इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी के समय इन बातों का रखें ध्यान, नहीं तो पड़ सकता है पछताना

इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी का इस्तेमाल तभी करना चाहिए, जब आपको अतिरिक्त सुविधाएं, लंबी अवधि के लाभ और अच्छी सेवाएं प्राप्त हो रही हों.

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इंश्योरेंस कंपनी आपका हेल्थ स्टेटस जानने के बाद पॉलिसी को जारी करते हैं. कई मामलों में, खरीदने वाला का मेडिकल टेस्ट भी जरूरी होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इंश्योरेंस कंपनी आपकी हेल्थ के बारे में जानना चाहती थी.

इंश्योरेंस कंपनी आपका हेल्थ स्टेटस जानने के बाद पॉलिसी को जारी करते हैं. कई मामलों में, खरीदने वाला का मेडिकल टेस्ट भी जरूरी होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इंश्योरेंस कंपनी आपकी हेल्थ के बारे में जानना चाहती थी.

महामारी के बीच बढ़ते मेडिकल खर्च आदि ने हमें अपनी मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में दोबारा सोचने को मजबूर कर दिया है. कई लोग मौजूदा कवर को राइडर वगैरह के जरिए बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही, कुछ लोग अपनी मौजूदा पॉलिसी को नई कंपनी की पॉलिसी में बदलने के बारे में सोच रहे हैं, ताकि वे अतिरिक्त कवर या सुविधाएं प्राप्त कर सकें. इस बीच, टीवी के लुभावने विज्ञापन आपको इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी के लिए मजबूर कर सकते हैं, हालांकि ऐसा करना एक महत्वपूर्ण फैसला होता है. गलत फैसले से आपको नुकसान भी हो सकता है.

जब कोई पॉलिसी होल्‍डर अपने मौजूदा प्लान को दूसरी कंपनी के प्लान में तब्दील करता है तो इसे इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी कहते हैं. इस दौरान मौजूदा सेवाओं को बनाए रखने के साथ नई सुविधाएं लेने की इच्छा होती है. साथ ही यदि किसी कंपनी ने सही समय पर, जैसे क्लेम आदि, उचित सेवाएं नहीं प्रदान की हैं तो भी पॉलिसी होल्‍डर ऐसा करने के बारे में विचार करता है.

हालांकि कुछ मामलों में ऐसा करना नुकसानदायक भी साबित हो सकता है. ये नुकसान अतिरिक्त वेटिंग पीरियड या एक्स्ट्रा प्रीमियम के रूप में होते हैं. यानि, मौजूदा पॉलिसी में आपको जो फायदे मिलने वाले हैं, उससे आप दूर हो सकते हैं. इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी का इस्तेमाल तभी करना चाहिए, जब आपको अतिरिक्त सुविधाएं, लंबी अवधि के लाभ और अच्छी सेवाएं प्राप्त हो रही हों.

इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी के समय इन बातों का रखें ध्यान

अपर्याप्त सेवाएं: जब बात पैसे और स्वास्थ्य की हो तो कोई भी व्यक्ति खराब सर्विस को स्वीकार नहीं कर सकता. यदि आपकी मौजूदा बीमा कंपनी कुछ साल बाद ठीक तरह से सेवाएं नहीं दे पा रही तो आपको तुरंत नई बीमा कंपनी की ओर चले जाना चाहिए.

कोई अतिरिक्त कवरेज नहीं: हमें अपने या अपने परिवार के स्वास्थ्य के बारे में पता होता है और संभव है कि आज नहीं तो कल कोई बीमारी हो सकती है. यदि आपकी मौजूदा कंपनी अतिरिक्त कवरेज देने से इनकार कर रही है तो आपको नई कंपनी को चुन लेना चाहिए.

अपर्याप्त बीमित राशि: कोरोना महामारी की वजह से बहुत से लोगों को यह एहसास हो चुका है कि अब 2 से 5 लाख रुपये के हेल्थ कवरेज पर्याप्त नहीं है. यदि आपके मौजूदा प्लान पर पर्याप्त कवरेज नहीं है तो, दूसरी कंपनी का प्लान लेना बेहतर होगा.

पारदर्शिता का अभाव: कई बार ऐसा होता है कि हमारी पॉलिसी में कुछ छुपी हुई या अस्पष्ट शर्तें होती हैं. पॉलिसी लेते समय जिनके बारे में नहीं बताया जाता है. संभव है कि इनकी वजह से आपको क्लेम करते वक्त दिक्कतों का सामना करना पड़े. आपको ऐसी स्थिति से बचना चाहिए, आपको भरोसेमंद सर्विस प्रोवाइडर को चुनना चाहिए.

बेहतर विकल्प: इंश्योरेंस, ऐसा प्रोडक्ट है जिसमें आए दिन नई सर्विस विकसित होती रहती हैं. यदि आपको मौजूदा पॉलिसी की तुलना में कुछ नई सेवाएं, जैसे ज्यादा कवरेज, रूम रेंट, अधिक हॉस्पिटल या कम वेटिंग पीरियड, प्राप्त हो रही हो तो, आपको नई कंपनी के बारे में विचार करना चाहिए.

Published - September 19, 2021, 01:28 IST