जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (GIC Re) में मौजूद अतिरिक्त हिस्सेदारी को बेचने में सरकार जुट गई है. बिक्री की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. सरकार ने न्यूयॉर्क, सिंगापुर, हांगकांग, दुबई और लंदन सहित प्रमुख वैश्विक वित्तीय केंद्रों में इस बारे में बात की. सूत्रों के अनुसार इसे वैश्विक निवेशकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है, इससे बिक्री की पेशकश (OFS) को बढ़ावा मिलेगा. वर्तमान में सरकार के पास GIC Re की 85.78% हिस्सेदारी है.
कंपनी में 25% की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (MPS) को पूरा करने के लिए सरकार को अगस्त तक अपनी हिस्सेदारी को 10.78 प्रतिशत अंक घटाकर 75% करने की जरूरत होगी. अगर अगस्त तक मानक पूरे नहीं हुए तो सरकार को एक और साल के लिए समय बढ़ाना होगा. बता दें सरकार की 10.78% हिस्सेदारी का मौजूदा बाजार मूल्य 7,341 करोड़ रुपए है. पिछले हफ्ते, सिंगापुर, हांगकांग और दुबई में निवेशक आउटरीच पूरा हो गया था. इस हफ़्ते न्यूयॉर्क और लंदन में रोड शो चल रहे हैं. इसका नेतृत्व निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) कर रहा है. विदेशी निवेशकों को GIC Re की प्रमुख घरेलू बाजार में 67% शेयर हिस्सेदारी और ग्रॉस रीइंश्योरेंस प्रीमियम 4.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर (FY23) की जानकारी दी गई. साथ ही बताया कि बाकी शेयर विदेशी रीइंश्योरेंस शाखाओं (एफआरबी) के पास है.
डिस्इंवेस्टमेंट रेवेन्यू बढ़ाने में मिलेगी मदद
अगर जीआईसी ओएफएस सफल होता है, तो इससे सरकार के विनिवेश राजस्व यानी डिस्इंवेस्टमेंट रेवेन्यू को बढ़ावा मिलेगा. इसके जरिए वित्त वर्ष 2024 में 18,000-20,000 करोड़ रुपए जुटाने के अनौपचारिक लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. चालू वित्त वर्ष में अब तक सरकार को कंपनियों में थोड़ी हिस्सेदारी बिक्री से 12,609 करोड़ रुपए मिले हैं. इंस्ट्री से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि जीआईसी री मजबूत वित्तीय स्थिति, पर्याप्त क्षमता और विशेषज्ञता के दम पर आगे चलकर बाजार में नेतृत्व बनाए रखेगा.
बीमा बाजार में बढ़त का अनुमान
भारत का सामान्य बीमा बाजार 2021-2026 के दौरान 9.9% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने का अनुमान है. निवेशकों की पेशकश के चलते भारत में रीइंश्योरेंस प्रीमियम 2025 तक 12 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.