जानिए मैटरनिटी इंश्योरेंस से जुड़ी कुछ अहम बातें

मैटरनिटी इंश्योरेंस एक ऐड-ऑन कवर है जो पॉलिसी होल्डर इंडिविजुअल या फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ चुन सकते हैं.

  • Team Money9
  • Updated Date - September 26, 2021, 12:36 IST
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सही ढंग से भरे फॉर्म और दस्तावेजों के साथ नॉमिनी या उत्तराधिकारी को मृत बीमाधारक की मृत्यु की तारीख, मृत्यु का स्थान और मृत्यु का कारण बताते हुए एलआईसी ब्रांच को सूचित करना होता है

सही ढंग से भरे फॉर्म और दस्तावेजों के साथ नॉमिनी या उत्तराधिकारी को मृत बीमाधारक की मृत्यु की तारीख, मृत्यु का स्थान और मृत्यु का कारण बताते हुए एलआईसी ब्रांच को सूचित करना होता है

लगभग हम सभी के पास सिंगल या मल्टीपल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होती हैं. हमारे पास कुछ राइडर या ऐड-ऑन कवरेज भी है. मैटरनिटी बेनिफिट हेल्थ इंश्योरेंस (Maternity Insurance) से जुड़ी खास चीजों में से एक है. आमतौर पर मैटरनिटी बेनिफिट डिफॉल्ट कवरेज के तौर पर नहीं आता है. या तो इसे राइडर के रूप में लेना होगा या केवल मैटरनिटी स्पेसिफिक इंश्योरेंस कवरेज (Maternity Insurance) का ऑप्शन चुनना होगा, जिसमें डिलीवरी से पहले और बाद के खर्चे का ध्यान रखा जाएगा. भारत में एक प्राइवेट जाने-माने हॉस्पिटल में एक बच्चे को जन्म देने की एवरेज कॉस्ट लगभग 1.5 लाख रुपये हो गई है.

ज्यादातर इंश्योरर जो महिलाएं पहले से ही प्रेग्नेंट हैं उन्हें मैटरनिटी इंश्योरेंस प्रोवाइड नहीं करते हैं. एक्सपर्ट की सलाह है कि यह पॉलिसी शादी के तुरंत बाद ली जानी चाहिए क्योंकि मैटरनिटी इंश्योरेंस एक लंबे वेटिंग पीरियड के साथ आता है. आम तौर पर, पॉलिसी होल्डर को यह कवरेज पाने के लिए लगभग तीन साल तक इंतजार करना पड़ता है.

यहां कुछ खास पॉइंट दिए गए हैं जिन्हें मैटरनिटी प्लान लेते समय ध्यान में रखना चाहिए

1. मैटरनिटी इंश्योरेंस एक ऐड-ऑन कवर है जो पॉलिसी होल्डर इंडिविजुअल या फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ चुन सकते हैं. आपको यह देखना होगा कि आपका इंश्योरेंस कवरेज क्या ऑफर कर रहा है.

2. बेनिफिट लेने के लिए कम से कम 3 से 4 साल का वेटिंग पीरियड है. इसलिए सलाह दी जाती है कि जल्द से जल्द इस स्पेशल बेनिफिट को चुनें.

3. मैटरनिटी इंश्योरेंस में नर्सिंग और कमरे का चार्ज, डॉक्टर कंसल्टेशन, सर्जन फीस और एनेस्थेटिस्ट कंसल्टेशन के साथ-साथ अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के खर्च शामिल हैं. इन बेनिफिट के साथ, मैटरनिटी ऐड-ऑन नवजात शिशु के किसी भी मेडिकल कॉम्प्लिकेशन, वैक्सीनेशन चार्ज आदि के कारण होने वाले खर्चों का भी भुगतान करता है.
4. आपको नॉर्मल डिलीवरी और C-सेक्शन दोनों के लिए मैटरनिटी बेनिफिट्स के कवरेज के बारे में अच्छी तरह से जानकारी होनी चाहिए. क्योंकि दोनों स्थितियों के लिए कवरेज लिमिट अलग है.
5. यह चेक करें कि आपकी कंपनी अपने ग्रुप इंश्योरेंस प्लान में मैटरनिटी प्लान ऑफर करती है या नहीं. ज्यादातर कंपनियां एम्प्लॉई को ग्रुप प्लान के तहत कवर करती हैं और इसलिए, यह सबसे अच्छा ऑप्शन है. एम्प्लॉयर द्वारा दी जाने वाली ज्यादातर ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी 75,000 रुपये की लिमिट तक मैटरनिटी एक्सपेंस को कवर करती हैं.
6. इंश्योरर से सब-लिमिट को क्रॉस चेक करना चाहिए जैसे न्यू-बॉर्न कवरेज लिमिट और मां की डिलीवरी के बाद किसी कॉम्प्लिकेशन आदि की स्थिति में. ये भी पता करें कि क्या कवरेज डिलीवरी के बाद के पीरियड को कवर करता है.
7. यह चेक करना न भूलें कि क्या मैटरनिटी कवर से रिलेटेड कोई स्पेसिफिक एक्सक्लूजन है. मैटरनिटी हेल्थ पॉलिसी खरीदने से पहले, सभी एक्सक्लूजन का भी पता लगाना चाहिए.

Published - September 26, 2021, 12:36 IST