पुरानी गाड़ी खरीदने पर बीमा पॉलिसी का ट्रांसफर कराना क्यों है जरूरी?

गाड़ी बेचने वाला व्यक्ति बीमा हस्तांतरण के लिए जिम्मेदार होता है. बीमा हस्तांतरण गाड़ी बेचने के 14 दिन बाद हो जाना चाहिए.

  • Team Money9
  • Updated Date - September 12, 2021, 11:37 IST
Know why it is necessary to transfer the insurance policy on buying an old vehicle

घटना होने के तुरंत बाद आपको रोड टैक्स ऑफिसर से डुप्लिकेट आरसी लेनी चाहिए.

घटना होने के तुरंत बाद आपको रोड टैक्स ऑफिसर से डुप्लिकेट आरसी लेनी चाहिए.

वाहनों की घटती बिक्री के साथ सेकेंडहैंड यानी पुरानी कार खरीदने का चलन बढ़ गया है. अक्सर सस्ते दामों पर कार मिलने के चक्कर में लोग कागजी कार्यवाही पूरी नहीं करते हैं. ऐसे में अगर वह वाहन किसी हादसे का शिकार होता है तो बीमा क्लेम नहीं मिलता है. कार की डील करने में जितना महत्व RC ट्रांसफर का है, उतना ही महत्व कार का बीमा ट्रांसफर (Transferring Car Insurance) कराने का हैं.

क्या कहता है कानून

मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 157 के तहत, गाड़ी बेचने वाला व्यक्ति बीमा हस्तांतरण के लिए जिम्मेदार होता है. बीमा हस्तांतरण गाड़ी बेचने के 14 दिन बाद हो जाना चाहिए. पहले 14 दिनों में गाड़ी पर थर्ड पार्टी कवर अपने आप हस्तांतरित हो जाता है और जारी रहता है. हालांकि, ओन डैमेज कवर नए धारक को पॉलिसी हस्तांतरित होने के बाद ही चालू होता है. अगर 14 दिन के अंदर अंदर हस्तांतरण नहीं किया गया तो 15वें दिन से थर्ड पार्टी कवर समाप्त हो जाता है.

पॉलिसी ट्रांसफर की प्रक्रिया

पॉलिसी ट्रांसफर के लिए गाड़ी खरीदने के प्रमाण पत्र पेश करने होते हैं. ट्रांसफर आरसी, फार्म 29 और 30 भरें. इसमे गाड़ी बेचने वाले के भी हस्ताक्षर होने चाहिए. यहां ट्रांसफर फीस और पुरानी मोटर बीमा की पॉलिसी की कॉपी संलग्न करनी होगी. इसके बाद कंपनी ट्रांसफर की प्रकिया शुरू करेगी.

आरसी में बदलाव के दौरान कुछ समय आरटीओ ऑफिस में भी लगता है. हालांकि अपने नाम पर पॉलिसी ट्रांसफर करवाने के लिए दिए गए दस्तावेज काफी हैं. यहां आरटीओ द्वारा जारी नए आरसी की कॉपी आगे किसी भी तरह की होने वाली गफलत से बचाएगा.

अगर आपकी मोटर बीमा पॉलिसी ट्रांसफर हो जाती है लेकिन आरसी कॉपी ट्रांसफर नहीं होती तो आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि बीमा क्लेम के लिए आरसी ट्रांसफर के प्रमाण देना जरूरी है.

ट्रांसफर की प्रक्रिया जारी रहती है लेकिन पूरी नहीं होती तो क्लैम नहीं मिलता. इसके लिए आरसी की कॉपी बीमा कंपनी के समक्ष पेश करना जरूरी है.

खरीदार को नुकसान

अगर आप भविष्य में होने वाली देनदारियों से बचना चाहते हैं तो सैकेंड हैंड गाड़ी खरीदते वक्त कार बीमा पॉलिसी अपने नाम पर हस्तांतरित करना आवश्यक है. अगर कोई हादसा या दुर्घटना होती है और वाहन के साथ साथ किसी तीसरे पक्ष को भारी नुकसान पहुंचता है तो बीमा क्लेम करने के लिए आपके नाम से पॉलिसी का होना जरूरी है, वर्ना आपका क्लेम खारिज कर दिया जाएगा.

विक्रेता को नुकसान

यदि आप गाड़ी बेच देते हैं तो आपको वाहन बीमा पॉलिसी नए मालिक के नाम ट्रांसफर करवा देनी चाहिए. यदि नया मालिक किसी दुर्घटना मे थर्ड पार्टी नुकसान करेगा तो पॉलिसी अभी भी आपके नाम पर होने से थर्ड पार्टी लायबिलिटी भरने के जिम्मेदार आप होंगे.

नो-क्लेम बोनस का फायदा नहीं मिलेगा

क्लेम नहीं करने पर आपको नो-क्लेम बोनस मिलता है, जिसका लाभ पॉलिसी रिन्युअल के समय प्रीमियम पर डिस्काउंट के रूप में मिलता है.

Published - September 12, 2021, 11:37 IST