कैसे कराएं मेडिक्लेम पॉलिसी को पोर्ट? इन 9 पॉइंट्स में समझिए पूरी प्रोसेस

अगर आप मेडिक्लेम पॉलिसी पोर्ट कराने का आवेदन करते है तो नई बीमा कंपनी आपकी जानकारियां पता करने के लिए मौजूदा बीमा कंपनी से संपर्क करती है.

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पोर्टेबिलिटी फॉर्म को स्वीकार करने के बाद बीमा कंपनी अंडरराइटिंग प्रोसेस करती है.

पोर्टेबिलिटी फॉर्म को स्वीकार करने के बाद बीमा कंपनी अंडरराइटिंग प्रोसेस करती है.

Mediclaim policy: आपके पास मेडिक्लेम पॉलिसी है, लेकिन दूसरी बीमा कंपनी कम प्रीमियम में अच्छे बेनेफिट ऑफर कर रही है तो बेशक पॉलिसी पोर्ट करानी चाहिए. जब आप मेडिक्लेम पॉलिसी पोर्ट कराने का आवेदन करते है तब नई बीमा कंपनी मेडिकल और क्‍लेम्‍स संबंधी इतिहास को जानने के लिए मौजूदा बीमा कंपनी से संपर्क करती है और प्राप्त सूचनाओं एवं अंडरराइटिंग दिशानिर्देशों के आधार पर प्रपोजल को स्वीकार या खारिज कर सकती है, इसलिए मेडिक्लेम पॉलिसी पोर्टेबिलिटी के नियमों को समझना जरूरी है.

(1) 30-45 दिनों का नोटिस पीरियड

पोर्टेबिलिटी के लिए आवेदन करने से पहले पता होना चाहिए कि आपकी वर्तमान पॉलिसी की समाप्ति होने से कम से कम 30-45 दिन पहले नए बीमाकर्ता को आवेदन देना जरूरी है. आपको एक प्रपोजल फॉर्म भरना होगा, पिछली पॉलिसी का विवरण देना होगा और फिर पोर्टेबिलिटी के लिए आवेदन करना होगा.

(2) डॉक्युमेंट्स की जानकारी

पोर्टेबिलिटी का आवेदन मिलने के बाद बीमाकर्ता आपके पिछले बीमाकर्ता से कई दस्तावेज मांग सकता है, जैसे क्लेम रिकॉर्ड, मेडिकल रिकॉर्ड इत्यादि. आपको फिर से मेडिकल चेकअप के लिए भी कहा जा सकता है. हालांकि, यदि आपकी आयु 45 वर्ष से कम है, तो नई बीमा कंपनी आपकी पॉलिसी को नॉन-मेडिकल-टेस्ट पॉलिसी के रूप में जोड़ सकते हैं और चिकित्सा परीक्षणों के नियमों में छूट दे सकते हैं.

(3) नए बीमाकर्ता द्वारा स्वीकृति की अवधि

आवश्यक दस्तावेजों के साथ आप पोर्टेबिलिटी फॉर्म जमा कर देते हैं, तो नया बीमाकर्ता आपको 15 कार्य दिवसों के भीतर आपके आवेदन का स्वीकृति लेटर प्रदान करने के लिए उत्तरदायी होता है. यदि विलंब होता है, तो उन्हें आपका आवेदन स्वतः ही स्वीकार करना होगा. अन्य प्रोसेसिंग विलंब के कारण आपकी पॉलिसी की नियत तारीख आ गई है, तो उस स्थिति में, नए बीमाकर्ता को वर्तमान बीमा प्रदाता को प्रो-रेटा प्रीमियम का भुगतान करना होगा.

(4) मेडिकल हिस्ट्री साझा करें

जब आप पॉलिसी पोर्ट करने के लिए आवेदन करते हैं तो बीमा कंपनी उसे नए आवेदन के तौर लेती है और संपूर्ण मूल्यांकन करती हैं. ग्राहक इस बात का पूरा ध्‍यान रखें कि पोर्टेबिलिटी फॉर्म जमा करने के दौरान मेडिकल इतिहास साझा करने में कोई विसंगति नहीं हो. अन्यथा फॉर्म खारिज हो सकता है. यदि यह पाया जाता है कि ग्राहक को पहले से कोई बीमारी है, तो नई स्‍वास्‍थ्‍य बीमा कंपनी पोर्टेबिलिटी के अनुरोध को अस्वीकार कर सकती है.

(5) अंडरराइटिंग प्रोसेस

पोर्टेबिलिटी फॉर्म को स्वीकार करने के बाद बीमा कंपनी अंडरराइटिंग प्रोसेस करती है. यदि कोई दावा नहीं किया जाता है तो नया बीमाकर्ता स्टैंडर्ड प्रीमियम पर प्रस्ताव को स्वीकार करेगा. हालांकि, यदि पहले से मौजूद बीमारियां या कोई क्लेम रिकॉर्ड हैं, तो वे पॉलिसीधारक की बीमारी बताते हुए अतिरिक्त प्रीमियम चार्ज कर सकते हैं.

(6) वेटिंग पीरियड

यदि आपके पास कई वर्षों से पॉलिसी है और आपने किसी बीमारी का आधे से ज्यादा वेटिंग पीरियड पुरानी कंपनी में काटा है तो नई बीमा कंपनी फिर से वेटिंग पीरियड लागू नहीं कर सकती.

(7) कोई फीज चुकानी नहीं होती

मेडिक्लैम पॉलिसी पोर्ट कराने के लिए बीमा कंपनी आपसे किसी तरह की फीज नहीं ले सकती. यदि सम इंश्योर्ड बढ़ता है या मेडिकल कंडीशन और क्लेम हिस्ट्री में विसंगति है तो केवल प्रीमियम बढ़ सकता है.

(8) सम इंश्‍योर्ड का नियम

पोर्टेबिलिटी बेनिफिट पिछली बीमित राशि (सम इंश्‍योर्ड) और उपार्जित बोनस (बेस सम इंश्‍योर्ड के हिस्‍से के तौर पर) पर प्रदान किए जाते हैं. पोर्टेबिलिटी बेनिफिट किसी दूसरे अतिरिक्‍त बढ़ाए गए सम इंश्‍योर्ड पर लागू नहीं होंगे.

(9) अर्जित लाभ खोने की चिंता ना करें

ग्राहकों को पिछली पॉलिसी से जितने भी अर्जित लाभ मिले हैं वो भी नई पॉलिसी के तहत बरकरार रहते हैं. स्वास्थ्य बीमा पोर्टेबिलिटी के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि आपको ऐसे लाभ खोने की चिंता करने की जरूरत नहीं रहती.

Published - July 10, 2021, 11:20 IST