जब कोई पॉलिसी होल्डर अपने मौजूदा प्लान को दूसरी कंपनी के प्लान में तब्दील करता है तो इसे इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी कहते हैं. इस दौरान मौजूदा सेवाओं को बनाए रखने के साथ नई सुविधाएं लेने की इच्छा होती है. साथ ही यदि किसी कंपनी ने सही समय पर, जैसे क्लेम आदि, उचित सेवाएं नहीं प्रदान की हैं तो भी पॉलिसी होल्डर ऐसा करने के बारे में विचार करता है.
अपर्याप्त सेवाएं: जब बात पैसे और स्वास्थ्य की हो तो कोई भी व्यक्ति खराब सर्विस को स्वीकार नहीं कर सकता. यदि आपकी मौजूदा बीमा कंपनी कुछ साल बाद ठीक तरह से सेवाएं नहीं दे पा रही तो आपको तुरंत नई बीमा कंपनी की ओर चले जाना चाहिए.
कोई अतिरिक्त कवरेज नहीं: हमें अपने या अपने परिवार के स्वास्थ्य के बारे में पता होता है और संभव है कि आज नहीं तो कल कोई बीमारी हो सकती है. यदि आपकी मौजूदा कंपनी अतिरिक्त कवरेज देने से इनकार कर रही है तो आपको नई कंपनी को चुन लेना चाहिए.
अपर्याप्त बीमित राशि: कोरोना महामारी की वजह से बहुत से लोगों को यह एहसास हो चुका है कि अब 2 से 5 लाख रुपये के हेल्थ कवरेज पर्याप्त नहीं है. यदि आपके मौजूदा प्लान पर पर्याप्त कवरेज नहीं है तो, दूसरी कंपनी का प्लान लेना बेहतर होगा.
पारदर्शिता का अभाव: कई बार ऐसा होता है कि हमारी पॉलिसी में कुछ छुपी हुई या अस्पष्ट शर्तें होती हैं. पॉलिसी लेते समय जिनके बारे में नहीं बताया जाता है. संभव है कि इनकी वजह से आपको क्लेम करते वक्त दिक्कतों का सामना करना पड़े. आपको ऐसी स्थिति से बचना चाहिए, आपको भरोसेमंद सर्विस प्रोवाइडर को चुनना चाहिए.
बेहतर विकल्प: इंश्योरेंस, ऐसा प्रोडक्ट है जिसमें आए दिन नई सर्विस विकसित होती रहती हैं. यदि आपको मौजूदा पॉलिसी की तुलना में कुछ नई सेवाएं, जैसे ज्यादा कवरेज, रूम रेंट, अधिक हॉस्पिटल या कम वेटिंग पीरियड, प्राप्त हो रही हो तो, आपको नई कंपनी के बारे में विचार करना चाहिए.