ऐसे मिलेगा सस्ता हेल्थ बीमा

फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए पॉलिसियों में नए फीचर्स जोड़ रही हैं बीमा कंपनियां

ऐसे मिलेगा सस्ता हेल्थ बीमा

Insurance. Image: Freepik

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विनोद ट्रेडमिल पर रोजाना घंटों समय देता है. दोस्त अमर ने इसकी वजह पूछी तो वह बताता है कि हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम करने कम करने के लिए वह पसीना बहाता है. अमर के समझ नहीं आ रहा कि ऐसा करके भला इंश्योरेंस प्रीमियम कैसे कम हो सकता है? अगर अमर की तरह आप भी हैरान हैं तो समझ लीजिए. फिटनेस और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के बीच सीधा संबंध है. चूंकि इंश्योरेंस कंपनियां उम्र, पुरानी मेडिकल हिस्ट्री, बॉडी मास इंडेक्स (BMI), स्मोकिंग जैसी कई चीजों के आधार पर प्रीमियम तय करती हैं. अगर आप फिट रहने के लिए एक्सरसाइज करते हैं. हेल्दी डाइट लेते हैं तो बीमारी होने के आशंका कम हो जाती है. ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम करने की संभावना घट जाती है. इसी वजह से बीमा कंपनियां प्रीमियम में छूट देती हैं.

मोटापे का मानक
मोटापे की जांच करने के लिए बॉडी मास इंडेक्स यानी BMI सबसे प्रचलित तरीका है. ये बताता है कि शरीर का वजन उसकी लंबाई के अनुपात में ठीक है या नहीं. अगर BMI 18.5 से 24.9 के बीच है तो वजन नॉर्मल यानी ठीक है. 18.5 से कम BMI का मतलब है अंडर वेट. BMI 25 से 29.9 के बीच होने का मतलब ओवर वेट है. अगर आपका BMI 30 से ऊपर है तो आप मोटापे के शिकार हैं. BMI कैलकुलेटर की मदद से आप ऑनलाइन BMI स्कोर चेक सकते हैं.

मोटे लोगों से ज्यादा प्रीमियम
इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे लोगों को लेकर काफी सजग रहती हैं, जिनका वजन ज्यादा है या मोटापे के शिकार हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिक BMI वाले लोगों को डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां होने का खतरा ज्यादा रहता है. ऐसे में भविष्य में उनके हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम करने की संभावना ज्यादा रहती है. यही वजह है कि इंश्योरेंस कंपनियां नॉर्मल BMI वालों के मुकाबले हाई BMI वाले व्यक्तियों से ज्यादा प्रीमियम वसूलती हैं. इसी वजह से विनोद ट्रेड मिल पर पसीना बहा रहा है ताकि वजन घटाकर हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम कम कर सके.

इरडा ने दिया बढ़ावा
बीमा नियामक इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में वेलनेस और फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे. इसके मुताबिक, इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे पॉलिसी होल्डर को रिवॉर्ड प्वाइंट दे सकती हैं, जो हेल्थी बिहेवियर अपनाते हैं या फिर शारीरिक कसरत करते हैं. इसके अलावा, डिस्काउंट कूपन, हेल्थ चेकअप और डायग्नोसिस समेत अन्य पेशकश भी कर सकती हैं.

प्रोत्साहन दे रहीं बीमा कंपनियां
फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए इंश्योरेंस कंपनियां धीरे-धीरे अपनी हेल्थ पॉलिसी में नए फीचर्स जोड़ रही हैं ताकि लोग फिटनेस एक्टिविटी से जुड़े रहें. आप जितना फिट रहेंगे और आपको उतना ज्यादा रिवॉर्ड मिलेंगे. जैसे प्रीमियम पर ज्यादा डिस्काउंट, जिम मेंबरशिप, रिन्यूअल के समय प्रीमियम पर डिस्काउंट या सम इंश्योर्ड की रकम बढ़ाने की सुविधा.

कुछ बीमा कंपनियां अगले साल के प्रीमियम पर 100 फीसदी तक छूट दे रही हैं. अगर पॉलिसी होल्डर साल के दौरान रोज 10,000 स्टेप चलने जैसे तय मानकों को पूरा करते हैं. फिट बैंड जैसे स्मार्ट वियर डिवाइस या मोबाइल एप के जरिए शारीरिक गतिविधियों का रिकॉर्ड रखा जा सकता है. याद रखें कि अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियों की रिवार्ड पॉलिसी और क्राइटेरिया भिन्न-भिन्न है. यह पॉलिसी धारक के रिस्क प्रोफाइल पर भी निर्भर करता है.

कितना मिल रहा डिस्काउंट?
फिनटेक कंपनी पॉलिसी बाजार के मुताबिक केयर सुप्रीम, वेलनस डिस्काउंट के रूप में 30 फीसदी तक निवा बूपा, लाइव हेल्दी बेनेफिट के नाम पर 30 फीसदी तक और स्टार हेल्थ, वेलनस प्रोग्राम के तहत 10 फीसदी तक का डिस्काउंट देती है. इसी तरह, आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस एक्टिव फिट में 50 फीसदी तक वेलनस डिस्काउंट है. एक बात और हेल्थ इंश्योरेंस इलाज के खर्च का बोझ कम करने के साथ टैक्स भी बचाता है. आयकर कानून के सेक्शन 80(D) के तहत खुद, पत्नी और बच्चे के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं तो छूट की सीमा 25,000 रुपए तक है.

विनोद की तरह रनिंग, जॉगिंग या एक्सरसाइज करके आप भी हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम घटा सकते हैं. फिटनेस का ख्याल रखने पर अगले सालों के लिए रिवॉर्ड अलग से मिलेगा. जिस तरह मोटापा प्रीमियम बढ़ाता है उसी तरह स्मोकिंग, अल्कोहल जैसी आदतें भी प्रीमियम बढ़ती हैं. हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय फॉर्म में सभी जानकारी ठीक-ठीक दें. वरना कंपनी मेडिकल चेकअप करा सकती है. इसकी भी आशंका है कि जब आप हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम करने जाएं तो गलत जानकारी देने का हवाला देकर इसे रिजेक्ट कर दिया जाए.

Published - June 9, 2023, 08:02 IST