बीमा क्षेत्र में लागू होगा NBFC जैसा मॉडल!

सामान्य बीमा एजेंसियों को लाइसेंस देने पर विचार कर रहा इरडा

  • Updated Date - June 20, 2023, 01:58 IST
बीमा क्षेत्र में लागू होगा NBFC जैसा मॉडल!

pic: freepik

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बीमा क्षेत्र में आपको जल्द ही कुछ नई कंपनियां बीमा पॉलिसी बेचती नजर आ सकती हैं. लेकिन वे बीमा कंपनियां नहीं बल्कि सामान्य एजेंसियां होंगी. जिस तरह वित्तीय क्षेत्र में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) काम करती हैं, सामान्य एजेंसियां बीमा क्षेत्र में इसी तरह काम करेंगी. देश की कई कंपनियों ने बीमा नियामक इरडा से सामान्य एजेंसी के लिए लाइसेंस मांगा है. यह कार्य कितना व्यवहारिक है, बीमा रेगुलेटर इसका आकलन कर रहा है.

कैसे काम करेंगी?
अमेरिका और सिंगापुर के बीमा उद्योग में मैनेज्‍ड जनरल एजेंसी (MGA) काफी लोकप्रिय हैं. भारत में बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटर इसी तरह के मॉडल पर विचार कर रहा है. एमजीए एनबीएफसी की तरह ग्राहकों को जोड़ सकतीं हैं. साथ ही उत्पादों का प्रबंधन, अंडरराइटिंग काम कर सकती हैं और बड़ी बीमा कंपनियों के साथ जोखिम को साझा कर सकती हैं. यानी ये बीमा कंपनियों के लिए नियम और शर्तों को तय करने में मदद करेगा. इतना ही नहीं ये बड़े बीमा निर्माताओं के साथ जोखिम भी साझा कर सकता है. ऐसी संस्थाएं अभी तक भारत में मौजूद नहीं हैं लेकिन जल्‍द ही इसे यहां लाने की तैयारी की जा रही है.

इसी सिलसिले में कुछ फिनटेक कंपनियां इरडा से बीमा बेचने के लिए सामान्य एजेंसी के लाइसेंस की मांग कर रही हैं. अभी तक पॉलिसीबाजार जैसी फिनटेक कंपनियां हैं लेकिन वह बीमा कंपनी के साथ एग्रीगेटर का काम करती हैं. सामान्य एजेंसियां अपनी ओर से बीमा बेचेंगी और इसका नफा-नुकसान खुद ही मैनेज करेंगी. एनबीएफसी बाजार और बैंक से लोन लेकर बैंकों की तरह ही वित्तीय सेवाएं मुहैया करा रही हैं.

जानकारों का कहना है कि आरबीआई की ओर से डिफॉल्ट गारंटी या FLDG दिशानिर्देशों के आने के बाद बीमा उद्योग भी भारत में MGAs स्थापित करने की सोच रहा है. वे बीमा कंपनियों के साथ जोखिम भी साझा करेंगे. ये ठीक वैसे ही काम करेगा जैसे फिनटेक बैंक और एनबीएफसी उधारदाताओं के साथ करते हैं.

क्‍या है मकसद?
बीमा नियामक इरडा के चेयरमैन देबाशीष पांडा के मुताबिक देश में बीमा का दायरा बढ़ाने के मकसद से एमजीए को देश में लाने पर विचार किया जा रहा है. बीमा का विस्‍तार केंद्र सरकार के लिए काफी अहम है. यही वजह है कि इसे बेहतर बनाने के लिए काम किया जा रहा है. IRDAI के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021-22 तक भारत में बीमा की पेनेट्रेशन यानी पहुंच महज 4.2% थी, जो पिछले दो साल से लगातार इसी स्‍तर पर बना हुआ है. बीमा पेनेट्रेशन का मतलब है देश की जीडीपी में कुल बीमा प्रीमियम का योगदान.

टेक्नोलॉजी का चाहिए साथ
बीमा जगत से जुड़े जानकारों का मानना है कि टेक्नोलॉजी की मदद के बिना बीमा क्षेत्र का विस्‍तार नहीं किया जा सकता है. वहीं लाइसेंस के नए फॉरमेट से नई कंपनियाें को तैयार होने में मदद मिलेगी. इसी के जरिए धीरे-धीरे वे बीमा उत्पादों को लोगों के बीच पॉपुलर बनाने में मदद करेंगे.

एमजीए से क्‍या होगा फायदा?
बीमा क्षेत्र में एमजीए के आने से ग्राहकों को उनकी सुविधा के अनुसार बीमा चयन का लाभ मिलेगा. इससे उन्‍हें जो कवरेज चाहिए वह इसे जोड़ सकेंगे. इसके अलावा एमजीए की मदद से इंश्‍योरेंस कंपनियों के लिए रीजनल उत्‍पाद तैयार करने में मदद मिलेगी. एमजीए के जरिए डिस्‍ट्रिब्‍यूशन से जुड़ी समस्‍याएं कम की जा सकती हैं. एमजीए जहां ग्राहकों और उनकी समस्‍याओं पर फोकस करेगा वहीं इंश्‍यारेंस कंपनियां रिस्‍क पर ध्‍यान दे सकती हैं.

Published - June 20, 2023, 01:58 IST