क्या आपको पता है… बाढ़ या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा में आपका घर गिर जाए तो बीमा के लिए कब तक क्लेम कर सकते हैं? अगर समय रहते यह काम नहीं किया तो आपका बीमा क्लेम खारिज हो सकता है.
हालांकि बीमा नियामक इरडा (IRDAI) की ओर से क्लेम दाखिल करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है. लेकिन बीमा कंपनियां चाहती हैं कि प्राकृतिक आपदा बीमा से जुड़े क्लेम का आवेदन उन्हें 30 दिन के अंदर मिल जाना चाहिए. हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस से जुड़े क्लेम में भी इसी तरह के नियम हैं.
बीमा कंपनियों की ओर से क्लेम दाखिल करने के लिए 30 दिन का स्डैंडर्ड पीरियड यानी मानक समय निर्धारित कर रखा है. लेकिन इस काम के लिए आपको समय बिलकुल बर्बाद नहीं करना चाहिए. इस मामले में आप जितनी ज्यादा देरी करेंगे, आपको उतना ही अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.
क्या कहते एक्सपर्ट?
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के हेड, प्रॉपर्टी अंडरराइटिंग गुरदीप सिंह बत्रा कहते हैं कि अगर बाढ़ या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा से आपकी प्रॉपर्टी को नुकसान हुआ है तो इसकी बीमा कंपनी को तुरंत जानकारी देनी चाहिए. इसके बाद जल्द से जल्द बीमा क्लेम के लिए आवेदन करें. इससे बीमा कंपनी के सर्वेयर को नुकसान का अनुमान लगाने में आसानी हो जाएगी और पीड़ित को जल्द क्लेम मिल जाएगा. हालांकि क्लेम के लिए एक महीने का मानक समय है. विशेष परिस्थितियों में एक महीने बाद भी क्लेम किया जा सकता है. हालांकि इस दौरान बीमा कंपनी क्लेम करने में देरी का वाजिब कारण पूछेगी. संतोषजनक जवाब मिलने पर क्लेम पर ही विचार किया जाएगा.
क्या है कारण?
दरअसल, क्लेम में देरी होने पर बीमा कंपनी को नुकसान कैसे हुआ, इसकी असल वजह क्या है, इस बारे में पुख्ता सबूत नहीं मिल पाते. हालांकि आपदा के दौरान यह भी हो सकता है कि बीमा व आईडी से जुड़े मूल कागज नष्ट हो जाएं. लेकिन बीमा कंपनी को इन कागजों के बिना भी नुकसान की सूचना तो दे ही सकते हैं. अगर कोई व्यक्ति बीमा कंपनी को सूचना नहीं देता और क्लेम करने में देरी करता है तो बीमा कंपनी इस मामलों संदेह के दायरे में रखती हैं. इस वजह से जांच–परख ज्यादा होती है. ऐसे में क्लेम खारिज होने के आसार बढ़ जाते हैं.
नुकसान होने पर क्या करें?
अगर आपके मकान या दुकान को बाढ़ या प्राकृतिक आपदा से नुकसान हुआ है. तो इसकी सूचना ईमेल या टोल फ्री नंबर के जरिए बीमा कंपनी को दें. प्रॉपर्टी को हुए नुकसान की कुछ फोटो और वीडियो बना लें. इसके बाद घर में हुए नुकसान की लिस्ट बनाएं. घर को दोबारा बनाने या मरम्मत कराने में कितना पैसा लगेगा, इसके बारे में किसी ठेकेदार से अंदाजा ले लें.
जब तक बीमा कंपनी का सर्वेयर निरीक्षण न कर ले तब तक घर की मरम्मत नहीं कराएं. घर में रखा जो सामान क्षतिग्रस्त हुआ है, उसे इधर से उधर न करें. हालांकि घर में मौजूद सामान को और अधिक नुकसान न पहुंचे, इसके उपाय कर सकते हैं. आपको जो आर्थिक नुकसान हुआ है उसका मोटे पर अनुमान के साथ जल्द क्लेम फाइल कर कर दें ताकि समय पर भुगतान मिल जाए.