बढ़ते मेडिकल खर्च, टेक्नोलॉजी इनोवेशन और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बढ़ती बीमा जागरूकता के बीच बीते एक साल में मेडिकल बीमा पॉलिसी का प्रीमियम 10 से 25 फीसदी तक बढ़ गया है. इसमें भी ऐसी कंपनियां जो सिर्फ़ हेल्थ इंश्योरेंस बेचती हैं उनके बीमा के प्रीमियम में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो सामान्य बीमा कंपनियों के हेल्थ बीमा प्रीमियम से कहीं ज्यादा है. इनकी तुलना में सामान्य बीमा कंपनियों के हेल्थ प्लान 10 से 15 फीसदी कम बढ़े.
क्या है वजह?
बीमा कंपनियों का कहना है कि उनके लिए अपने खर्चों को संभालना बड़ा मुश्किल हो रहा है. दरअसल भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 6 फीसद के स्तर पर रही जबकि इसके मुकाबले चिकित्सा मुद्रास्फीति की दर 15 फीसदी है. कोविड के दौरान मेडिकल से जुड़े खर्च में हुई बेतहाशा बढ़ोतरी ने इसमें ख़ास योगदान दिया. हालांकि अब कोविड का दौर लगभग खत्म हो गया है लेकिन बावजूद मेडिकल खर्चों में कोई कमी नहीं आई है. वहीं बीमा को लेकर जागरूकता बढ़ रही है और लोग अधिक बेहतर अस्पतालों में जा रहे हैं. इनमें कमरे का किराया, डॉक्टर की फ़ीस वगैरह की लागत ऊंची है. इस वजह से क्लेम की राशि का आकार बढ़ने के साथ ही क्लेम की संख्या भी बढ़ गई है और बीमा कंपनियों के लिए इस परिस्थिति में अपने खर्च और मुनाफ़े का संतुलन बना पाना मुश्किल हो गया है.
आगे क्या है उम्मीद?
बीमा कंपनियों को उम्मीद है कि बढ़ोतरी के अगले दौर से पहले लगभग 1-2 साल तक प्रीमियम मौजूदा स्तर पर रहेगा. बहरहाल कंपनियों का मानना है कि बढ़ते प्रीमियम को देखते हुए ज्यादातर पॉलिसीधारक भुगतान के लिए EMI जैसे विकल्प चुनेंगे या इसके प्रभाव को कम करने के लिए छोटी कटौती के साथ बीमा कवर चुनेंगे.