लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी को लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल प्लानिंग के तहत बेहद जरूरी माना जाता है. अगर बीमाधारक की पॉलिसी अवधि के दौरान मौत हो जाती है, तो उसके नॉमिनी या कानूनी वारिस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम दाखिल कर सकते हैं. IRDAI के नियम के मुताबिक बीमा कंपनी को सभी दस्तावेजों के मिलने के 30 दिनों के अंदर क्लेम का निपटारा करना जरूरी है. ये अवधि नियम के मुताबिक है, कंपनियां इससे पहले भी क्लेम सैटल कर सकती हैं. लेकिन देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी में अगर कोई डेथ क्लेम दाखिल करता है तो उसे इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है. सबसे पहले आपको एलआईसी की उस होम ब्रांच में जाना होगा जहां से पेपर जारी किए गए हैं.
जरूरी दस्तावेज
बीमा धारक की मौत की सूचना मिलने पर, ब्रांच के अधिकारी आपको क्लेमेंट स्टेटमेंट फॉर्म (फॉर्म 3783, फॉर्म 3801) और NEFT नॉमिनी बैंक अकाउंट देंगे. फंड को इस अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा.
इन डॉक्यूमेंट्स की भी होगी जरूरत
पॉलिसी धारक का ऑरिजिनल डेथ सर्टिफिकेट ऑरिजिनल पॉलिसी बॉन्ड नॉमिनी का पैन कार्ड नॉमिनी का पहचान पत्र पॉलिसी होल्डर का पहचान पत्र
डेथ क्लेम फॉर्म पर पॉलिसी होल्डर के एजेंट या डेवलपमेंट ऑफिर के साइन
अन्य दस्तावेज सभी डिटेल्स के साथ भरे हुए फॉर्म और दस्तावेजों के साथ नॉमिनी को मौत की तारीख, जगह और पॉलिसी होल्डर की मौत के कारण का जिक्र करते हुए एक लैटर देना जरूरी है.
इसके साथ ही NEFT फॉर्म, नॉमिनी को कैंसल्ड चेक के साथ और बैंक पासबुक की एक कॉपी जमा कराना जरूरी है. इस कॉपी में बैंक अकाउंट होल्डर का नाम, अकाउंट नंबर और IFSC कोड की जानकारी होना बेहद जरूरी है.
एलआईसी का अधिकारी इन सभी दस्तावेजों को वेरिफाइ करता है. वेरिफिकेशन करने के बाद, एलआईसी डेथ क्लेम सर्टिफिकेट की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है. इसके अलावा एलआईसी आपको आखिरी स्टेज पर अन्य दस्तावेजों की भी मांग कर सकता है.
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