भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण IRDAI ने कहा है कि उसने श्योरिटी बॉन्ड (गारंटी बॉन्ड) के लिए नियमों में ढील दी है. इन बदलावों का उद्देश्य ऐसे उत्पादों की उपलब्धता बढ़ाकर श्योरिटी बीमा के बाज़ार का विस्तार करना है. IRDAI ने इस संबंध में एक सर्कुलर जारी कर कहा है किऐसे उत्पादों के लिए पहले से निर्धारित सॉल्वेंसी मार्जिन 1.875 गुना से घटाकर 1.5 गुना के स्तर पर ला दिया गया है. इसके अलावा हर अनुबंध पर लागू मौजूदा 30 फ़ीसदी की जोखिम सीमा को भी हटा दिया गया है. इससे अब बॉन्ड खरीदने वाले को बैंक या वित्तीय संस्थान ज्यादा पैसा जारी कर पाएंगे और इससे कोई काम आसानी से और समय से हो पाएगा. अभी तक बॉन्ड जारी करने वाले संस्थान अनुबंध मूल्य के 30 फ़ीसदी हिस्से को गारंटी के तौर पर रखते थे.
नियामक ने जनवरी 2022 में ‘IRDAI (श्योरिटी इंश्योरेंस कॉन्ट्रैक्ट) गाइडलाइंस’ जारी की थी. IRDAI ने कहा कि ये संशोधन प्राप्त विभिन्न अभ्यावेदनों के मूल्यांकन के आधार पर किए गए हैं. IRDAI ने कहा कि मौजूदा संशोधनों का उद्देश्य ऐसे उत्पादों की उपलब्धता बढ़ाकर और अर्थव्यवस्था के तमाम क्षेत्रों से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ज्यादा बीमाकर्ताओं के लिए अवसर पैदा करके श्योरिटी बीमा बाज़ार को बढ़ाना है.
क्या होता है श्योरिटी बॉन्ड?
श्योरिटी बॉन्ड एक प्रकार की बीमा पॉलिसी होती है. ये एक वादा होता है जो ये तय करता है कि कोई काम तय किए गए शर्तों और नियमों के आधार पर पूरा किया जाएगा. इसमें 3 पक्ष होते हैं, पहला पक्ष जिसे अपना काम करवाना होता है. दूसरा पक्ष जो काम करता है और बॉन्ड का खरीदार होता है. तीसरा पक्ष बॉन्ड जारी करने वाला होता है. तीसरा पक्ष ही इस बात की गारंटी देता है कि दूसरा पक्ष पहले पक्ष का काम शर्तों के हिसाब से करेगा और अगर वो ऐसा नहीं करता है या कोई और नुकसान करता है तो तीसरा पक्ष पहले पक्ष के नुकसान की भरपाई करेगा.
क्यों लाया गया था श्योरिटी बॉन्ड?
दिसंबर 2022 में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के साथ मिलकर देश का पहला श्योरिटी बॉन्ड इंश्योरेंस लॉन्च किया था. इसका उद्देश्य था कि देश में लेटलतीफी शिकार हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में तेज़ी लाई जाए. इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को समय पर पूरा किया जाए और किसी परेशानी की वजह से ठेकेदार काम बीच में न छोड़ दे.