Insurance Policy Laps: मौजूदा समय में जीवन बीमा लेना काफी जरूरी हो गया है, लेकिन बीमा लेना ही काफी नहीं है. इसे चलाना भी जिम्मेदारी है. इसके लिए समय समय पर प्रीमियम भरना जरूरी है.
ऐसा नहीं होने पर आपकी पॉलिसी लैप्स (Insurance Policy Laps) हो जाएगी. ऐसे में आपको उसके लाभ नहीं मिल पाएंगे. लेकिन अगर किसी कारण से पॉलिसी लैप्स भी हो गई है, तो चिंता करने की बात नहीं है. उसे दोबारा शुरू किया जा सकता है.
प्रत्येक इंश्योरेंस कंपनी के अलग अलग नियम होते हैं. वहीं, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की पॉलिसी की बात करें, तो उसे न्यूनतम तीन साल तक चलाना जरूरी होता है. ऐसा होने पर ही इस पर आप रिवाइवल प्रक्रिया प्रभावी हो सकती है.
वहीं, एक साल से कम समय तक पॉलिसी जमा नहीं करने पर पॉलिसी लैप्स हो जाती है. भारतीय जीवन बीमा निगम में तीन साल तक प्रीमियम जमा नहीं करने पर पॉलिसी को लैप्स घोषित कर दिया जाता है.
जिसकी जानकारी पॉलिसी होल्हर को भी दी जाती है. भारतीय जीवन बीमा निगम के अनुसार पांच साल तक पॉलिसी जमा नहीं करने पर इसे पूरी तरह से लैप्स कर दिया जाता है. जिसे बाद में रिवाइव नहीं किया जा सकता है.
एलआईसी आगरा मंडल के प्रशासनिक अधिकारी सुरेंद्र कुमार के मुताबिक, अपनी लैप्स पॉलिसी को रिवाइव करने के लिए आपको सबसे पहले अपने बीमा कंपनी के निकटतम ब्रांच में जाकर रिवाइवल कोट लेना पड़ता है.
दरअसल, रिवाइवल कोट बची हुई प्रीमियम का कुल जोड़ होता है. ग्राहक को इस रिवाइवल कोट के साथ ही रिवाइवल पेनाल्टी भी भरनी होगी. इसके साथ ही ग्राहक को अपना हेल्थ सर्टिफिकेट भी जमा करना होता है.
रिवाइवल के लिए राशि जमा करते समय फॉर्म संख्या 680 को भी भरना जरूरी होता है. ग्राहक को अपने आईडी और एड्रेस प्रूफ की कॉपी भी जमा करना पड़ती है.
अगर रिवाइवल राशि 50 हजार से ज्यादा की है, उस स्थिति में ग्राहक को पैनकार्ड की भी एक कॉपी जमा करनी होगी. इसे बीमा कंपनी के निकटतम ब्रांच में जमा करके ग्राहक अपने लैप्स पॉलिसी को दोबारा शुरू कर सकते हैं.
इसी के साथ यह भी जान लेना होगा कि अगर पॉलिसी को लैप्स हुए छह माह ही हुए हैं, तो अधिक दस्तावेजों की जरूरत नहीं होता है. प्रत्येक प्लान के नियम अलग अलग होते हैं.