Insurance Plan: प्राकृतिक आपदा के लिए आप कितने तैयार होते हैं. सच तो यह है कि देश में प्राकृतिक आपदाएं नई नहीं हैं. ये पहले भी घट चुकी हैं. इनमें जान-माल का भी भारी नुकसान होता है. इन आपदाओं के गुजरने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह होता है कि जिंदगी को पटरी पर दोबारा कैसे खड़ा किया जाए. आपदा में सब कुछ खोने के बाद भी इंश्योरेंस की ऐसी चीज है जो आपके काम आ सकता है.
प्राकृतिक आपदा जैसे कि भूकंप, बाढ़, सुनामी की वजह से हुई मौत या नुकसान आमतौर पर इंश्योरेंस प्लान (Insurance Plan) के अंदर नहीं आते. हालांकि, इस तरह की आपदाओं को कवर करने के लिए आप एड-ऑन प्लान चुन सकते हैं.
लोगों को बीमा करते समय प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान का विकल्प जरूर चुनना चाहिए. बीमा कंपनियों (Insurance Company) को उन संपत्तियों की भरपाई करनी ही होगी, जिसका लोगों ने बीमा कराया था. बशर्ते लोग सही प्रक्रिया का पालन कर इसके लिए आवेदन कर दें. आपको नुकसान का दावा करने में भी ज्यादा देर नहीं करना चाहिए. बाढ़, भूकंप या किसी तरह की भी आपदाओं के चलते होने वाले नुकसान की भरपाई सिर्फ बीमा ही करा सकता है.
बीमा लेने वाले अधिकतर लोग लाइफ और मोटर इंश्योरेंस (Life and Motor Insurance) तक सीमित हैं. संपत्ति बीमा को हम यह सोचकर नकार देते हैं कि उसे कुछ होने वाला नहीं है. जबकि उत्तराखंड जैसी घटनाएं एक ही झटके में हमारी सोच को गलत साबित कर देती हैं. लाइफ और मोटर इंश्योरेंस बीमा के साथ-साथ संपत्ति बीमा भी बहुत जरूरी है. संपत्ति बीमा प्राकृतिक आपदा की स्थिति में आपके घर के सामान और निर्माण को होने वाले नुकसान की भरपाई करने में मददगार साबित होता है.
आपदा की स्थिति में क्लेम लेना अब पहले के मुकाबले आसान हो गया है. इंश्योरेंस (Insurance Plan) लेने वाले अपने नुकसान का आकलन करते हुए कंपनी की हेल्पलाइन पर इसकी जानकारी दे सकता है या आसपास स्थिति कार्यालय को सूचित कर सकता है. ज्यादातर बीमा कंपनियां प्राकृतिक आपदा के लिए एक अलग विंग बनाकर रखती हैं, ताकि क्लेम का निपटारा जल्द किया जा सके.
भारतीय कानूनों के मुताबिक, व्यक्ति के लापता होने पर FIR दर्ज होने से 7 साल की अवधि के इंतजार के बाद ही क्लेम का निपटान किया जा सकता है. हालांकि, प्राकृतिक आपदाओं जैसे मामले में इसमें छूट दी जाती है. सामान्य स्थिति में डेथ सर्टिफिकेट अनिवार्य रूप से जमा करना होता है. लेकिन, आपदाओं में यह शर्त लागू नहीं होती है.
याद रखें कि कार के पानी में फंस जाने पर उसके इंजन को स्टार्ट करने की कोशिश न करें. वैसे तो इंजन को नुकसान कार इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर होता है. लेकिन, ड्राइवर उसे चालू करने की कोशिश करते हुए नुकसान पहुंचाता है तो पॉलिसी उसे कवर नहीं करती है. कार के पानी में फंसने की स्थिति में भी यह बात लागू होती है. इस तरह के हालात में अपनी बीमा कंपनी को नाम, फोन नंबर, वाहन नंबर, रजिस्ट्रेशन नंबर जैसे विवरण देने पड़ते हैं.
प्रॉपर्टी को बाढ़ से नुकसान होने पर FIR दर्ज कराने की जरूरत नहीं होती है. होम इंश्योरेंस पॉलिसी घर के स्ट्रक्चर को हुए नुकसान को कवर करती है. इसे क्लेम करने के लिए पॉलिसीधारक के नाम से रजिस्ट्रेशन कराएं. कंपनी को पैन, जन्मतिथि और घर को किस हद तक नुकसान हुआ है, इसकी जानकारी देनी पड़ती है.