इस साल 7-9% रहेगी जनरल इंश्योरेंस इंडस्ट्री की ग्रोथः रिपोर्ट

2020-21 में इंडस्ट्री की कुल GDPI साल-दर-साल आधार पर 4 फीसदी रही है और ये 1.85 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है.

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सम इंश्योर्ड में कोई मौद्रिक लाभ नहीं मिलता, केवल हानि/क्षति राशि की प्रतिपूर्ति होती है वहीं सम एश्योर्ड मंस मौद्रिक लाभ का भुगतान बीमित व्यक्ति या नोमिनी को किया जाता है.

सम इंश्योर्ड में कोई मौद्रिक लाभ नहीं मिलता, केवल हानि/क्षति राशि की प्रतिपूर्ति होती है वहीं सम एश्योर्ड मंस मौद्रिक लाभ का भुगतान बीमित व्यक्ति या नोमिनी को किया जाता है.

हेल्थ और मोटर बीमा सेगमेंट में हुई ग्रोथ के चलते वित्त वर्ष 2021-22 में जनरल इंश्योरेंस इंडस्ट्री की ग्रॉस डायरेक्ट प्रीमियम इनकम (GDPI) 7-9% के बीच रह सकती है. इकरा रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है.

2020-21 में 4% रही है ग्रोथ

2020-21 में इंडस्ट्री की कुल GDPI साल-दर-साल आधार पर 4 फीसदी रही है और ये 1.85 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है.

सरकारी बीमा कंपनियों की सुस्त ग्रोथ

सरकारी बीमा कंपनियों में ऑनलाइन मोड में हो रही ग्रोथ के हिसाब से ढलने में मुश्किल रही है और फिजिकल मीटिंग्स पर ज्यादा टिके होने की वजह से इनके कारोबार में वित्त वर्ष 2020-21 में साल-दर-साल आधार पर 2 फीसदी की गिरावट आई है और ये 71,800 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.

निजी कंपनियों को फायदा

इकरा रेटिंग्स ने कहा है कि दूसरी ओर, निजी सेक्टर की कंपनियों की ग्रोथ इसी दौरान 8% रही है और इनका कारोबार 1.13 लाख करोड़ रुपये हो गया है.

इकरा रेटिंग्स के असिस्टेंट वाइस-प्रेसिडेंट और सेक्टर हेड (फाइनेंशियल सेक्टर रेटिंग्स) साहिल उडानी ने रिपोर्ट में कहा है, “हमें हेल्थ सेगमेंट में 2021-22 में GDPI में 7-9% ग्रोथ की उम्मीद है. साथ ही मोटर सेगमेंट में भी तेजी आएगी.”

17 फर्मों का परफॉर्मेंस 

ये एनालिसिस 17 जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के परफॉर्मेंस पर आधारित है. पूरी इंडस्ट्री की GDPI का 90% हिस्सा 2020-21 के नौ महीनों में इन्हीं कंपनियों के हाथ रहा है.

इन कंपनियों में से चार सरकारी सेक्टर की और 13 निजी सेक्टर की कंपनियां हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी बीमा कंपनियों की ग्रोथ 2021-22 में मामूली 4-5% रहने की उम्मीद है.

सरकारी फर्मों को हो सकता है बड़ा लॉस

सरकारी बीमा कंपनियों को मौजूदा वित्त वर्ष में 12,400 से 13,500 करोड़ रुपये के ऊंचे अंडरराइटिंग लॉस हो सकते हैं. उन्होंने कहा है कि कोविड की दूसरी लहर और मोटर थर्ड पार्टी रिस्क के चलते हेल्थ और मोटर पोर्टफोलियो पर ऊंचे क्लेम रेशियो के चलते ये लॉस उठाना पड़ सकता है.

रिपोर्ट में कहा गाय है कि निजी सेक्टर की कंपनियों की ग्रोथ 2018-19 और 2019-20 में ऊंची रही है और इन्होंने सरकारी कंपनियों की मार्केट हिस्सेदारी में सेंध लगाई है.

Published - June 8, 2021, 07:07 IST