Health Insurance: IRDAI ने बदल दिए वेटिंग पीरियड और मोरेटोरियम के नियम, आपको होगा ये फायदा

अब पॉलिसी खरीदने से तीन साल से पहले तक की बीमारी पीईडी की कैटेगिरी में आएंगी.

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Health Insurance: भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण यानी IRDAI ने पहले से मौजूद बीमारी यानी Pre-Existing Diseases (PED) से जुड़े नियमों में बदलाव किया है. इससे बड़ी संख्या में हेल्थ बीमा धारकों को फायदा होगा. अभी तक पॉलिसी के लिए आवेदन करने से चार साल पहले तक की बीमारी को पहले से मौजूद बीमारी माना जाता था. IRDAI ने अब इस अवधि को घटाकर 3 साल कर दिया है. यानी अब पॉलिसी खरीदने से तीन साल से पहले तक की बीमारी पीईडी की कैटेगिरी में आएंगी.

Moratorium Period कम हुआ

इसके साथ ही बीमा नियामक ने मोरेटोरियम पीरियड को 8 साल से घटाकर 5 साल कर दिया है. मोरेटोरियम पीरियड का मतलब है कि अगर आपने हेल्थ बीमा पॉलिसी 5 साल तक जारी रख ली है तो फिर बीमा कंपनी किसी बीमारी के क्लेम से मना नहीं कर सकती. ऐसे में सभी तरह के वेटिंग पीरियड समाप्त माने जाएंगे. अगर किसी व्यक्ति ने पॉलिसी पोर्ट कराई है तो पुरानी कंपनी की पॉलिसी अवधि भी मोरेटोरियम पीरियड में शामिल होगी. नए नियम 1 अप्रैल 2024 से लागू हो गए हैं.

Pre-Existing Disease किसे माना जाएगा?

पहले से मौजूद बीमारियों (Pre-Existing Diseases) का इलाज महंगा साबित हो सकता है इसलिए बीमा कंपनियां ऐसी बीमारियों को एक निश्चित अवधि के बाद कवर करती हैं. जिसे वेटिंग पीरियड कहा जाता है. यह पीरियड 2 से 4 साल तक का होता था जो बीमारी के हिसाब से तय होता था. वेटिंग पीरियड खत्म होने के बाद बीमा कंपनियां संबंधित बीमारी के इलाज की सुविधा देती हैं. नियमों के तहत अगर बीमाधारक को पॉलिसी खरीदने के 3 महीने बाद किसी बीमारी का पता चलता है तो वह पहले से मौजूद बीमारी नहीं मानी जाएगी. लेकिन वहीं अगर बीमाधारक को पॉलिसी लेने के 3 महीने के भीतर हार्ट अटैक आता है या डायबिटीज का पता चलता है तो इसे पहले से मौजूद बीमारी माना जाएगा.

पहले से मौजूद बीमारी छुपाना कितना नुकसानदेह

हेल्थ बीमा में पुरानी बीमारी का मुद्दा कितना अहम है, अगर कोई व्यक्ति पुरानी बीमारी को छुपाता है तो क्या हो सकता है, इस बारे में पता करने पर बीमा कंपनी क्या कदम उठा सकती है? आइए एक उदाहरण से इसे समझते हैं-

मान लीजिए रमेश ने एक हेल्थ बीमा पॉलिसी के लिए आवेदन किया है. इरडा के नए नियम के तहत रमेश को अगर पॉलिसी खरीदने के तीन साल पहले तक पुरानी कोई बीमारी है या उसका इलाज चला है तो उन्हें प्रपोजल फॉर्म में इसका खुलासा करना होगा.

अगर बीमा कंपनी को प्रपोजल फॉर्म भरते समय पता चल जाए कि आवेदक या पॉलिसी में शामिल किसी सदस्य को कोई बीमारी है तो वह प्रीमियम की राशि बढ़ा सकती है, को-पेमेंट का क्लॉज जोड़ सकती है या फिर आवेदन को ही रिजेक्ट कर सकती है. को-पेमेंट के तहत किसी बीमारी का इलाज कराने पर इलाज के खर्च का पहले से तय हिस्सा बीमाधारक को अपनी जेब से देना होता है. इसके बाद बाकी की रकम बीमा कंपनी वहन करती है.

अगर रमेश बीमारी को छुपाकर बीमा कवर ले लेते हैं और कुछ महीनों बाद इलाज कराते हैं… इस दौरान बीमा कंपनी को पता चल जाए कि बीमारी पुरानी है तो कंपनी क्लेम को खारिज कर सकती है. यही नहीं… पॉलिसी को भी बंद कर सकती है.

अब समझते हैं बीमा पॉलिसी में कितने तरह के वेटिंग पीरियड जुड़े होते हैं.

शुरुआती वेटिंग पीरियड

रमेश ने पॉलिसी खरीद ली है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह पहले दिन से ही इससे इलाज करा सकते हैं. हेल्थ बीमा पॉलिसी में शुरुआती वेटिंग पीरियड होता है. आमतौर पर यह 30 दिन यानी एक महीने का होता है. इस दौरान रमेश अस्पताल में भर्ती होते हैं उन्हें क्लेम नहीं मिलेगा. हालांकि एक्सीडेंट की स्थिति में क्लेम किया जा सकता है.

पहले से मौजूद बीमारियां

पहले से मौजूद बीमारियों (Pre-Existing Diseases) के लिए बीमा कंपनियों के अलग-अलग वेटिंग पीरियड होते थे. आमतौर पर यह अवधि 2 से 4 साल की होती थी. IRDAI ने अब प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज का मैक्सिकम वेटिंग पीरियड घटाकर 36 महीने यानी 3 साल कर दिया है. पॉलिसी लेने के 3 साल बाद अगर आप पहले से मौजूद किसी बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होते हैं तो आप इंश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं.

विशेष रोग के लिए वेटिंग पीरियड

बीमा पॉलिसी मे कैंसर सर्जरी, हर्निया, मोतियाबिंद और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट जैसी गंभीर बीमारियों के लिए भी वेटिंग पीरियड लगाया जाता है. ये वेटिंग पीरियड दो से चार साल का हो सकता है. पॉलिसी डॉक्‍यूमेंट में इस बारे में स्पष्ट ब्योरा होता है.

मैटरनिटी वेटिंग पीरियड

हेल्थ बीमा में मैटरनिटी के लिए जो लाभ मिलता है उसमें एक से पांच साल तक का वेटिंग पीरियड हो सकता है. हालांकि अधिकांश बीमा कंपनियां मैटरनिटी कवर नहीं देतीं. इसके लिए अलग से राइडर लेना होता है. ग्रुप इंश्योरेंस में मैटरनिटी कवर शुरुआत से भी मिल सकता है.

सेबी रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं हेल्थ बीमा में Pre Existing Diseases यानी पहले से मौजूद बीमारी और मोरेटोरियम पीरियड की परिभाषा में बदलाव बीमा खरीदने वाले के हित में है. अब बीमा कंपनियां किसी पॉलिसी होल्डर को वैसी बीमारी के लिए मना नहीं कर पाएगी जो पॉलिसी खरीदने के तीन साल पहले डिटेक्ट नहीं हुई हैं. बीमा क्लेम के समय पुरानी बीमारी यानी Pre existing Disease का हवाला देकर हेल्थ क्लेम खारिज होने से बचाने के लिए रेगुलेटर ने PED की समय सीमा को 4 से घटाकर 3 साल कर दिया है. इस नियम में बदलाव से ज्यादा लोग हेल्थ बीमा खरीद सकेंगे. IRDAI के इस कदम से देश में हेल्थ बीमा की पहुंच बढ़ेगी.

कुल मिलाकर IRDAI के नए नियमों से बीमाधारकों को फायदा होगा. हेल्थ बीमा का पूरा फायदा उठाने के लिए बीमा पॉलिसी लेते समय प्रपोजल फॉर्म में सही जानकारी दें. पॉलिसी से जुड़े वेटिंग पीरियड के बारे में अच्छी तरह से समझ लें कि पहले से मौजूद बीमारी कितने दिनों बाद कवर होगी.

Published - April 15, 2024, 03:56 IST