जीवन बीमा पॉलिसी में मुआवजा का दावा कैसे करें? क्लेम सेटलमेंट को इस तरह बनाए आसान

लोग बीमा लेने से पहले कइ जानकारियां कंपनी से लेते हैं, लेकिन इन जानकारी को अपने नॉमिनी को देने में सुस्ती करते हैं.

  • Team Money9
  • Updated Date - October 15, 2021, 11:42 IST
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जीवन तरुण योजना एक नॉन-लिंक्ड, प्रॉफिट शेयर करने वाली सीमित प्रीमियम भुगतान पॉलिसी है

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इंसान अपने परिवार के लिए क्या नहीं करता है. हम सभी अपने बाद अपनों की बेहतर जिंदगी सुनिश्चित करने के लिए जीवन बीमा या टर्म इंश्योरेंस कराते हैं. जीवन बीमा पॉलिसी किसी अनहोनी में आर्थिक सुरक्षा देती है. पॉलिसीधारक की मौत हो जाने पर उसके परिवार को बीमा की रकम मिलती है. लेकिन इंश्योारेंस कंपनी कुछ नियम व शर्तों के साथ ही नॉमिनी को इंश्योरेंस की राशि मुहैया कराती है. हम लोग बीमा लेने से पहले कइ जानकारीया कंपनी से लेते हैं लेकिन इन जानकारी को अपने नोमिनी को देने में हम सुस्ती करते हैं. इंश्योरेंस के क्लैम रिजेक्ट करने संबंधी खबरो के पीछे नोमिनी के पास जरुरी माहिती न होना भी एक कारण है. अगर आप चाहते हैं कि क्लैम आसानी से सेटल हो तो इन बातों का ध्यान रखें

एजेंट और बीमा कंपनी को सूचित करें

पॉलिसीधारक की मौत होने पर सबसे पहले बीमा कंपनी के एजेंट को सूचित करना चाहिए. इसके अलावा अगर सीधी कंपनी से पोलिसी खरीदी है तो नॉमिनी को पॉलिसीधारक की मौत की जानकारी बीमा कंपनी को देना जरूरी है.

ये काम कंपनी के टोल फ्री नंबर पर कोल करके या इमेल के जरीए कर सकते हैं और जितना जल्दी हो, उतना अच्छा है. जब आप इंफोर्म करते हो तो उस समय नॉमिनी को बीमा कंपनी को पोलिसी होल्डर की मौत की तारीख, जगह और वजह जैसी जानकारियां देनी जरूरी है.

क्लेम फॉर्म

बीमा कंपनी पॉलिसीधारक की सूचना मिल जाने के बाद नॉमिनी को डेथ क्लेम फॉर्म भरने के लिए कहती है. इस फॉर्म के साथ कई दस्तावेज लगाने पड़ते हैं. यह फॉर्म इंश्योरर की वेबसाइट से डाउनलोड या एजेंट या इंश्योरर के दफ्तर से प्राप्त किया जा सकता है.

फॉर्म में पॉलिसी नंबर, डेट, पॉलिसी होल्डर के मृत्यु का समय, मृत्यु की वजह, नॉमिनी का नाम, बैंक डिटेल्स और पॉलिसी की अन्य डिटेल्स का विवरण होता है. इसके साथ ही पॉलिसी के असल पेपर्स, इंश्योर्ड का मृत्यु सर्टिफिकेट, किसी बीमारी की स्थिति में मेडिकल डेथ समरी.

यदि मृत्यु दुर्घटना में हुई है तो इसके लिए एफआईआर और पोस्ट मोर्टम की रिपोर्ट जरूर अटैच करें. नॉमिनी को अपने केवाइसी की जानकारी भी देनी पड़ेंगी. यदि मृत्यु आकस्मिक है तो सरकार, अस्पताल या फिर मुनिसिपल रिकॉर्ड से डेथ प्रूफ ही काफी होता है.

कितना समय लगता है

बीमा कंपनी सबसे पहले दावे के फॉर्म की जांच करेगी. नियमानुसार संबंधित डॉक्यूमेंट्स के जमा कराने के 30 दिनों के भीतर सेटल हो जाना चाहिए. इंश्योरर क्लैरिफिकेशन या सपोर्टिंग एविडेंस की भी मांग कर सकता है. ऐसा करने पर आपके सेटलमेंट के लिए क्लेम जनरेट होने में कुछ दिन से लेकर 6 महीने तक लग सकते हैं.

रिजेक्ट हो सकता है क्लेम

इंश्योरेंस का फॉर्म भरते समय सावधानी बरतें. सबसे पहले सुनिश्चित कर लें कि फॉर्म एकदम सही भरा है. अपनी उम्र, शिक्षा, आय, आदतों, परिवार, दूसरी पॉलिसी और स्वास्थ्य संबंधी पूरी जानकारी सही दें.

आपका लाइफ इंश्योरेंस का कवर आपकी इस जानकारी के आधार पर ही तय होता है. अगर इसमें से कोई जानकारी गलत पाई जाती है तो आपका क्लैम रिजेक्ट हो सकता है. अगर 3 साल के अंदर क्लेम करते हैं तो भी जांच का कारण बन सकता है.

जब आपको पहली बार इंश्योरेंस पॉलिसी मिले तो इसे पूरा पढ़ें. कहीं कोई गलती तो नहीं है. अगर इसमें कोई गलती है तो अपनी कंपनी से तुरंत संपर्क करें. इसमें अपने नॉमिनी का नाम, जन्म तारीख, रिश्ता और पता सही भरें.

अपनी पॉलिसी को सुरक्षित जगह रखें और अपने नॉमिनी को इसकी जानकारी दें. पॉलिसी का प्रीमियम समय पर भरें. अगर आप प्रीमियम समय पर नहीं भरेंगे तो भी आपका क्लैम रिजेक्ट होने का पूरा चांस है.

Published - October 15, 2021, 11:42 IST