General Insurance Companies: घाटे में चल रही तीन स्टेट-ओन्ड (state-owned) जनरल इंश्योरेंस कंपनियों में सरकार अधिक पूंजी लगा सकती है. इसकी वजह नियामकीय जरूरतों (regulatory requirements) को पूरा करने में कंपनियों की मदद करना है ताकि लिस्टिंग और प्राइवेटाइजेशन के लिए उन्हें तैयार किया जा सके. इन कंपनियों में कितनी पूंजी लगाई जाएगी इसका फैसला वित्त मंत्रालय करेगा. शुरुआती अनुमानों से पता चलता है कि नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को मिलकर लगभग 5,000 करोड़ रुपये की जरूरत है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार पूंजी डालने के बाद नेशनल इंश्योरेंस और ओरिएंटल इंश्योरेंस की स्टॉक एक्सचेंज लिस्टिंग पर विचार करेगी.
नीति आयोग ने दो सरकारी बैंकों के साथ-साथ कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में विनिवेश (disinvestment) पर सचिवों के मुख्य समूह को प्राइवेटाइजेशन के लिए यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस की सिफारिश की है.
एक अधिकारी के मुताबिक ‘बीमाकर्ताओं की ओर से प्रदान किए गए प्रोजेक्शन के आधार पर एक असेसमेंट किया जाएगा. प्राइवेटाइजेशन से पहले इसे और मजबूत बनाने के लिए कुछ पूंजी लगाई जा सकती है.’
उन्होंने कहा कि ‘बीमा कंपनियों के असेसमेंट के आधार पर शुरुआती अनुमान में पूंजी की जरूरत करीब 5,000 करोड़ रुपये आंकी गई है.’
पिछले हफ्ते जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (नेशनलाइजेशन) अमेंडमेंट एक्ट ने नोटिफाई किया था कि वह सरकार को राज्य के स्वामित्व वाली सामान्य बीमा कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी 51% से कम करने की अनुमति देगा.
सरकार ने पिछले साल इन तीन कंपनियों में ₹12,450 करोड़ का निवेश किया था. अधिकारी ने कहा, ‘इसके बावजूद, उनके प्रदर्शन में सुधार नहीं हुआ है.’
ओरिएंटल इंश्योरेंस ने FY21 में 1,525 करोड़ रुपये का नुकसान रिपोर्ट किया गया. कंपनी का ग्रॉस डायरेक्ट प्रीमियम 9% सिकुड़ (shrank) गया और इसका सॉल्वेंसी रेश्यो 1.52 है.
नेशनल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के FY21 फाइनेंशियल रिजल्ट्स को सार्वजनिक नहीं किया गया है. लेकिन भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के खुलासे के अनुसार, 31 मार्च को समाप्त तिमाही तक नेशनल इंश्योरेंस कंपनी का सॉल्वेंसी रेश्यो 1.21% था और पिछले वित्त वर्ष में इसका घाटा 4,627 करोड़ रुपये था.
FY20 में, यूनाइटेड इंडिया ने 1,485 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया और 0.30 का सॉल्वेंसी मार्जिन था. यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के एक एग्जीक्यूटिव ने कहा, ‘नेशनल और यूनाइटेड इंश्योरेंस का संयुक्त नुकसान करीब 5,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो सॉल्वेंसी रेश्यो को और प्रभावित कर सकता है.
IRDAI के अनुसार, सभी बीमा कंपनियों को हर समय अपनी देनदारियों का 1.5 गुना अधिशेष (surplus) बनाए रखने की आवश्यकता होती है.
रेगुलेटर ने सॉल्वेंसी रिक्वायरमेंट के लिए राज्य के स्वामित्व वाली जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को विशेष छूट दी है. वित्त मंत्री ने अपने FY22 के बजट भाषण में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की घोषणा की थी.