जीवन बीमा आपके परिवार को वित्तीय सुरक्षा देता है. ताकि आपके न रहने पर आपके अपने सड़क पर न आ जाएं. बीमे के दौरान व्यक्ति की मौत होने पर परिवार को डेथ बेनेफिट का लाभ मिलता है. Endowment और Money Back जैसी कई पॉलिसियों में टेन्योर पूरा होने पर मैच्योरिटी बेनिफिट भी मिलता है.
जीवन बीमा खरीदने पर सबसे पहले आपको प्रीमियम के साथ जीएसटी (GST) चुकाना होता है. इंश्योरेंस के सबसे सस्ते रूप यानी टर्म इंश्योरेंस पर 18 फीसदी GST है. उदाहरण के लिए, अगर आप 1 करोड़ रुपए का लाइफ कवर लेते हैं, जिसका सालाना प्रीमियम 20 हजार रुपए है तो इसमें से 3,600 रुपए सिर्फ GST के खाते में जाता है. अगर आप टर्म प्लान के साथ एड-ऑन में राइडर लेते हैं तो अतिरिक्त प्रीमियम पर भी 18 फीसदी GST है. इसी तरह, ट्रेडिशनल पॉलिसी जैसे Endowment और Money Back प्लान पर पहले साल के प्रीमियम पर 4.5 फीसदी जबकि बाकी के सालों पर 2.25 फीसदी का GST है. यानी 10,000 रुपए के प्रीमियम में पहले साल 450 रुपए और बाकी टर्म में हर साल 225 रुपएGST देना होगा.
मैच्योरिटी कब होती है टैक्स फ्री?
कई लोग मानते हैं कि बीमे से मिलने वाली रकम टैक्स-फ्री होती है. हालांकि, हर मामले में ऐसा नहीं है. आयकर कानून की धारा 10(10D) बताती है कि लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से मिला मैच्योरिटी अमाउंट टैक्स-फ्री होगा या नहीं. यह डेथ व मैच्योरिटी बेनेफिट और बोनस तीनों पर लागू है. आमतौर पर दो तरह के जीवन बीमा ज्यादा चलन में हैं. पहला टर्म इंश्योरेंस और दूसरा ट्रेडिशनल इंश्योरेंस प्लान, जिसमें Endowment और मनी-बैक जैसे प्लान आते हैं. जो बीमा कवर के साथ निवेश पर रिटर्न का विकल्प देते हैं. इनमें डेथ बेनेफिट के अलावा पॉलिसी की मैच्योरिटी पर सम एश्योर्ड और बोनस मिलता है जबकि प्योर टर्म इंश्योरेंस प्लान सिर्फ डेथ बेनेफिट देते हैं. एक बात ध्यान रखने वाली यह है कि सभी जीवन बीमा पॉलिसी में डेथ बेनेफिट यानी मृत्यु उपरांत नॉमिनी को मिलने वाली रकम टैक्स फ्री रहती है.
मैच्योरिटी पर कब नहीं लगेगा टैक्स?
अब बात मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम पर टैक्स की. आयकर कानून की धारा 10(10D) कहती है कि 31 मार्च 2003 या उससे पहले जारी जीवन बीमा पॉलिसी से मिली रकम पर टैक्स से छूट है. अगर आपने 1 अप्रैल 2003 या उसके बाद कोई जीवन बीमा खरीदा है, जिसका सालाना प्रीमियम, सम एश्योर्ड के 20 फीसदी से ज्यादा है. तो मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम टैक्सेबल होगी. वहीं, एक अप्रैल 2012 या उसके बाद जारी पॉलिसी के लिए यह लिमिट 10 फीसदी है. यानी 1 अप्रैल 2012 के बाद खरीदी गई पॉलिसी का प्रीमियम सम एश्योर्ड के 10 फीसदी से कम है तो टैक्स नहीं देना होगा. वहीं, सेक्शन 80DDB में उल्लेखित बीमारियों तथा 80U के तहत उल्लेखित डिसेबिलिटी से ग्रस्त व्यक्ति के नाम पर ली गई पॉलिसी के मामले में यह लिमिट 15 फीसदी है. यह नियम 1 अप्रैल 2013 से प्रभावी है.
बजट 2023 में किया गया बदलाव
एक अप्रैल 2023 या उसके बाद खरीदी गई जीवन बीमा पॉलिसी या पॉलिसियों का कुल वार्षिक प्रीमियम अगर 5 लाख रुपए से अधिक है, तो मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम टैक्सेबल होगी. यह नियम यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) पर लागू नहीं होगा. अगर ये शर्तें पूरी नहीं होती है तो बीमे की मैच्योरिटी अमाउंट इनकम में जुड़ जाएगा और टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा. इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त आपTDS की रकम का उल्लेख करके रिफंड हासिल कर सकते हैं.