पिछले एक साल में हमारे आसपास की दुनिया काफी बदल गई है. किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि कोविड-19 महामारी इतने बड़े पैमाने पर ग्लोबल महामारी बन जाएगी, जिसका असर हमें हमारे स्वास्थ्य के दायरे से बाहर भी महसूस होगा. महामारी के चलते भारत सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कड़ा लॉकडाउन किया गया. जिसने लोगों के जीवन, उनकी नौकरी, ग्लोबल इकोनॉमी और पर्सनल वेल्थ इन सब पर अपना असर डाला. ऐसे हालातों में लोगों को अपनी हेल्थ को सिक्योर करना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए.
बढ़ती मेडिकल कॉस्ट को देखते हुए अपने परिवार और खुद के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने का सबसे अच्छा तरीका है एक पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करना. ये किसी मेडिकल इमरजेंसी के दौरान हमें फाइनेंशियल राहत देती है.
EMI पर हेल्थ इंश्योरेंस
कोविड -19 की वजह से बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां गई और सभी सेक्टर में सैलरी काटी गईं. जिसकी वजह से कई परिवारों को गंभीर आर्थिक तंगी झेलनी पड़ी. ऐसे मुश्किल हालातों में कई लोगों के लिए इंश्योरेंस प्रीमियम भरना मुश्किल हो सकता है. लेकिन, समान मासिक किश्तों (EMI) की अवेलेबिलिटी ने उन लोगों के लिए स्थिति को आसान कर दिया है, जिन्हें वास्तव में इंश्योरेंस पैक अप की आवश्यकता है, लेकिन कम प्रीमियम अफोर्ड कर पाने की वजह से कम कवरेज वाले प्लान खरीदने के लिए मजबूर थे. हेल्थ इंश्योरेंस EMI के साथ, अब आप वार्षिक एकमुश्त के बजाय किश्तों में प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं.
“हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों के लिए EMI शुरू करने का उद्देश्य एक बार में प्रीमियम भुगतान करने में कस्टमर को होने वाले फाइनेंशियल बर्डन को कम करना है. कस्टमर अब अपनी इंश्योरेंस कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधा के आधार पर मंथली, क्वाटरली या हाफ ईयरली बेसिस पर प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं. बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस में हेड-रिटेल अंडरराइटिंग गुरदीप सिंह बत्रा ने कहा, यह इंश्योरेंस को अफोर्डेबल और सभी इनकम ग्रुप के लिए एक्सेसेबल बनाता है.
पॉलिसी होल्डर के लिए कॉस्ट इफेक्टिव?
नई दिल्ली या मुंबई जैसे मेट्रो शहर में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में 10 दिनों तक रहने पर आज के समय में प्रति व्यक्ति 5-7 लाख रुपये तक का खर्च आसानी से आ सकता है. इसने लोगों को अपनी हेल्थ इंश्योरेंस जरूरतों और भुगतान करने की रणनीतियों की समीक्षा करने के लिए मजबूर किया है. बढ़ती मेडिकल कॉस्ट की वजह से आज हाई सम इंश्योर्ड पॉलिसी लेना लोगों की जरूरत बन गई है. EMI ऑप्शन की वजह से अब ऐसी पॉलिसी ज्यादा लोगों के लिए लेना संभव हो सकेगा.
इसलिए, अब आपको क्वालिटी हेल्थ ट्रीटमेंट से समझौता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मिनी इन्सटॉलमेंट में प्रीमियम का भुगतान करके फायदा उठाया जा सकता है. उदाहरण के लिए, टियर -2 शहर के 35 वर्षीय व्यक्ति (पति या पत्नी और दो बच्चों सहित) के लिए 10 लाख रुपये का इंश्योरेंस लगभग 1,462 रुपये प्रति माह होगा.
इसके अलावा, भारतीय इनकम टैक्स एक्ट, 1961 का सेक्शन 80D पॉलिसी होल्डर को अपनी मेडिक्लेम पॉलिसी पर EMI के रूप में भुगतान किए गए प्रीमियम में 50,000 रुपये तक के टैक्स डिडक्शन को क्लेम करने की इजाजत देता है.
सीनियर सिटीजन के लिए फायदेमंद
सीनियर सिटीजन हेल्थ रिस्क के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और बढ़ता मेडिकल खर्च उनके वित्तीय संकट को और बढ़ाता है. इसलिए, मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के लिए वृद्ध लोगों के लिए एक स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आवश्यक है. कई सीनियर सिटीजन वाइड कवरेज पॉलिसी अफोर्ड करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, क्योंकि ऐज फैक्टर प्रीमियम कॉस्ट को बढ़ाता है. इसलिए, लिमिटेड मंथली इनकम वालों के लिए EMI एक आकर्षक विकल्प है.
बत्रा ने कहा, “सीनियर सिटीजन हमारे समाज का वो वर्ग है जो स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं और उन्हें अपने कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ कवरेज को जारी रखने की आवश्यकता है. हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान इसलिए अब उनके लिए अधिक अफोर्डेबल हो गया है, क्योंकि वो किश्तों में प्रीमियम का भुगतान करने का विकल्प चुन सकते हैं.”
इंश्योरेंस EMI का भुगतान कैसे करें?
कस्टमर अपनी इंश्योरेंस कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधा के आधार पर मंथली, क्वाटरली या हाफ-ईयरली बेसिस पर अपने हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं. यदि आपकी इंश्योरेंस कंपनी ऑनलाइन भुगतान का विकल्प प्रदान करती है, तो बत्रा सुझाव देते हैं, “कस्टमर केवल ऑनलाइन EMI का भुगतान करना चुन सकते हैं. वो इंश्योरर को ऑटो-डेबिट मैं डेट भी प्रोवाइड कर सकते हैं, जिससे आगे पॉलिसी की कंटिन्यूटी और प्रीमियम के रेगुलर ऑनलाइन भुगतान को सुनिश्चित करने के लिए कस्टमर के अकाउंट से प्रीमियम को ऑटो-डेबिट भी किया जा सकता है.
बेसिक प्रीमियम कॉस्ट नहीं बदलेगी चाहे आप मंथली, क्वाटरली या हाफ-ईयरली प्रीमियम भुगतान का कोई भी विकल्प चुनें, कुछ मामलों में इंश्योरर EMI पर हेल्थ प्लान के बेसिस पर थोड़ा ज्यादा प्रीमियम लगा सकता है.
रिया इंश्योरेंस ब्रोकर्स के फाउंडर एस के सेठी ने बताया, “12-बार मंथली EMI हमेशा एनुअल प्रीमियम से महंगी होगी. इंश्योरेंस कंपनियां एडिशनल इनकम कमाने के लिए प्रीमियम रेवेन्यू का निवेश करती हैं”
अब यदि आप मंथली बेसिस पर प्रीमियम का भुगतान करते हैं और प्रीमियम का भुगतान करने के पहले छह महीनों के भीतर क्लेम फाइल करने की आवश्यकता है, तो क्या इंश्योरर आपका क्लेम प्रोसेस करेगा? हां, हालांकि, इंश्योरेंस कंपनी शेष किश्तों में कटौती कर सकती है या क्लेम का फायदा उठाने के लिए आपको पेंडिंग अमाउंट का भुगतान करना पड़ सकता है. ओवरऑल क्लेम प्रोसीजर समान रहता है.
क्या आपको EMI का ऑप्शन चुनना चाहिए?
EMI पर इंश्योरेंस खरीदना समझदारी हो सकती है, क्योंकि इससे पूरी प्रक्रिया आसान हो जाएगी और आप पर भार कम पड़ेगा. इसके अलावा, अब केवल हाई प्रीमियम की वजह से आपको कम कवरेज इंश्योरेंस प्लान को लेने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा. इस कदम से न केवल इंश्योरेंस प्रोडक्ट को और अधिक अफोर्डेबल बनाने में मदद मिलेगी बल्कि यह देश भर में इंश्योरेंस की पहुंच को आगे बढ़ाने में भी मदद करेगा.
इस बात पर ध्यान दें कि आप केवल पॉलिसी रिन्यू करते समय प्रीमियम भुगतान के तरीके को बदल सकते हैं. यदि आपने भुगतान के तरीके को बदलने का मन बना लिया है, तो आपको या तो रिन्यूअल के समय तक इंतजार करना होगा या नई पॉलिसी खरीदनी होगी.