इस साल कोरोना महामारी के दौरान इंश्योरेंस कंपनियों को क्लेम की मांग में भारी वृद्धि देखने को मिली है. आपको बता दें इस फाइनेंशियल ईयर में साल के पहले ही तीन महीनो की मांग ही पिछले पूरे साल से ज्यादा हो गयी थी. ऐसे में गंभीर प्रभाव को देखते हुए क्या इंश्योरेंस कंपनियों ने कोविड -19 के चलते पॉलिसी के अंडरराइटिंग नियमों में बदलाव कर दिया है? क्या इंश्योरेंस कंपनियां नई पॉलिसी जारी करते समय ज्यादा सावधान रहने लगी हैं? और कोविड से ठीक हुए मरीज के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी प्राप्त करना कितना आसान या कठिन है? इन सब सवालों के जवाब आज हम लोग जानने की कोशिश करेंगे.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इंश्योरेंस कंपनियों के अंडरराइटिंग नॉर्म्स में कोविड-19 के बाद कोई बदलाव नहीं किया है. कोविड से ठीक हुए मरीजों की गंभीरता के आधार पर इंश्योरेंस देने से पहले वेटिंग पीरियड और मेडिकल जांच होगी.
लाइफ इंश्योरेंस
लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री ने कोविड -19 की दूसरी लहर के दौरान हाई डेथ रेट के कारण क्लेम की मांग में काफी बढ़ोत्तरी देखी हैं. अच्छी खबर यह है कि अप्रैल-मई के हाईएस्ट लेवल से क्लेम की मांग की संख्या कम हो गई है. जिसके बेस पर अंडरराइटिंग नॉर्म्स में कोई बदलाव नहीं नहीं किया गया है. हालांकि हेल्थ की दिकत्तों से जूझ रहे लोगों को हेल्थ चेकउप से गुजरना पड़ता है.
HDFC लाइफ की सीईओ और एमडी विभा पडलकर के मुताबिक, नई टर्म पॉलिसी प्राप्त करने में कोविड से बचे लोगों के लिए कोई चुनौती नहीं होगी. वेटिंग पीरियड को छोड़कर कोविड से ठीक हुए लोगों के लिए नार्मल अंडरराइटिंग प्रैक्टिस का पालन किया जाएगा. हालांकि उनका यह भी कहना है कि हेल्थ चेकउप कराने में लोगों में कुछ हिचकिचाहट है जिसके कारण कन्वर्शन रेट धीमी हो गई है. लोगों में हेल्थ चेकउप कराने में में कम रूचि दिखा रहे हैं जिसके कारण से टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियों के लिए कन्वर्शन रेट धीमी हो गई है. हम प्रत्येक 100 लोगों में से केवल 62 पॉलिसी ही जारी कर पा रहे हैं. फ़िलहाल आने वाले समय में हमे कन्वर्शन रेट में सुधार की उम्मीद है.
हेल्थ इंश्योरेंस
पॉलिसी खरीदते समय इंश्योरेंस कंपनियां, कंपनी के अंडरराइटिंग स्टैंडर्ड्स के अनुसार पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति से स्वास्थ्य के बारे में कई सवाल पूछती हैं. यदि ग्राहक को फिट माना जाता है तो पॉलिसी बिना मेडिकल जांच के जारी कर दी जाती है. हालांकि आमतौर पर यदि व्यक्ति की आयु 55 वर्ष से अधिक है या उसकी मेडिकल हिस्ट्री रही है तो ऐसे में व्यक्ति को कुछ मेडिकल चेकअप करवाने के लिए कहा जाता है.
फ्यूचर जनराली इंडिया इंश्योरेंस के मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) श्रीराज देशपांडे के मुताबिक, अंडरराइटिंग प्रैक्टिस वैसे ही जारी हैं. कोविड मामलों के लिए कुछ इंश्योरेंस कम्पनियां मरीजों के रिकवर होने की डेट से एक वेटिंग पीरियड रखती हैं. नॉर्मली पॉलिसी को इवेल्यूएट करने और देने के लिए 3 महीनो का वेटिंग पीरियड है.
यदि व्यक्ति को हल्का कोविड हुआ है तो 3 महीने का वेटिंग पीरियड है. यदि यह गंभीर है और यदि व्यक्ति 15 से 25 दिनों के लिए अस्पताल में था तो इंश्योरेंस कंपनियां लम्बे वेटिंग पीरियड और इवेल्यूएशन पर जोर देतीं हैं. एक बीमाकर्ता के रूप में किसी भी अन्य बीमारी के लिए हम नार्मल अंडरराइटिंग नॉर्म्स का पालन करते हैं.