अगर बीमा राशि का मिला है आंशिक भुगतान तो जानिए क्या करें?

कोरोना महामारी के चलते बीमा क्लेम करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा हुई है. वहीं क्लेम खारिज या आंशिक भुगतान के मामले भी काफी सामने आ रहे हैं.

total receivable premium, LIC, LIC LAPS POLICY, INSURANCE POLICY, LAPS POLICY WITHOUT LATE FEES

रिवाइवल कैंपेन 23 अगस्त से शुरू हुआ है. यह 22 अक्टूबर तक चलेगा. इस कैंपेन का उद्देश्य उन लोगों को एक अवसर देना है, जो किसी अपरिहार्य परिस्थितियों (unavoidable circumstances) के चलते अपने प्रीमियम का भुगतान नहीं कर पाए हैं.

रिवाइवल कैंपेन 23 अगस्त से शुरू हुआ है. यह 22 अक्टूबर तक चलेगा. इस कैंपेन का उद्देश्य उन लोगों को एक अवसर देना है, जो किसी अपरिहार्य परिस्थितियों (unavoidable circumstances) के चलते अपने प्रीमियम का भुगतान नहीं कर पाए हैं.

कोरोना महामारी के चलते बीमा क्लेम (insurance claim) करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा हुई है. वहीं क्लेम खारिज या फिर आंशिक भुगतान के मामले भी काफी सामने आ रहे हैं. ऐसे ही चेन्नई निवासी बाला चंदर नामक व्यक्ति ने Money9 Helpline से सवाल पूछा एक्‍सपर्ट की राय के लिए इंश्योरेंस समाधान के बीमा प्रमुख और सह-संस्थापक शैलेश कुमार से बातचीत की गई.

सवालः मेरी पत्नी को कोविड-19 से संक्रमित होने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराया. जब मैंने बीमा क्लेम किया (insurance claim) तो कंपनी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ये माइल्ड कोविड-19 केस (हल्के लक्षणों वाला) है और इसका इलाज होम क्वारंटाइन में हो सकता है. मेरी पत्नी दो महीने की गर्भवती भी थी. हम किसी तरह का जोखिम नहीं उठा सकते थे. डॉक्टरों ने रिपोर्ट में उसके गर्भवती होने का जिक्र नहीं किया. किसी तरह डॉक्टर से एक पत्र प्राप्त किया और इसे सबमिट कर दिया. मैंने पहले शिकायत टीम में आवेदन किया, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया. इसलिए, मैंने अपने सभी दस्तावेजों के साथ बीमा लोकपाल कार्यालय में आवेदन किया. फिर अचानक एक दिन बिना किसी सूचना के कंपनी ने मेरे खाते में दावा राशि का 40% डिपॉजिट कर दिया. अब मुझे क्या करना चाहिए? क्या पूरा क्लेम (claim) मिलने की उम्मीद है?

शैलेश कुमार का जवाब : कोविड -19 संकट के दौरान ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य बीमा कंपनियों और TPA ने क्लेम के निपटारे की प्रक्रियाओं को पूरा करने में समय भी लिया है. इस दौरान ग्राहकों के लिए संवेदनशील व्यवस्था विकसित करने में समय लगा. हालांकि बीमा नियामक (IrDA) और सरकार ने निर्देश जारी किए लेकिन इसका ठीक से पालन नहीं हो सका क्योंकि बीमा कंपनियों के भीतर की प्रक्रियाएं काफी मुश्किल थी. इसका नतीजा यह हुआ कि पीड़ित पॉलिसीधारक परेशान हुए और उन्होंने शिकायतें की.

दावों को खारिज करने या आंशिक राशि देने के तीन मुख्य कारण हैं :

1. जरूरत नहीं होने बावजूद अस्पताल में हो गए भर्तीः कुछ पॉलिसीधारक अस्पतालों में सिर्फ इसलिए भर्ती हुए क्योंकि उनका बीमा था. जबकि इसकी जरूरत नहीं थी. यह बीमा के सिद्धांत के खिलाफ है. ऐसी घटनाओं से उन लोगों के लिए समस्या पैदा हो गई, जो वास्तव में जरूरतमंद थे.

2. एक स्टैंडर्ड इलाज का अभावः कई अस्पतालों ने महंगा इलाज करते हुए बिल बढ़ा दिया. सरकारों को इलाज के लिए दरें तय करनी पड़ीं. बीमा कंपनियां स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के अनुसार भुगतान करेंगी ना कि अस्पताल के मनमाने बिल या ग्राहकों की मांग के अनुसार. सभी इलाजों के लिए मेडिकल जस्टिफिकेशन की जरूरत होती है. हालांकि, इसके लिए ग्राहकों को दोष नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वे तनाव में थे और उन्हें डॉक्टरों की सलाह को माननी पड़ी.

3. घरेलू उपचार पर भ्रमित करने वाले नियमः यह पॉलिसीधारकों के बीच असंतोष की मुख्य वजह थी. नियम और शर्तों के अनुसार अस्पताल की देखरेख में घरेलू उपचार का जस्टिफिकेशन किया जाना चाहिए. सभी अस्पतालों ने घर पर इलाज के लिए फीस निर्धारित की लेकिन ज्यादातर पॉलिसीधारकों ने टेलीमेडिसिन को चुना.

आपका (बाला चंदर का) मामला सही लगता है और आपको कम से कम 70% भुगतान होना चाहिए. सामान्य तौर पर होने वाली 30% की कटौती हो सकती है. किसी भी विशेषज्ञ को आपके क्लेम (claim) के सटीक मूल्यांकन के लिए आपकी बीमा पॉलिसी के साथ इलाज के कागजात देखने की जरूरत होगी. अगर यह एक राष्ट्रीयकृत बीमा कंपनी है, तो आपके खर्चों में कमरे के किराए को जोड़ा जा सकता है.

Published - July 25, 2021, 05:00 IST