विदेश में पढ़ने के लिए भारतीय फर्मों से इंश्योरेंस लेना कैसा रहेगा? यहां जानें

Insurance:भारतीय इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा दी जाने वाली पॉलिसियां कई नॉन-मेडिकल इमरजेंसी को भी कवर करती हैं.

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image: pixabay, भारतीय पॉलिसियां विदेशों में यूनिवर्सिटी द्वारा दी जाने वाली पॉलिसियों की तुलना में काफी सस्ती हैं

image: pixabay, भारतीय पॉलिसियां विदेशों में यूनिवर्सिटी द्वारा दी जाने वाली पॉलिसियों की तुलना में काफी सस्ती हैं

Insurance:  इंश्योरेंस खरीदने के बारे में स्टूडेंट अक्सर सोचते नहीं हैं. हालांकि, स्टूडेंट के लिए Insurance पॉलिसी खरीदना जरूरी है, खासकर यदि वो विदेश में हायर स्टडीज कर रहे हैं. यदि आप हायर एजुकेशन के लिए विदेश यात्रा कर रहे हैं, तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि वहां मेडिकल ट्रीटमेंट की कॉस्ट बहुत ज्यादा होगी. ऐसे में एक छोटा सा मेडिकल प्रोसेस भी आपके फाइनेंस को बड़ा झटका दे सकता है. इसलिए, यदि आप विदेश में पढ़ रहे हैं, तो इंश्योरेंस खरीदना और भी जरूरी है.
वास्तव में, कुछ देशों में स्टूडेंट इंश्योरेंस कंपलसरी है. स्टूडेंट भारत में किसी इंश्योरर से या उनकी यूनिवर्सिटी द्वारा अप्रूव किसी विदेशी इंश्योरर से इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद सकते हैं. हालांकि, यूनिवर्सिटी द्वारा एक्सेप्टेबल भारतीय इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी खरीदना काफी सस्ता पड़ेगा.

यूनिवर्सिटी पॉलिसी फीचर को समझें

रॉयल सुंदरम जनरल इंश्योरेंस के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर, हेल्थ इंश्योरेंस निखिल आप्टे ने कहा “भारतीय पॉलिसियां विदेशों में यूनिवर्सिटी द्वारा दी जाने वाली पॉलिसियों की तुलना में काफी सस्ती हैं. इसलिए, आपको पहले यूनिवर्सिटी पॉलिसी फीचर को समझकर उस हिसाब से एक इंडियन इंश्योरर की तलाश करनी चाहिए”

भारतीय इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा दी जाने वाली पॉलिसियां कई नॉन-मेडिकल इमरजेंसी को भी कवर करती हैं. प्रोबस इंश्योरेंस के डायरेक्टर राकेश गोयल कहते हैं, “ये पॉलिसियां आपको पासपोर्ट खोने, लगेज खोने जैसी समस्याओं के लिए 360 डिग्री प्रोटेक्शन देती हैं”

ब्रोकरों के अनुसार, एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले 20 से अधिक उम्र के युवाओं के लिए 100,000 डॉलर के कवर के लिए प्रीमियम लगभग 9,000-15,000 रुपये होगा.

MyMoneyMantra के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर राज खोसला ने कहा “सभी मेडिकल कॉस्ट को ध्यान रखते हुए कवर की राशि निर्धारित की जानी चाहिए. और उस पॉलिसी में हॉस्पिटलाइजेशन, प्रिस्क्रिप्शन मेडिसिन, प्राइवेट नर्स, डेंटल केयर, एक्सिडेंट और डिस्एबिलिटी कवर होनी चाहिए”

उन्होंने कहा- मृत्यु की स्थिति में अवशेषों को भारत ले जाने जैसा फीचर भी पॉलिसी में होना चाहिए और साथ ही परिवार के किसी सदस्य को रिटर्न टिकट का भुगतान करना चाहिए अगर पॉलिसीहोल्डर को बीमार होने पर किसी की देखभाल की जरूरत महसूस होती है.

कॉलेजिफाई के को-फाउंडर और डायरेक्टर रोहन गनेरीवाला ने कहा- हालांकि, कुछ एजुकेशन कंसल्टेंट भारतीय विदेशी स्टूडेंट के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा फैसिलिटेटेड इंश्योरेंस कवर की सलाह देते हैं.

“इन कवरेज की शर्तें बेहतर हैं क्योंकि इन पॉलिसियों को लोकल इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा यूनिवर्सिटीज के कंसल्टेशन से तैयार किया गया है. ये उन सभी आवश्यकताओं को पूरा करती हैं जो यूनिवर्सिटी स्पेसिफाई करती हैं”

Published - August 1, 2021, 03:52 IST