दूसरी बीमा कंपनी में कैसे ट्रांसफर कराएं अपनी हेल्थ पॉलिसी? स्विच करते समय इन बातों का रखें ध्यान

पुरानी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का नो क्लेम बोनस (NCB) भी आपकी नई बीमा पॉलिसी में ट्रांसफर हो जायेगा.

  • Team Money9
  • Updated Date - November 4, 2021, 10:32 IST
Health Policy, Government healthcare spend, investments, total health expenditure, health insurance, 

रिपोर्ट में साफ होता है कि कुल जीडीपी में सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ा है. सरकार ने 2017-18 में कुछ जीडीपी का 1.3 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया है

रिपोर्ट में साफ होता है कि कुल जीडीपी में सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ा है. सरकार ने 2017-18 में कुछ जीडीपी का 1.3 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया है

जैसे आप बिना अपने नंबर को खोए एक मोबाइल ऑपरेटर से स्विच कर दूसरे ऑपरेटर की सेवा ले सकते है, वैसे ही अगर आप अपनी मेडिक्लेम कंपनी से खुश नहीं हैं तो आप अपनी पॉलिसी दूसरी बीमा कंपनी के पास स्वीच (बदल) कर सकते है, वो भी बिना कोई नुकसान उठाए. बीमा कंपनी बदलने की इस प्रक्रिया को पोर्टिंग कहते हैं. हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पोर्टेबिलिटी का कॉन्‍सेप्‍ट सबसे पहली बार बीमा नियामक द्वारा 2011 में पेश किया गया था. कंपनी बदलने के बावजुद ग्राहक को पिछली पॉलिसी की अवधि के दौरान पूरे किए गए वेटिंग पीरियड का क्रेडिट भी मिलता है.

क्या क्या हो सकता है पोर्ट और क्या है लाभ?

पुरानी बीमा पॉलिसी में समय-सीमा वाले प्रावधान जैसे की पॉलिसी खरीदने के बाद 30 दिन का वेटिंग पीरियड, पुरानी बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि और किसी खास बीमारी के लिए वेटिंग टाइम आदि नई पॉलिसी में पोर्ट हो जाते हैं. पुरानी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का नो क्लेम बोनस (NCB) भी आपकी नई बीमा पॉलिसी में ट्रांसफर हो जायेगा. पोर्टेबिलिटी का बड़ा लाभ यह है कि आप अपने मेडिकल खर्चो पर नियंत्रण रख पाते है. आप ऐसा करते हुए पुराने प्लान का कोई भी लाभ खोते नहीं है. कम या उसी प्रीमियम में अच्छी सर्विस और बेनिफिट प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि, कोई भी दो बीमा योजना बिल्कुल समान नहीं होती हैं. ऐसे में आपको सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार करना चाहिए.

इन तरीकों से करें पोर्ट

1. रिन्युअल (नवीकरण) की तारीख से 45 दिन पहले दोनों, अपने पुराने और नए बीमा कंपनियों, को पोर्टिंग के बारे में सूचित करे.

2. अगर आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट करना चाहते हैं तो आपको नई पॉलिसी का प्रपोजल फॉर्म और पोर्टेबिलिटी फॉर्म भरना पड़ेगा. इस फॉर्म में आपको पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्ति का नाम एवं अन्य डीटेल, खरीदी जाने वाली पॉलिसी का नाम, पुरानी बीमा कंपनी का नाम और पॉलिसी किसके नाम से खरीदी जानी है, यह सब लिखना जरूरी है.

3. ग्राहक से आवेदन मिलने के बाद, नई स्‍वास्‍थ्‍य बीमा कंपनी ग्राहक के मेडिकल एवं क्‍लेम्‍स संबंधी इतिहास को जानने के लिए मौजूदा बीमा कंपनी से संपर्क कर सकती है. इस स्थिति को समझते हुए, नई स्‍वास्‍थ्‍य बीमा कंपनी प्राप्त सूचनाओं और अंडरराइटिंग दिशानिर्देशों के आधार पर प्रपोज़ल को स्वीकार कर सकती है या उसे खारिज किया जा सकता है.

इन बातों का रखें ख्याल

1. यह विकल्प तभी चुनना चाहिए जब कंपनी द्वारा प्रदान किए जा रहे तरह-तरह के लाभ आकर्षक हों
2. नइ पोलिसी परिवार की लंबे समय की हेल्‍थकेयर जरूरतों को पूरा कर सकती है या नहीं वो भी ध्यान में रखे.
3. अस्पतालों का ज्यादा बड़ा नेटवर्क वाली बीमा कंपनी में पोर्टिंग से आपको लाभ हो सकता है.
4. अगर आपकी पुरानी पॉलिसी एक्सपायर हो गयी है तब उसे किसी दूसरी कंपनी के पास पोर्ट नहीं करा सकते.
5. अगर आप पहले से कइ बीमारीयों को साथ लेके चल रहे हैं तो पोर्ट मत करवाएं क्योंकी नइ कंपनी प्रपोजल रिजेक्ट कर देगी या ज्यादा प्रीमियम की मांग करेगी.

Published - November 4, 2021, 10:32 IST