जीवन अनिश्चित है. इस कड़वी सच्चाई ने उस समय सबको बहुत प्रभावित किया जब भारत कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी से जूझ रहा था. हांफते हुए मरीजों और अस्पतालों के बाहर मृतक के परिजनों को ले जाने वाली एंबुलेंस की लंबी कतारों के दृश्य हमारी यादों से मिटने में लंबा समय ले सकते हैं. दूसरी लहर के दौरान बढ़ी हुई मृत्यु दर भी इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के दौरान जीवन बीमा कंपनियों के परिणामों में दिखाई देने लगी.
बीमाकर्ता क्लेम की बढ़ती संख्या से परेशान हो सकते हैं लेकिन यह वो पैसा है जो एक कमाते हुए व्यक्ति की मृत्यु से पीड़ित परिवार को सहायता प्रदान करता है.
Q1FY22 डेटा से पता चलता है कि कोविड -19 की दूसरी लहर के दौरान दर्ज की गई मौतों के कारण निजी जीवन बीमा कंपनियों के मुनाफे को झटका लगा है. सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC ने अभी तक पहली तिमाही के नतीजे साझा नहीं किए हैं.
यह तस्वीर भयावह है. दूसरी लहर के दौरान बढ़ी हुई मृत्यु दर Q1FY22 के परिणाम के साथ तालमेल बिठाती है उदाहरण के लिए, HDFC लाइफ ने खुलासा किया कि कंपनी ने पहली लहर में मौत के दावों में भारी वृद्धि देखी, पीक क्लेम वॉल्यूम से लगभग 3-4 गुना . बीमाकर्ता ने 70,000 से अधिक दावों का भुगतान किया, जिसमें ग्रॉस और नेट क्लेम की राशि क्रमशः 1,598 करोड़ रुपये और 956 करोड़ रुपये थी.
इसी तरह, ICICI प्रूडेंशियल लाइफ ने कोविड से संबंधित 500 करोड़ रुपये के मौत के क्लेम रिपोर्ट किए. इसके अलावा, सरंडर और डेथ क्लेम में वृद्धि के कारण इसके क्लेम और बेनिफिट का भुगतान वित्त वर्ष 22 की पहली तिमाही में दोगुना से अधिक होकर 5,668 करोड़ रुपये हो गया. LIC ने अभी तक पहली तिमाही के नतीजे अपनी वेबसाइट पर नहीं डाले हैं.
पिछले वर्ष की तुलना में इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कोविड -19 का प्रभाव बहुत गंभीर रहा है. पिछले साल कोविड -19 के कारण इस साल की तुलना में कम क्लेम किए गए थे. भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री ने 2020-21 में कोविड -19 की मौत से संबंधित जो क्लेम सेटल किए है, वो वर्ष के दौरान कलेक्ट किए गए कुल प्रीमियम का 0.3% थे.
“2020-21 के दौरान, लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री को 1,644.56 करोड़ रुपये के 22,205 क्लेम प्राप्त हुए, जहां मृत्यु कोविड -19 और इससे रिलेटेड कॉम्प्लिकेशंस की वजह से हुई, जो साल की कुल प्रीमियम आय का 0.3% थी. इनमें से 1,492.02 करोड़ रुपये के 21,854 डेथ क्लेम को सेटेल किया गया और जीवन बीमाकर्ताओं की वित्तीय स्थिति पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा.
पिछले साल के आंकड़ों की तुलना में अकेले HDFC लाइफ ने पहली तिमाही में 70,000 क्लेम रजिस्टर्ड किए हैं. यह दिखाता है कि अगर तीसरी लहर से ठीक से निपटा नहीं गया तो इंडस्ट्री को कितना बड़ा झटका लग सकता है.
जैसा कि अपेक्षित था, बढ़ते क्लेम का इम्पैक्ट टॉप निजी जीवन बीमा कंपनियों के बीच बढ़े हुए प्रोविजन के तौर पर देखा गया है. HDFC लाइफ ने पोटेंशियल एडवर्स मोर्टेलिटी के लिए 700 करोड़ रुपये का एक्सेस मोर्टेलिटी रिजर्व बनाया है.
एक्सचेंजों को दिए गए नोट में, कंपनी ने कहा: “हमारा निरंतर दृष्टिकोण उभरते अनुभव के आधार पर समय-समय पर इस रिजर्व की समीक्षा करना होगा. हमारी बैलेंस शीट और बैक बुक सरप्लस की ताकत ने हमें बढ़ते हुए दावों के झटके को सहन करने में सक्षम बनाया है, साथ ही विकास को जारी रखा है”
HDFC लाइफ वर्तमान में 150% की वैधानिक न्यूनतम आवश्यकता के मुकाबले 203% पर एक सॉल्वेंसी की स्थिति बनाए रखता है.
इसी तरह, ICICI प्रूडेंशियल लाइफ ने भविष्य के कोविड -19 दावों के लिए 498 करोड़ रुपये के प्रावधानों को अलग रखा. कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने पहले भी घोषणा की थी कि कंपनी को दूसरी लहर के दौरान उच्च मृत्यु दर के कारण 225-275 करोड़ रुपये की एस्टीमेटिड रेंज में नुकसान होने की संभावना है.
कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा “महामारी की दूसरी लहर ने देश में मृत्यु दर में वृद्धि की और इसके चलते मई 2021 से कंपनी में डेथ क्लेम रिपोर्ट किए गए”
हाई क्लेम और तीसरी लहर को देखते हुए प्रोविजनों में वृद्धि के कारण बीमा कंपनियों के घाटे में वृद्धि हुई है. FY21 की पहली तिमाही की तुलना में HDFC लाइफ का प्रॉफिट आफ्टर टैक्स 33% घटकर 302 करोड़ रुपये रह गया. इसी तरह, ICICI प्रूडेंशियल लाइफ ने जून तिमाही 2021-22 के लिए 185.73 करोड़ रुपये का नेट लॉस (घाटा) दर्ज किया. एक साल पहले की समान अवधि में इसने 287.59 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट कमाया था. पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च 2021) में, बीमाकर्ता ने 63.78 करोड़ रुपये का प्रॉफिट दर्ज किया.
बढ़े हुए क्लेम और हाई प्रोविजन के साथ, जीवन बीमाकर्ताओं के लिए पहली तिमाही कमजोर रही है, हालांकि बीमा के बारे में जागरूकता बढ़ी हैं. एक मजबूत डिजिटल प्रजेंस ने नए प्रोडक्ट लॉन्च के साथ-साथ डिमांड बढ़ाने में भी सहयोग दिया ताकि कस्टमर्स बढ़ाए जा सकें. गारंटीड रिटर्न देने वाले प्रोडक्ट की मांग भी बनी हुई है.
इस पर विचार करें: HDFC लाइफ के लिए नए बिजनेस मार्जिन (NBM) में सीक्वेंशियल और YoY बेसिस पर ग्रोथ और बैलेंस प्रोडक्ट मिक्स के आधार पर सुधार देखा गया है. Q1 FY22 के लिए NBM 26.2% है, जो पिछले वर्ष Q1 से 24.3% से अधिक है और पूरे वर्ष FY21 में 26.1% है. नए बिजनेस की वैल्यू 408 करोड़ रुपये रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 40% अधिक है.
लाइफ इंश्योरेंस बिजनेस का वैल्यूएशन केवल कंपनी के करंट वैल्यू पर आधारित नहीं होता है, यह उसके फ्यूचर बिजनेस वैल्यू पर भी निर्भर करता है. वैल्यू ऑफ न्यू बिजनेस (VNB) उस वर्ष के दौरान लिखे गए नए बिजनेस से रिलेटेड फ्यूचर बेनिफिट की प्रेजेंट (वर्तमान) वैल्यू है.
ICICI प्रूडेंशियल लाइफ के मामले में, रेगुलर और सिंगल-प्रीमियम बिजनेस में 40% और 89% की वृद्धि हुई और नेट प्रीमियम इनकम में 19% की सालाना वृद्धि हुई. इस तरह, न्यू बिजनेस प्रीमियम में सालाना आधार पर 71% की वृद्धि हुई.
हालांकि बीमा क्षेत्र कोविड -19 की दूसरी लहर से परेशान था, लेकिन जागरूकता बढ़ने और मजबूत डिजिटल उपस्थिति के कारण ब्रोकरेज इस क्षेत्र को लेकर काफी उत्साहित हैं.
“हमारा अनुमान है कि IPRU, FY21-23E में VNB में 36% CAGR डिलीवर करेगा, जो कि मजबूत प्रीमियम ग्रोथ के नेतृत्व में, नई साझेदारियों और प्रोडक्ट सेगमेंट से उत्साहित है, इस तरह FY21-23E के दौरान 17% के ऑपरेटिंग RoEV(एंबेडेड वैल्यू पर रिटर्न) को इनेबल करता है.”
एंबेडेड वैल्यू अन्य सेक्टरों में बुक वैल्यू के बराबर है और “मौजूदा नीतियों” से फ्यूचर प्रॉफिट के प्रेजेंट वैल्यू को कैलकुलेट करता है, यह मानते हुए कि कंपनी आज बिजनेस लिखना बंद कर देती है.
“HDFC लाइफ, प्रोडक्ट इनोवेशन और सुपीरियर कस्टमर सर्विस पर जोर देने के साथ, पूरे बिजनेस में एक बैलेंस प्रोडक्ट मिक्स बनाए रखने पर केंद्रित है. हालांकि, नियर टर्म में, नॉन-PAR/एन्युटी और क्रेडिट लाइफ सेगमेंट में अच्छी ग्रोथ देखने की संभावना है.”
सबसे जरूरी है प्रीमियम रेट पर नजर बनाए रखना, क्योंकि तीसरी लहर के मामले में उच्च दावों का मतलब निश्चित रूप से नए पॉलिसीहोल्डर के लिए हाई प्रीमियम रेट हो सकता है.