इस समय हर जागरूक व्यक्ति हेल्थ इंश्योरेंस की पॉलिसी को रखना चाहता है. लेकिन जिनको अपने हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइडर से संतुष्टि नहीं है, वे दूसरी कंपनी से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पोर्ट करवा सकते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीमा नियामक इरडा ने इंश्योरेंस कंपनियों को Health Insurance Porting Request को अस्वीकार करने का अधिकार दिया है? यदि कोई पॉलिसीधारक समय पर आवश्यक दस्तावेज जमा करने में विफल रहता है, तो अस्वीकृति हो सकती है. आइए आपको बताते हैं कि आखिर आपका Health Insurance Porting Request किन परस्थितियों में खारिज किया जा सकता है.
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी क्या है?
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी आपको अपनी पॉलिसी को किसी एक बीमाकर्ता से दूसरे बीमाकर्ता में बदलने या स्विच करने की सुविधा प्रदान करता है. इसमें पहले से मौजूद बीमारियों और टाइम एक्सक्लूशन के क्रेडिट का भी समावेश होता है. पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करती है कि बीमाकर्ता यदि ग्राहकों को बांधे रखना चाहते हैं तो उन्हें ग्राहकों को उत्कृष्ट सेवा प्रदान करते रहना होगा. यह ग्राहकों को अपने बीमाकर्ता से संतुष्ट नहीं होने पर संचयी (cumulative) बोनस और समयबद्ध लाभों को खोए बिना बीमाकर्ता को बदलने की स्वतंत्रता भी देता है.
अंडरराइटिंग रिस्क
आप जिस भी इंश्योरेंस कंपनी में स्विच करने के बारे में सोच रहे हैं यानी कोई नया इंश्योरेंय लेना या पोर्टेबिलिटी रिक्वेस्ट दोनों एक जैसे ही हैं. यदि ग्राहक की मेडिकल कंडीशल कंपनी की निर्धारित अंडरराइटिंग रिस्क या फिर रिस्क एक्सेप्टेंस के अनुसार नहीं है तो कंपनी इसे अस्वीकार कर सकती है.
गलत जानकारी देना
आपके मेडिकल हिस्ट्री पूरा विवरण होना जरूरी है, ऐसा ना करने पर आपका पोर्टिंग प्रोसेस खटाई में पड़ सकता है. कस्टमर की ओर से बताई सभी जानकारी और चिकित्सा जांच के दौरान मिली जानकारी में थोड़ा भी फर्क आता है तो पोर्ट रिक्वेस्ट को अस्वीकार किया जा सकता है. इसी तरह, यदि पिछले बीमाकर्ता द्वारा बताए गए दावों का इतिहास फॉर्म में बताए गए अनुसार नहीं है, तो नया बीमाकर्ता इसे अस्वीकार कर देगा.
उम्र के कारण
एक प्रमुख कारक जो स्वास्थ्य पॉलिसी पोर्टेबिलिटी को अस्वीकार कर सकता है, वह है पॉलिसीधारक की अधिक उम्र. जहां 60-70 आयु वर्ग के लोगों में पोर्टेबिलिटी की कुछ संभावनाएं होती हैं, वहीं 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के आवेदन खारिज होने की संभावना अधिक होती है. बीमा कंपनियां सीरियस अंडरराइटिंग रूल्स लागू करती हैं, ज्यादा प्रीमियम लेती हैं और वरिष्ठ नागरिकों से पोर्टेबिलिटी अनुरोधों के लिए को-पे क्लॉज भी पेश कर सकती हैं. इस प्रकार, यदि ग्राहक किसी विशेष योजना में निर्दिष्ट आयु वर्ग के अंतर्गत नहीं आता है, तो आवेदन को अस्वीकार किया जा सकता है.
डेडलाइंस
अगर आप पोर्टिंग टाइमलाइन का पालन नहीं करते हैं, तो आपको रिजेक्ट किया जा सकता है. नई इंश्योरेंस कंपनी की कॉल न उठाना, मेडिकल चेक-अप के लिए उपलब्ध ना होना भी रिजेक्ट होने के कुछ निश्चित शॉट तरीके हैं. निर्धारित तिथियों तक दस्तावेज जमा करना भी सुनिश्चित करें और समय सीमा को बिल्कुल भी ना भूलें.