कोरोना काल के बाद से सेहत की सुरक्षा के लिए लोग तेजी से हेल्थ इंश्योरेंस ले रहे हैं. मगर इस बीच स्वास्थ्य बीमा के बढ़ते प्रीमियम के चलते इसे खरीदना मुश्किल होता जा रहा है. लोकलसर्किल्स के एक सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि पिछले 12 महीनों में लगभग 52% व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारकों के लिए प्रीमियम 25% से ज्यादा बढ़ गया है. ऐसे में लोगों को लॉन्ग टर्म के लिए नई पॉलिसी लेने या पुराने बीमा को रिन्यू कराने के लिए काफी सोचना पड़ रहा है.
लोकलसर्किल्स का यह सर्वे भारत के 324 जिलों के 11,000 लोगों से लिए गए इनपुट से तैयार किया गया है. जिसमें पाया गया है कि 21% लोगों ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में 50% या इससे ज्यादा की वृद्धि देखी. जबकि 21% बीमा होल्डर्स का मानना है कि पिछले 12 महीनों में प्रीमियम में 50% या अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि 31% ने कहा कि यह 25-50% तक बढ़ गया है. पिछले वर्षों के आंकड़ों से तुलना करने पर पाया गया कि पिछले एक साल में प्रीमियम में 25 फीसद का इजाफा हुआ है.
कैसे घटाएं बढ़े हुए प्रीमियम का बोझ
तीन साल की टर्म हेल्थ पॉलिसी खरीदे
जानकारों के मुताबिक जब आप तीन साल की पॉलिसी खरीदते हैं, तो आप पूरी अवधि के लिए प्रीमियम लॉक कर देते हैं और इसमें वृद्धि नहीं होगी. आमतौर पर यह आपको पैसे बचाने में मदद करता है क्योंकि इसमें आपको 15% तक की छूट मिलती है. इसके अलावा लॉन्ग टर्म की पॉलिसी खरीदने पर इसके खत्म होने तक महंगाई या उम्र के कारण प्रीमियम में बदलाव नहीं होता है. ऐसे में आपको यह सस्ता पड़ता है.
को-पे (डिडक्टिबल)
प्रीमियम का खर्च कम करने के लिए आपके लिए को-पे भी एक अच्छा विकल्प है. अगर लोगों को स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का भुगतान करना मुश्किल हो रहा है तो वे को-पे में डिडक्टिबल का विकल्प चुन सकते हैं. ऐसी पॉलिसी में कंपनी की ओर से खर्चों का भुगतान होने से पहले दावा करने वालों को खर्च में से एक निश्चित राशि देनी होगी. इसमें कम प्रीमियम पर आपको बीमा मिल जाएगा.
पोर्ट कर सकते हैं पॉलिसी
एक ग्राहक के रूप में यदि आपका प्रीमियम काफी बढ़ जाता है तो आप अन्य स्वास्थ्य बीमा कंपनियों की पॉलिसियों में भी पोर्ट करने के बारे में सोच सकते हैं. जिस बीमा कंपनी में आपको कम प्रीमियम पर ज्यादा सुविधाएं मिलें उसे चुना जा सकता है.