ग्राहकों तक पहुंचाएंगी ही .
हालांकि जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की शीर्ष संस्था जनरल इंश्योरेंस कौंसिल के महासचिव एमएन शर्मा कहते हैं कि कोविड काल में दावों के भुगतान को लेकर स्वास्थ्य बीमा कंपनियां दबाव में हैं .
नियमों के तहत स्वास्थ्य बीमा कंपनियां तीन साल के अंतराल पर प्रीमियम बढ़ा सकती हैं . लेकिन इसके लिए उन्हें बीमा नियामक इरडा से मंजूरी लेनी होती है .
बढ़ते दावों के भुगतान से राहत के लिए कंपनियों ने इरडा से प्रीमियम बढ़ाने के लिए कई बार मांग की . लेकिन कोरोना काल में स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम में कोई इजाफा नहीं हुआ है . इरडा ने यह मामला हर बार टाल दिया .
यह मामला अभी भी इरडा के पास विचाराधीन है . स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम में कितनी वृद्धि होगी, इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता .
एमएन शर्मा आगे यह भी कहते हैं कि गाड़ियों के थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का प्रीमियम भी पिछले तीन साल से नहीं बढ़ा है .
उद्योग की मांग के बाद केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने राय मांगी . उम्मीद है कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के प्रीमियम में एक से दो फीसद की वृद्धि हो सकती है .
शर्मा जी की बात मानें तो कंपनियों ने तो अभी कीमतें बढ़ाई ही नहीं है . यानी मंजूरी के बाद वाली आधिकारिक ऐलानिया महंगाई तो अभी आनी बाकी है . अभी जो दबे पांव महंगाई आई है वो तो पॉलिसी का गुणा गणित बदलने पर है . पॉलिसी का गुणा गणित मतलब उम्र बढ़ गई, वजन ज्यादा है, सिगरेट शराब का सेवन करते हैं .
जीवन बीमा के बाजार पर हाल में SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट भी आई है . जिसमें देश में बीमा की पहुंच धीमी गति से बढ़ने पर चिंता जताई गई है . देश में बीमा पहुंच बढ़ने की दर 2001-02 में 2.72 फीसद थी जो 2020-21 में बढ़कर 4.20 फीसद हो पाई है.
देश में सिर्फ 30 फीसद लोग ही जीवन बीमा के दायरे में हैं . हालांकि कोविड के बाद बीमा लेने वालों की तादाद बढ़ी है . मार्च में जीवन बीमा कंपनियों का नया बिजनेस प्रीमियम 37 फीसद बढ़कर 59,608 करोड़ रुपए हुआ .
रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया गया है कि बीमा का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार को टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस पर GST की दर घटाकर शून्य या पांच फीसद कर देनी चाहिए . अभी बीमा खरीदने के लिए 18 फीसद GST चुकाना पड़ता है.