Insurance: लाइफस्टाइल में बदलाव और बढ़ती बीमारियों के खतरे के साथ के साथ ही फर्टिलिटी से जुड़ी दिक्कतों का सामना भी परिवारों का करना पड़ रहा है और ऐसे में उनका साहारा बन रहा है IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन). एक IVF साइकल पर खर्च की बात करें तो इसके लिए भी आपको पूरी तैयारी रखनी होगी. खास तौर पर जब ये आपके सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज में शामिल ना होता हो. अलग-अलग शहर में IVF का खर्च देखें तो इसके एक साइकल के लिए 4 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है.
नोवाफर्टिलिटी की वेबसाइट के मुताबिक भारत में IVF की सफलता 30-35 फीसदी के बीच है. यानी, एक कपल को एक साइकल से ज्यादा बार भी इसके लिए कोशिश करनी पड़ सकती है. एक और साइकल का मतलब है खर्च का बढ़ना. अगर आप फैमिली प्लान कर रहे हैं तो जान लें कि इसका कवरेज कैसे मिल सकता है.
दरअसल, गर्भावस्था या IVF को इंश्योरेंस के नियमों में प्लान की गई प्रक्रिया मानी जाती है और इसी के चलते इसका कवरेज नहीं मिलता. गर्भावस्था के लिए ज्यादातर इंश्योरेंस पॉलिसी में एड-ऑन या राइडर दिए जाते हैं लेकिन IVF को लेकर यही स्थिति नहीं है.
पॉलिसीएक्स डॉट कॉम (PolicyX.com) के फाउंडर और सीईओ नवल गोयल कहते हैं, “इंश्योरेंस में कभी भी IVF जैसे पहले से प्लान की गई चीजों का कवर नहीं मिलता. हालांकि, इन्फर्टिलिटी के इलाज की बढ़ती डिमांड के साथ हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां भी अपने प्लान में इन्हें जोड़ने की ओर कदम बढ़ा रही हैं. लेकिन, ध्यान रहे कि इसके सम इंश्योर्ड में कई तरह की लिमिटेशंस रहती हैं जैसे को-पेमेंट, सब-लिमिट आदि.”
कई लोग इंश्योरेंस के अभाव में ऐसी जरूरत को अपने पहले के निवेश से पैसे निकालकर खर्च करते हैं या फिर कई कपल पर्सनल लोन का भी रुख करते हैं. ऐसे में आगे बढ़ने वाले परिवार की जिम्मेदारी के साथ ही वित्तीय बोझ की भी आशंका रहती है.
इंडियन सोसायटी फॉर असिस्टेड रिप्रोडक्शन पर दी जानकारी के मुताबिक हर 6 कपल में से एक को गर्भ धारण करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है और इसके लिए उन्हें कुछ इलाज भी कराने पड़ सकते हैं जिसमें ड्रग थेरेपी, सर्जरी या अन्य इलाज शामिल हों. फर्टिलिटी की दिक्कतों में लगातार बढ़त देखने को मिली है इसी के मद्देनजर इंश्योरेंस कंपनियां इनके कवरेज वाले प्लान भी लॉन्च कर रही हैं.
गोयल बताते हैं कि हाल ही में स्टार हेल्थ इंश्योरेंस ने फैमिली हेल्थ ऑप्टीमा इंश्योरेंस प्लान को रिवाइज कर इसमें इस तरह के रीप्रोडक्शन ट्रीटमेंट को शामिल किया गया है. हालांकि, इसका फायदा उठाने के लिए 36 महीने का वेटिंग पीरियड है. साथ ही कंपनी 5 लाख रुपये के इंश्योरेंस में अधिकतम 1 लाख रुपये का ही खर्च वहन करेगी और 10 लाख रुपये के कवर में फर्टिलिटी से जुड़े ट्रीटमेंट पर 2 लाख रुपये तक का खर्च कवर होगा.
ठीक इसी तरह अन्य इंश्योरेंस में भी वेटिंग पीरियड 2 साल तक का हो सकता है और कवरेज को लेकर अलग-अलग सीमाएं हो सकती हैं.
आपको इंश्योरेंस चुनते वक्त पूछना होगा कि पॉलिसी में इन्फर्टिलिटी में क्या-क्या कवर होता है. क्या पूरा कवरेज मिलेगा या सिर्फ डायग्नोसिस का, या डायग्नोसिस के साथ-साथ फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का भी. साथ ही, ये भी समझना होगा कि किस तरह के ड्रग प्रेसक्रिप्शन और दवाओं का कवरेज शामिल है और क्या शामिल नहीं है.
आप जिस IVF सेंटर से मदद ले रहे हैं वो रजिस्टर्ड है और पॉलिसी की कवरेज में शामिल है या नहीं, ये भी देखें.
नवल गोयल सलाह देते हैं कि पॉलिसी खरीदते वक्त इंश्योरेंस कंपनी की बताई सभी शर्तों और नियमों को गौर से पढ़ें और जानें कि क्या इलाजा का खर्च रिइंबर्स किया जाएगा या ये कैशलेस होगा. साथ ही, सम इंश्योर्ड को लेकर अगर कोई सीमा तय की गई है तो उससे भी पॉलिसीधारक पर बोझ पड़ सकता है. इसलिए कवरेज चुनते वक्त ध्यान दें कि ये ट्रीटमेंट का पूरा खर्च वहन कर सके.