देश के इंश्योरेंस रेग्युलेटर IRDAI ने 25 वर्षों में हर एक नागरिक तक बीमा पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इंश्योरेंस की मौजूदा व्यवस्था ऐसी नहीं है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इंश्योरेंस का कवर पहुंचाया जा सके. बल्कि हालात तो ऐसे हैं कि देश की आबादी के पांचवे हिस्से के पास भी इंश्योरेंस कवर नहीं है.
सिर्फ 19 फीसद परिवारों ने बचत के लिए बीमा खरीदा
देशभर के 20 राज्यों और 100 से ज्यादा जिलों में हुए मनी9 के सर्वे से पता चलता है कि देश के सिर्फ 19 फीसद परिवारों ने बचत के लिए बीमा खरीदा है और बीमा खरीदने वाले परिवारों में भी 75 फीसद से ज्यादा परिवार ऐसे हैं जिनकी मासिक कमाई 35 हजार रुपए से ऊपर है. जिन परिवारों की मासिक कमाई 15 से 35 हजार रुपए के बीच है उनमें सिर्फ 23 फीसद के पास ही बीमा है और 15 हजार रुपए से कम कमाई वाले परिवारों में तो सिर्फ 12 फीसद के पास ही जीवन बीमा कवर है. मनी 9 का सर्वे यह भी बताता है कि देश के 86 फीसद परिवार ऐसे हैं जिनकी मासिक कमाई 35 हजार रुपए से नीचे है यानी देश का बहुत बड़ा वर्ग जीवन बीमा से अछूता है.
आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों की स्थिति खराब
जीवन बीमा कवर के मामले में आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों की स्थिति तो और भी खराब है. मनी 9 के सर्व से पता चलता है कि बिहार में सिर्फ 7 फीसद परिवारों ने बचत के लिए बीमा खरीदा है. कुछ ऐसी ही स्थिति में झारखंड भी है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और तमिलनाडु भी इस मामले में राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे हैं. हालांकि कर्नाटक, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्य बीमा कवर के मामले में राष्ट्रीय औसत से ऊपर हैं.
देश में बीमा की पहुंच का दायरा बहुत छोटा
खुद IRDAI के आंकड़े बताते हैं कि देश में बीमा की पहुंच का दायरा बहुत छोटा है. IRDAI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान देश की GDP में बीमा प्रीमियम की राशि का योगदान मात्र 4.2 फीसद है. देशभर में बीमा की पहुंच के इन्हीं आंकड़ों को देखते हुए इंश्योरेंस रेग्युलेटर बीमा सेक्टर में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है. भविष्य में बीमा कंपनियों को स्थापित करने के नियमों में छूट दी जा सकती है जिस वजह से बीमा कारोबार में ज्यादा कंपनियां उतर पाएंगी. ऐसा होने पर बीमा के बाजार में कंपिटीशन बढ़ेगा और बीमा खरीद पहले के मुकाबले सस्ती होने की उम्मीद भी बढ़ेगी. कवर के मामले में राष्ट्रीय औसत से ऊपर हैं.